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ऑफलाइन डिजिटल भुगतान: भारतीय रिजर्व बैंक ने दिशानिर्देश जारी किए

ऑफलाइन डिजिटल भुगतान: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं नियोजन, संसाधन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

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ऑफलाइन डिजिटल भुगतान: प्रसंग

  • हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई) ने ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन देने के लिए डिजिटल मोड में छोटे मूल्य के ऑफ़लाइन लेनदेन हेतु एक रूपरेखा जारी की है।

 

ऑफलाइन भुगतान क्या है?

  • एक ऑफ़लाइन भुगतान का अर्थ एक ऐसा लेनदेन है जिसे प्रभावी होने के लिए इंटरनेट अथवा दूरसंचार कनेक्टिविटी की आवश्यकता नहीं होती है।
  • ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन देने हेतु दिशानिर्देशों को निर्देशित किया गया है।
  • अधिकृत भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (पीएसओ) एवं भुगतान प्रणाली प्रतिभागियों (पीएसपी)-बैंकों के साथ-साथ गैर-बैंकों-जो ऑफ़लाइन मोड में भुगतान की पेशकश करना चाहते हैं, उन्हें इस ढांचे के तहत अपेक्षाओं का पालन करना होगा।

 

ऑफलाइन डिजिटल भुगतान: दिशा निर्देश

  • ऑफलाइन भुगतान किसी भी चैनल या साधन जैसे कार्ड, वॉलेट, मोबाइल उपकरण इत्यादि का उपयोग करके किया जा सकता है।
  • ऑफलाइन भुगतान मात्र सामीप्यता (आमने सामने) मोड में किया जाएगा।
  • प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक ( एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन/ एएफए) के बिना ऑफ़लाइन भुगतान लेनदेन की पेशकश की जा सकती है।
  • भुगतान के उपकरण ग्राहक की स्पष्ट सहमति के आधार पर ऑफ़लाइन लेनदेन के लिए सक्षम किए जाएंगे। कार्ड का उपयोग करने वाले ऐसे लेन-देन की अनुमति, बिना संपर्क रहित लेनदेन चैनल पर स्विच करने की आवश्यकता के प्रदान की जाएगी।
  • ऑफ़लाइन भुगतान हेतु लेनदेन की ऊपरी सीमा 200 रुपए होगी। किसी भुगतान साधन पर ऑफ़लाइन लेनदेन की कुल सीमा किसी निश्चित समय पर 2,000 रुपए होगी। उपयोग की गई सीमा की पुनः पूर्ति की अनुमति मात्र एएफए के साथ ऑनलाइन मोड में प्रदान की जाएगी।
  • लेन-देन विवरण प्राप्त होते ही जारीकर्ता उपयोगकर्ताओं को लेनदेन अलर्ट भेजेगा। प्रत्येक लेनदेन के लिए अलर्ट भेजने की कोई बाध्यता नहीं है; यद्यपि, प्रत्येक लेनदेन का विवरण पर्याप्त रूप से संप्रेषित किया जाएगा।
  • अधिग्रहण कर्ता, व्यापारी की ओर से तकनीकी अथवा लेनदेन सुरक्षा मुद्दों से उत्पन्न सभी देनदारियों को वहन करेगा।
  • ऑफलाइन भुगतान आरबीआई के सीमित ग्राहक देयता परिपत्र (समय-समय पर संशोधित) के प्रावधानों के तहत कवर किया जाएगा।
  • ग्राहकों को शिकायत निवारण हेतु रिज़र्व बैंक – एकीकृत लोकपाल योजना, जैसा लागू हो, का आश्रय लेना होगा।
  • रिजर्व बैंक के पास ऐसे किसी भी भुगतान समाधान के संचालन को रोकने अथवा संशोधित करने का अधिकार है जो ऑफ़लाइन मोड में छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतान को सक्षम बनाता है।
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