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‘एक वस्तु एक एक्सचेंज’ नीति: प्रासंगिकता
- जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
‘एक वस्तु एक एक्सचेंज’ नीति: प्रसंग
- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हाल ही में तरलता के विखंडन को कम करने एवं प्रत्येक स्टॉक एक्सचेंज को गैर-खंडित तरल अनुबंधों का एक विशेष समुच्चय विकसित करने में सहायता करने हेतु एक ‘एक वस्तु एक एक्सचेंज’ नीति का प्रस्ताव दिया है।
‘एक वस्तु एक एक्सचेंज’ नीति: मुख्य बिंदु
- एक परामर्श पत्र में, सेबी ने कहा कि उसने वस्तु व्युत्पादित खंड (कमोडिटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट) में व्यापार हेतु वस्तुओं का एक विस्तृत विशिष्ट समुच्चय विकसित करने एवं कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट में विखंडन को कम करने पर एक अवधारणा नोट तैयार किया है।
- इसने प्रस्ताव दिया है कि यह अवधारणा मात्र सीमित कृषि-वस्तुओं हेतु अनुप्रयोज्य होनी चाहिए।
- नियामक संस्था ने प्रस्तावित किया कि नई वस्तुओं पर डेरिवेटिव अनुबंधों का कारोबार मात्र एक स्टॉक एक्सचेंज पर 3-5 वर्ष की अवधि के लिए किया जाएगा, जिसके दौरान एक्सचेंज को सभी प्रकार के अनुमेय उत्पादों – फ्यूचर्स, फ्यूचर्स ऑन ऑप्शंस एवं अन्यों के साथ ऑप्शंस ऑन गुड्स को प्रारंभ करने की अनुमति होगी।
‘एक वस्तु एक एक्सचेंज’ नीति: कृषि वस्तुएं
- सेबी ने यह भी पक्ष पोषण किया है कि गैर-कृषि वस्तुओं को ‘सीमित‘ एवं ‘विस्तृत‘ में पृथक करना उचित नहीं हो सकता है, जैसा कि वार्षिक भौतिक बाजार के आकार के आधार पर कृषि वस्तुओं के मामले में ‘एक कमोडिटी एक एक्सचेंज’ नीति को अपनाने के उद्देश्य से किया जाता है।
- नियामक संस्था ने सुझाव दिया है कि उन गैर-कृषि वस्तुओं में ‘वन कमोडिटी वन एक्सचेंज’ की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जहां भारत प्रमुख उत्पादक नहीं है।
- कृषि जिंसों को तीन श्रेणियों– संवेदनशील, विस्तृत एवं सीमित में वर्गीकृत किया गया है ।
‘एक वस्तु एक एक्सचेंज’ नीति: अनन्यता की स्थिति
- किसी वस्तु की ‘अनन्यता’ की स्थिति सेबी द्वारा स्वीकृति दिए जाने की तिथि से लगभग 3-5 वर्ष की अवधि तक रहेगी।
- यद्यपि, एक्सचेंज इस अवधि से पूर्व अनन्यता की स्थिति को समाप्त कर सकता है।
- एक्सचेंज को इस पर निर्णय लेना होगा कि क्या वे उत्पाद से अनन्यता को मात्र 12 महीनों तक लगातार तरल होने के बाद ही हटाना चाहते हैं।
‘एक वस्तु एक एक्सचेंज’ नीति: उद्देश्य
- इस अवधारणा को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक एक्सचेंज को विशिष्ट वस्तुओं पर गैर-खंडित तरल अनुबंधों का एक विशेष समुच्चय विकसित करने में सहायता प्रदान करना है।
- इसके अतिरिक्त, अवधारणा यह सुनिश्चित करेगी कि संबंधित एक्सचेंज विशेष रूप से एक विशिष्ट वस्तु पर सभी प्रकार के व्युत्पन्न अनुबंध विकसित करता है एवं भारतीय कमोडिटी डेरिवेटिव बाजारों का व्यापक विकास एवं गहनता लाता है।
- यह अवधारणा अंततः भारत को ऐसी स्थिति में लाने में सहायता करेगी ताकि ऐसी वस्तुओं के वैश्विक मानक मूल्य निर्धारण को प्रभावित करने में सक्षम हो सके।
- किसी विशिष्ट वस्तु पर अनुबंध प्रारंभ करने वाला एकल एक्सचेंज स्थानीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है। यह दीर्घावधि में अधिक कुशल एवं कम लागत वाला सिद्ध हो सकता है।