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“परम गंगा” सुपर कंप्यूटर- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- दैनिक जीवन में विकास तथा उनके अनुप्रयोग एवं प्रभाव; सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर के क्षेत्र में जागरूकता।
समाचारों में “परम गंगा” सुपर कंप्यूटर
- हाल ही में, राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) ने आईआईटी रुड़की में एक सुपर कंप्यूटर “परम गंगा” को परिनियोजित किया है।
“परम गंगा” सुपर कंप्यूटर
- डिजाइन तथा विकास: “परम गंगा” प्रणाली को एनएसएम के निर्माण दृष्टिकोण के चरण 2 के तहत सी-डैक द्वारा डिजाइन एवं स्थापित किया गया है।
- इस प्रणाली को निर्मित करने हेतु उपयोग किए जाने वाले पर्याप्त घटकों को सी-डैक द्वारा विकसित एक स्वदेशी सॉफ्टवेयर स्टैक के साथ भारत के भीतर निर्मित एवं समन्वायोजित (असेंबल) किया गया है।
- यह सरकार की मेक इन इंडिया पहल की दिशा में एक कदम है।
- क्षमता: “परम गंगा” सुपर कंप्यूटर को 1.66 पेटाफ्लॉप्स की सुपरकंप्यूटिंग क्षमता के साथ निर्मित किया गया है।
- महत्व: “परम गंगा” सुपर कंप्यूटर आईआईटी रुड़की एवं पड़ोसी शैक्षणिक संस्थानों के उपयोगकर्ता समुदाय को अभिकलनात्मक (कम्प्यूटेशनल) शक्ति प्रदान करने पर ध्यान देने के साथ विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के बहु-विषयक क्षेत्र में अनुसंधान तथा विकास गतिविधियों में तेजी लाएगा।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु
- अधिदेश: राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) ने 64 पेटाफ्लॉप्स से अधिक की संचयी गणना शक्ति के साथ 24 स्थापनाओं के निर्माण एवं परिनियोजन की योजना बनाई है।
- मूल मंत्रालय: इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी/एमईआईटीवाई) तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ( डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी/डीएसटी) द्वारा संयुक्त रूप से राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) का संचालन किया जा रहा है।
- कार्यान्वयन: नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) को सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) तथा भारतीय विज्ञान संस्थान ( इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस/आईआईएससी), बैंगलोर द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- सी-डैक को एनएएम के निर्मित दृष्टिकोण के तहत सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम के डिजाइन, विकास, परिनियोजन एवं स्थापना का उत्तरदायित्व सौंपा गया है।
- बिल्ड अप्रोच के तहत सी-डैक चरणबद्ध तरीके से स्वदेशी सुपरकंप्यूटिंग पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहा है।
- प्रदर्शन: अब तक C-DAC ने IISc, IIT, IISER पुणे, JNCASR, NABI-मोहाली तथा C-DAC में NSM चरण -1 एवं चरण -2 के तहत 20 से अधिक पेटाफ्लॉप्स की संचयी कंप्यूटिंग शक्ति के साथ 11 सुपरकंप्यूटिंग प्रणालियों को तैनात किया है।
- राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन प्रणालियों पर अब तक देश भर में लगभग 3600 शोधकर्ताओं द्वारा कुल 36,00,000 अभिकलनात्मक कार्यों (कम्प्यूटेशनल जॉब्स) को सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।
- प्रमुख विकास: एनएसएम के तहत विकसित किए जा रहे कुछ बड़े पैमाने के अनुप्रयोगों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं।
- जीनोमिक्स तथा ड्रग डिस्कवरी के लिए NSM प्लेटफॉर्म।
- शहरी प्रतिरूपण (अर्बन मॉडलिंग): शहरी पर्यावरण के मुद्दों (मौसम विज्ञान, जल विज्ञान, वायु गुणवत्ता) को हल करने के लिए विज्ञान आधारित निर्णय समर्थन संरचना।
- भारत की नदी घाटियों के लिए बाढ़ पूर्व चेतावनी तथा पूर्वानुमान प्रणाली।
- तेल एवं गैस अन्वेषण में सहायता के लिए भूकंपीय इमेजिंग हेतु एचपीसी सॉफ्टवेयर समुच्चय।
- एमपीपीएलएबी: टेलीकॉम नेटवर्क ऑप्टिमाइजेशन।