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मनरेगा: यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
मनरेगा: संदर्भ
- हाल ही में, ग्रामीण विकास पर संसदीय पैनल ने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के कार्यान्वयन के बारे में चिंता व्यक्त की है एवं सरकार से इसके बेहतर कार्यान्वयन के लिए सुधारात्मक कदम उठाने को कहा है।
मनरेगा के कार्यान्वयन में मुद्दे
- अपर्याप्त वित्तपोषण: समिति ने पर्याप्त धन की कमी की पृष्ठभूमि में ग्रामीण विकास योजनाओं के कार्यान्वयन की गति पर चिंता व्यक्त की। मनरेगा के दो प्रमुख पहलू हैं- मांग आधारित प्रकृति का रोजगार एवं परिसंपत्ति निर्माण। ये दोनों पहलू बुरी तरह प्रभावित होंगे।
- लंबित मजदूरी: पैनल ने यह भी पाया है कि लंबित मजदूरी का मुद्दा चिंताजनक है क्योंकि 2022-23 के लिए योजना के बजट अनुमान ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मांगे गए 78,000 करोड़ रुपए से घटाकर 73,000 करोड़ रुपए कर दिए गए थे।
- फर्जी जॉब कार्ड, व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार, उपस्थिति नामावली (मस्टर रोल) को विलंब से अपलोड करना, तथा मजदूरी एवं सामग्री के लिए भारी लंबित भुगतान मनरेगा में बाधा डालने वाले मुद्दों में से हैं।
- फर्जी लाभार्थी : जमीनी स्तर पर योजना के क्रियान्वयन को लेकर बेईमान तत्वों की मिलीभगत से वास्तविक मजदूरों को उनका बकाया नहीं मिल रहा है जबकि पैसा कई हाथों में जा रहा है, यह वर्तमान समय का कड़वा सच है.
- रोजगार सेवक प्रारंभ में कच्चा मस्टर भरते हैं तथा सप्ताह में एक बार मस्टर रोल ऑनलाइन अपलोड करने हेतु प्रखंड में जाते हैं। इसका मनरेगा लाभार्थियों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है क्योंकि मस्टर अपलोडिंग में विलंब से मजदूरी के भुगतान में विलंब होता है। इसके अतिरिक्त, यदि मस्टर-रोल को अद्यतन नहीं किया जाता है एवं निर्धारित समय के भीतर अपलोड किया जाता है, तो इसे बैकडेट नहीं किया जा सकता है, जिससे भुगतान में हानि होती है।
- समिति ने जाति-आधारित भुगतान प्रणाली की भी आलोचना की है एवं कहा है कि इस प्रथा को “तत्काल” हल किए जाने की आवश्यकता है तथा इसे आगे प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।
मनरेगा पर संसदीय पैनल की रिपोर्ट: सिफारिशें
- समिति ने ग्रामीण विकास विभाग को इसकी गणना पर पुनर्विचार करने एवं बजट की कमी के लिए ग्रामीण विकास योजनाओं की गति को तेज करने के लिए वित्त मंत्रालय से उचित रूप से उच्च आवंटन के लिए संपर्क करने की सिफारिश की है।
- पैनल ने ग्रामीण विकास मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ रूरल डेवलपमेंट/MoRD) से पूर्व की प्रणाली को बहाल करने के लिए कहा है जिसके द्वारा “जाति के आधार पर किसी भी प्रकार के वियोजन” के बिना एकल हस्तांतरण ऑर्डर उत्पन्न किया गया था।
जाति-आधारित भुगतान प्रणाली के बारे
- विगत वर्ष, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 2021-22 वित्तीय वर्ष से NREGS श्रमिकों को उनकी श्रेणियों – अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य के अनुसार मजदूरी का भुगतान करने हेतु राज्यों को एक परामर्शिका भेजी थी।
- इस प्रणाली के तहत, यदि 20 व्यक्ति (जैसे, छह एससी, चार एसटी एवं 10 अन्य) मनरेगा के तहत एक कार्यस्थल पर एक साथ कार्य करते हैं, तो एक ही मस्टर रोल जारी किया जाएगा, किंतु भुगतान तीन अलग-अलग फंड ट्रांसफर ऑर्डर (एफटीओ), तीन श्रेणियों में से प्रत्येक के लिए एक जारी करके किया जाएगा। ।