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वैश्विक अवसंरचना एवं निवेश के लिए साझेदारी यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
वैश्विक अवसंरचना एवं निवेश के लिए साझेदारी यूपीएससी: प्रसंग
- हाल ही में आयोजित जी 7 बैठक में, सदस्य देशों ने औपचारिक रूप से भारत जैसे विकासशील देशों की सहायता हेतु वैश्विक अवसंरचना एवं निवेश के लिए 600 बिलियन डॉलर की साझेदारी प्रारंभ की।
वैश्विक अवसंरचना एवं निवेश के लिए साझेदारी PGII: प्रमुख बिंदु
- बेहतर आधारिक संरचना के निर्माण में निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों की सहायता के लिए जून 2021 में जी 7 नेतृत्व द्वारा प्रथम बार ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (PGII) के लिए साझेदारी का अनावरण किया गया था।
- जब इसे विमोचित किया गया था, इसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के प्रत्युत्तर के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
- वि-कार्बनीकरण (डीकार्बोनाइजेशन) प्रयासों के लिए वित्त की पेशकश करके पीजीआईआई विकासशील देशों को लाभान्वित कर सकता है।
- खाद्य सुरक्षा में वृद्धि करने एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कार्यरत भारतीय उद्यमियों तथा कंपनियों को भी इस वैश्विक पहल से लाभ प्राप्त होगा।
- उद्देश्य: विकासशील देशों को चार मुख्य क्षेत्रों में सुधार करने में सहायता प्रदान करना: स्वास्थ्य सेवा, डिजिटल संपर्क (कनेक्टिविटी), लैंगिक समानता तथा साम्यता तथा जलवायु एवं ऊर्जा सुरक्षा।
वैश्विक आधारिक अवसंरचना एवं निवेश के लिए साझेदारी: फोकस क्षेत्र
- जी 7 सदस्य देशों ने भविष्य की महामारियों को रोकने एवं प्रबंधित करने के लिए विकासशील देशों में औद्योगिक पैमाने पर वैक्सीन निर्माण स्थापनाओं में निवेश करने की योजना निर्मित की है।
- डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए अफ्रीका, एशिया एवं लैटिन अमेरिका के लिए डिजिटल नेटवर्क उपकरण प्राप्त करना।
- लैंगिक समानता एवं साम्यता के क्षेत्र में, साझेदारी विकासशील देशों में शिशु देखभाल (चाइल्डकैअर) को अधिक सुलभ बनाने का प्रस्ताव करती है।
- विकासशील देशों को कोयले से दूर जाने में सहायता करना। क्षेत्रीय ऊर्जा व्यापार को 5 प्रतिशत तक बढ़ाने एवं अधिक स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को परिनियोजित करने के दोहरे उद्देश्यों के साथ, अमेरिका की योजना अकेले दक्षिण एशिया में 40 मिलियन डॉलर का निवेश करने की है।
- PGII के तहत निवेश विकासशील देशों में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करेगा साथ ही G7 देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी बढ़ावा देगा।
- इसके अतिरिक्त, पीजीआईआई के अंतर्गत निर्मित परियोजनाएं श्रम एवं पर्यावरण हेतु पारदर्शिता तथा सुरक्षा का पालन करेंगी।