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पश्मीना शॉल- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विकास प्रक्रियाएं और विकास उद्योग- गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों एवं संघों, दाताओं, दान, संस्थागत तथा अन्य हितधारकों की भूमिका।
पश्मीना शॉल- संदर्भ
- हाल ही में, सेंटर फॉर एक्सीलेंस (सीएफई) ने पश्मीना शॉल की खोए हुए गौरव को पुनः स्थापित करने के लिए जम्मू-कश्मीर में एक नई पहल की है।]
पश्मीना शॉल- पहल की मुख्य विशेषताएं
- सीएफई पहल का उद्देश्य पारिश्रमिक को दोगुना करना एवं पश्मीना शॉल के वर्ष भर के ऑर्डर को सुनिश्चित करना है।
अपेक्षित लाभ:
- विश्व प्रसिद्ध हस्त-निर्मित पश्मीना शॉल की एक महत्वपूर्ण उत्पादन प्रक्रिया में महिला कारीगरों के पुन: जुड़ाव को देखने की संभावना है।
- कश्मीरी महिलाओं को उस क्षेत्र में रोजगार प्रदान करना जिनकी संख्या विगत कुछ वर्षों में काफी कम हो गई है।
पश्मीना शॉल- मुख्य विशेषताएं
- पश्मीना शॉल के बारे में: कश्मीरी ऊन से काते गए शॉल की एक उन्नत किस्म है जो लद्दाख के उच्च पठार के मूल निवासी चांगथांगी बकरी से प्राप्त किया जाता है।
- पश्मीना शॉल अपनी कोमलता के लिए जाने जाते हैं।
- पश्मीना शॉल न केवल भारत में बल्कि संपूर्ण विश्व के धनाढ्यों के लिए एक प्रतिष्ठा का प्रतीक (स्टेटस सिंब) रहा है।
- चांगथांगी बकरियों को सामान्य तौर पर वृहद लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में खानाबदोश समुदायों द्वारा पालतू बनाया एवं पाला जाता है।
- चांगथांगी बकरियों ने चांगथांग, लेह एवं लद्दाख क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित कर दिया है।
पश्मीना शॉल के लिए बीआईएस प्रमाणन
- 2019 में, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने पश्मीना शॉल की शुद्धता के लिए पहचान, अंकन एवं लेबलिंग के लिए एक भारतीय मानक प्रकाशित किया।
मुख्य लाभ: इसके परिणामस्वरूप निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं-
- पश्मीना में अपमिश्रण (मिलावट) रोकने में सहायता
- पश्मीना के कच्चे माल के उत्पादक स्थानीय कारीगरों एवं खानाबदोशों के हितों की रक्षा करना।
- ग्राहकों को पश्मीना शॉल की सुनिश्चित शुद्धता सुनिश्चित करना।
- अधिक संख्या में युवा व्यक्तियों को इस पेशे को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके रोजगार को बढ़ावा देना।
प्रधान मंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) एवं आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरई)
सेंटर फॉर एक्सीलेंस (सीएफई) के बारे में
- स्थापना: सेंटर फॉर एक्सीलेंस (सीएफई) की स्थापना शॉल व्यापारी मुजतबा कादरी द्वारा की गई है, जो प्राचीन शहर के नरवारा क्षेत्र में ‘मी एंड के’ ब्रांड एवं आद्यम-आदित्य बिड़ला समूह के मालिक हैं।
- उद्देश्य: जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र में जटिल शॉल बुनाई उद्योग में शामिल खोई हुई हस्त-संचालित प्रक्रियाओं को पुनः स्थापित करना।