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प्लास्टइंडिया 2023: प्रासंगिकता
- जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप
PLASTINDIA 2023: प्रसंग
- हाल ही में, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने प्लास्टइंडिया 2023-11 वां अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक प्रदर्शनी तथा सम्मेलन प्रारंभ किया है।
भारत में पेट्रोकेमिकल उद्योग
- भारत का पेट्रोकेमिकल उद्योग उच्च मांग वृद्धि के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक तीव्र गति से बढ़ते उद्योगों में से एक रहा है।
- भारत को आगामी दशकों में पेट्रोकेमिकल्स में वृद्धिशील वैश्विक विकास में 10% से अधिक योगदान देने का अनुमान है।
- यद्यपि, वैश्विक स्तर पर पेट्रोकेमिकल विकास के बीच, अस्थिरता, महत्वपूर्ण आयात निर्भरता एवं आकर्षक मांग वृद्धि प्राथमिक कारण रहे हैं, जिसके लिए भारत को घरेलू तथा वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए पेट्रोकेमिकल परिसंपत्तियों की आवश्यकता है।
- भारतीय रासायनिक उद्योग एक वैश्विक प्रतिभागी बन गया है तथा “मेक इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड” दृष्टिकोण के साथ देश के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।
- भारतीय रसायनों के निर्यात में वर्ष 2013-14 की तुलना में 2021-22 में 106 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
- विकास के प्रमुख चालक: जनसांख्यिकीय लाभांश, बढ़ती निर्यात मांग एवं सरकार की पहल को सक्षम करना।
- इससे पूर्व, सरकार ने 10 प्लास्टिक पार्कों के साथ-साथ प्लास्टिक निर्यात संवर्धन परिषद स्थापित करने का निर्णय लिया है।
- पेट्रोकेमिकल मध्यवर्ती, अनुप्रवाह पेट्रोकेमिकल्स, पैकेजिंग एवं स्पेशलिटी केमिकल्स सहित विभिन्न क्षेत्रों में आकर्षक व्यावसायिक अवसर मौजूद हैं।
प्लास्टइंडिया 2023 क्या है?
- प्लास्टइंडिया, प्लास्टइंडिया फाउंडेशन के तहत प्रदर्शनियों की एक श्रृंखला को संदर्भित करता है, जो नई दिल्ली में 1-5 फरवरी, 2023 से 11वीं अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक प्रदर्शनी, सम्मेलन तथा समझौता आयोजित करेगा।
- प्रदर्शनी रोजगार सृजन के अवसर प्रदान करेगी, भारतीय प्लास्टिक उद्योग के विकास को सुगम बनाएगी एवं भारत को वैश्विक आवश्यकताओं के लिए प्लास्टिक की सोर्सिंग का केंद्र बनाएगी।
- प्लास्टइंडिया 2023 मानव जीवन के सभी क्षेत्रों में उपयोग के लिए प्लास्टिक, कच्चे माल, मशीनरी एवं एवं उत्पादों से संबंधित संसाधित वस्तुओं की सोर्सिंग के लिए भारत को वैश्विक केंद्र के रूप में प्रदर्शित करेगा।
- प्लास्टइंडिया 2023 जैसी प्रदर्शनी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक प्रतिभागियों को देश की ओर आकर्षित करेंगी एवं विचारों तथा प्रौद्योगिकी को सीखने एवं आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करेंगी।
भारत में पेट्रोकेमिकल उद्योग को बढ़ावा देने हेतु संस्तुतियां
- प्लास्टिक उद्योग के लिए दीर्घकालिक नीति समर्थन, निवेश के साथ-साथ निर्यात प्रोत्साहन के लिए एक रोडमैप निर्मित करने की आवश्यकता है।
- हरित विकास के दृष्टिकोण से, प्राथमिक रासायनिक एवं प्लास्टिक उत्पादन से लेकर अपशिष्ट प्रबंधन तक संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में एक अंतःविषय दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट की समस्या का समाधान: आवश्यक गैर-प्रतिस्थापन योग्य कार्यों के अतिरिक्त एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर निर्भरता कम करना, अपशिष्ट प्रबंधन अभ्यास में सुधार तथा पुनर्चक्रण के अनेक लाभों के बारे में उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाना।
- पेट्रोकेमिकल्स उद्योग को उच्च कार्बन फुटप्रिंट तथा महासागरीय प्रदूषण को कम करने के लिए एक रणनीति विकसित करनी चाहिए एवं 2070 तक निवल-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।