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प्रासंगिकता
- जीएस 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण तथा नवीन तकनीक विकसित करना।
प्रसंग
- केंद्र सरकार ने ड्रोन और ड्रोन घटकों के लिए उत्पादन-सहलग्न प्रोत्साहन (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) (पीएलआई) योजना को स्वीकृति प्रदान कर दी है ताकि आगामी ड्रोन सेक्टर में अ-साधारण (सुपर-नॉर्मल) वृद्धि को उत्प्रेरित किया जा सके।
- कुछ दिन पूर्व सरकार ने वस्त्रों के लिए पीएलआई योजना को स्वीकृति प्रदान की थी।
ड्रोन हेतु पीएलआई योजना की विशेषताएं
- पीएलआई योजना का प्रस्तावित कार्यकाल वित्त वर्ष 2021-22 से प्रारंभ होकर 3 वर्ष के लिए है।
- ड्रोन एवं ड्रोन घटकों के लिए पीएलआई योजना हेतु आवंटित कुल राशि 120 करोड़ रुपये है जो तीन वित्तीय वर्षों में विस्तृत है, जो वित्त वर्ष 2020-21 में सभी घरेलू ड्रोन निर्माताओं के संयुक्त कारोबार का लगभग दोगुना है।
- किसी भी मूल्यवर्धन के लिए ड्रोन एवं ड्रोन घटकों के निर्माता के लिए 20% प्रोत्साहन।
- मूल्यवर्धन = (ड्रोन एवं ड्रोन घटकों से वार्षिक बिक्री राजस्व) – (ड्रोन एवं ड्रोन घटकों की क्रय लागत)।
- सरकार ने सभी तीन वर्षों के लिए पीएलआई दर को 20% पर स्थिर रखा है, जो मात्र ड्रोन उद्योग को दिया गया एक असाधारण उपचार है। अन्य क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाओं में, पीएलआई दर प्रत्येक वर्ष कम होती जाती है।
- सरकार ने 50% के स्थान पर ड्रोन एवं ड्रोन घटकों के लिए शुद्ध विक्रय के 40% पर न्यूनतम मूल्यवर्धन मानदंड निर्धारित किया है, जो लाभार्थियों की संख्या को बढ़ाने की अनुमति देगा।
- सरकार ने वार्षिक बिक्री कारोबार के संदर्भ में एमएसएमई एवं स्टार्ट-अप हेतु पात्रता मानदंड को नाममात्र के स्तर पर रखा है।
- 2 करोड़ रुपये (ड्रोन के लिए) एवं
- 50 लाख रुपये (ड्रोन घटकों के लिए)
- वार्षिक बिक्री कारोबार के संदर्भ में गैर-एमएसएमई कंपनियों के लिए पात्रता मानदंड निम्नलिखित स्तर पर रखा गया है:
- 4 करोड़ रुपए (ड्रोन के लिए) एवं
- 1 करोड़ रुपए (ड्रोन घटकों के लिए)
- एक निर्माता के लिए पीएलआई की सीमा कुल वार्षिक परिव्यय के 25% तक होगी।
- यदि कोई निर्माता किसी विशेष वित्तीय वर्ष के लिए अर्ह मूल्यवर्धन के लिए सीमा को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे बाद के वर्ष में अप्राप्त प्रोत्साहन का दावा करने की अनुमति प्रदान की जाएगी यदि वह बाद के वर्ष में कमी को पूरा करती हो।
भारतीय अर्थव्यवस्था हेतु ड्रोन के लाभ
- ड्रोन अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों को आश्चर्यजनक लाभ प्रदान करते हैं। इनमें शामिल हैं- कृषि, खनन, आधारिक अवसंरचना, अवेक्षण (निगरानी), आपातकालीन प्रतिक्रिया, परिवहन, भू-स्थानिक मानचित्रण, रक्षा, विधि प्रवर्तन, एवं अन्य।
- ड्रोन अपनी पहुंच, बहुमुखी प्रतिभा एवं उपयोग में सरलता के कारण विशेष रूप से भारत के दूरस्थ तथा दुर्गम क्षेत्रों में रोजगार एवं आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण निर्माता हो सकते हैं।
भारत में ड्रोन क्षेत्र की संभावनाएं
- नवाचार, सूचना प्रौद्योगिकी, अल्पव्ययी अभियांत्रिकी एवं इसकी विशाल घरेलू मांग में अपनी पारंपरिक क्षमता के कारण भारत में 2030 तक वैश्विक ड्रोन केंद्र बनने की क्षमता है।
- ड्रोन एवं ड्रोन घटकों के निर्माण उद्योग में आगामी 3 वर्षों में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश प्राप्त हो सकता है।
- ड्रोन निर्माण उद्योग का वार्षिक बिक्री कारोबार वित्त वर्ष (वित्त वर्ष) 2020-21 में 60 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 900 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है।
- ड्रोन निर्माण उद्योग से अगले तीन वर्षों में 10,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की संभावना है।
- ड्रोन नियम 2021 जैसे सरकारी प्रयासों के कारण, आगामी तीन वर्षों में ड्रोन क्षेत्र के 30,000 करोड़ रुपये से अधिक के होने की संभावना है।