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एकीकृत श्रम कानून के लिए पीएम-ईएसी का आह्वान

एकीकृत श्रम कानून: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

 

एकीकृत श्रम कानून: प्रसंग

  • प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने भारत में राज्य-स्तरीय श्रम सुधारों पर अपनी रिपोर्ट प्रधान मंत्री कार्यालय को सौंप दी है जिसमें उसने एकीकृत श्रम संहिता की पुष्टि की है।

एकीकृत श्रम कानून: मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट में राष्ट्रीय आय के साथ-साथ समग्र रोजगार के दृष्टिकोण से शहरी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता का आह्वान किया गया है।
  • आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) ने कहा है कि एकल एकीकृत श्रम संहिता श्रम कानूनों को और सरल बनाएगी
  • आर्थिक सलाहकार परिषद ने बांग्लादेश श्रम अधिनियम, 2006 की तर्ज पर एक एकीकृत श्रम संहिता का समर्थन किया है।
  • आर्थिक सलाहकार परिषद ने रोजगार सृजन एवं औद्योगिक विकास के अभिवर्धन हेतु अन्य वैकल्पिक नीतिगत प्रयासों पर विचार किया।
  • ईएसी ने कहा है कि निम्नलिखित के संदर्भ में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है
    • कौशल निर्माण
    • सार्वजनिक अवसंरचना निवेश
    • व्यापार एवं निवेश हेतु नीतिगत बाधाओं को कम करना
    • कानूनों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाना

 

4 श्रम संहिताओं के संदर्भ में ईएसी के विचार

  • ईएसी ने कहा है कि चारों श्रम संहिताओं में सभी श्रम कानूनों का एक व्यापक दृष्टिकोण उपस्थित नहीं था।
  • ईएसी का यह भी विचार था कि संदर्भित चार श्रम संहिताओं ने विभिन्न विसंगतियों को दूर किए बिना केवल वर्तमान कानूनों को मानकीकृत एवं सुव्यवस्थित करने का कार्य किया है।
  • प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) का विचार है कि श्रम कानून सुधार,  यद्यपि महत्वपूर्ण हैं, रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने, उच्च स्तर की अनौपचारिकता को हल करने अथवा यहां तक ​​कि औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कोई जादू की गोली नहीं हैं।
  • ईएसी ने कुछ श्रम कानून सुधारों पर राजनीतिक पूंजी व्यय करने की आवश्यकता पर प्रश्न उठाया है, जो रोजगार सृजन के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

 

एकीकृत श्रम कानून के लाभ

  • ईएसी ने कहा कि सभी क्षेत्रों एवं नौकरियों की प्रकृति के उद्देश्य से एक ‘एकल एकीकृत श्रम कानून’ या सुधार शहरी अर्थव्यवस्था के लिए एक सहायक व्यापारिक वातावरण निर्मित करेगा।
  • यह सेवा क्षेत्र एवं नवीन युग की शहरी अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में भी सहायता करेगा।

चार श्रम संहिताओं के बारे में

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manish

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