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पीएम प्रणाम: यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- सामान्य अध्ययन III – कृषि सब्सिडी तथा एमएसपी से संबंधित मुद्दे।
पीएम प्रणाम: चर्चा में क्यों है?
- राज्यों को प्रोत्साहित करके रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने हेतु, केंद्र सरकार ने एक नई योजना – पीएम प्रणाम आरंभ करने की योजना बनाई है, जिसका अर्थ कृषि प्रबंधन योजना के लिए वैकल्पिक पोषक तत्वों का पीएम संवर्धन (पीएम प्रमोशन ऑफ अल्टरनेट न्यूट्रिएंट्स फॉर एग्रीकल्चर मैनेजमेंट) है।
पीएम प्रणाम योजना क्या है?
- प्रस्तावित योजना का उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी का बोझ कम करना है।
- यदि इस बोझ में वृद्धि हुई तो 2022-2023 में बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना है, जो विगत वर्ष के 1.62 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े से 39 प्रतिशत अधिक है।
- इस योजना का पृथक बजट नहीं होगा एवं उर्वरक विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के तहत “मौजूदा उर्वरक सब्सिडी की बचत” द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा।
पीएम प्रणाम: सब्सिडी
इसके अतिरिक्त, 50% सब्सिडी बचत राज्य को अनुदान के रूप में पारित की जाएगी जो धन की बचत करता है एवं योजना के तहत प्रदान किए गए अनुदान का 70% वैकल्पिक उर्वरकों की तकनीक को अपनाने से संबंधित परिसंपत्ति निर्माण के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- यह गांव, प्रखंड एवं जिला स्तर पर वैकल्पिक उर्वरक उत्पादन इकाइयों का निर्माण करेगा।
- शेष 30% अनुदान राशि का उपयोग किसानों, पंचायतों, किसान उत्पादक संगठनों एवं स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए किया जा सकता है जो उर्वरक उपयोग में कमी तथा जागरूकता उत्पन्न करने में सम्मिलित हैं।
- सरकार एक वर्ष में यूरिया में राज्य की वृद्धि या कमी की तुलना विगत तीन वर्षों के दौरान यूरिया की औसत खपत से करेगी।
भारत की उर्वरक आवश्यकता
- खरीफ मौसम (जून-अक्टूबर) भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, जो वर्ष के खाद्यान्न उत्पादन का लगभग आधा, दालों का एक तिहाई एवं लगभग दो-तिहाई तिलहन का उत्पादन करता है।
- इस मौसम के लिए उर्वरक की एक बड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है।
- कृषि एवं किसान कल्याण विभाग प्रत्येक वर्ष फसल की ऋतु के आरंभ से पूर्व उर्वरकों की आवश्यकता का आकलन करता है तथा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय को सूचित करता है।
- आवश्यक उर्वरक की मात्रा प्रत्येक माह मांग के अनुसार परिवर्तित होती रहती है, जो फसल की बुवाई के समय पर आधारित होती है, जो एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भी भिन्न होती है। उदाहरण के लिए, यूरिया की मांग जून-अगस्त की अवधि के दौरान चरम पर होती है, किंतु मार्च एवं अप्रैल में अपेक्षाकृत कम होती है तथा सरकार इन दो महीनों का उपयोग खरीफ मौसम के लिए पर्याप्त मात्रा में उर्वरक तैयार करने के लिए करती है।
पीएम प्रणाम: आवश्यकता
- विगत 5 वर्षों में देश में उर्वरक की बढ़ती मांग के कारण, सरकार द्वारा सब्सिडी पर कुल व्यय में भी वृद्धि हुई है।
- उर्वरक सब्सिडी का अंतिम आंकड़ा 2021-22 में 1.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
- चार उर्वरकों की कुल आवश्यकता – यूरिया, डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट), एमओपी (म्यूरेट ऑफ पोटाश/पोटाश का म्यूरेट), एनपीकेएस (नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटेशियम) – 2017-2018 एवं 2021-2022 के मध्य 528.86 लाख मीट्रिक टन (LMT) से 640.27 लाख मीट्रिक टन की 21% की वृद्धि हुई।
- पीएम प्रणाम, जो रासायनिक उर्वरक के उपयोग को कम करना चाहता है, संभवतः सरकारी राजकोष (खजाने) पर बोझ कम करेगा।
- प्रस्तावित योजना विगत कुछ वर्षों में उर्वरकों या वैकल्पिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित करने पर सरकार के फोकस के अनुरूप है।