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पीएमएलए एवं फेमा – धन शोधन को नियंत्रित करना

पीएमएलए एवं फेमा- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

सामान्य अध्ययन III- भारतीय अर्थव्यवस्था एवं नियोजन, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे

पीएमएलए एवं फेमा चर्चा में क्यों है?

प्रवर्तन निदेशालय (एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट/ईडी) विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट/फेमा) एवं धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट/पीएमएलए) के तहत मामलों में वृद्धि देख रहा है।

 

धन शोधन क्या है?

धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) एक आपराधिक गतिविधि जैसे मादक द्रव्यों की तस्करी, आतंकवादी फंडिंग, अवैध हथियारों की बिक्री, तस्करी, वेश्यावृत्ति का चक्र, अनधिकृत व्यापार (इंसाइडर ट्रेडिंग), रिश्वत एवं कंप्यूटर धोखाधड़ी योजनाओं से विपुल मात्रा में धन बनाने की अवैध प्रक्रिया है जो बड़े मुनाफे का उत्पादन करती है एवं एक वैध स्रोत से उत्पन्न प्रतीत होती हो।

 

धन शोधन के मुद्दे

  • मनी लॉन्ड्रिंग एवं आतंकी वित्तपोषण वैश्विक समस्याएं हैं जो आर्थिक समृद्धि को कमजोर करने वाली वित्तीय प्रणालियों की स्थिरता, पारदर्शिता एवं दक्षता से समझौता करने वाली सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करती हैं।
  • विकासशील देशों या कमजोर वित्तीय प्रणालियों वाली अर्थव्यवस्थाओं के विनाशकारी आर्थिक एवं सामाजिक परिणाम हो सकते हैं।

 

भारत में, सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या के समाधान हेतु अनेक वैधानिक उपायों को समाविष्ट किया, जिनमें  सम्मिलित हैं:

  • आयकर अधिनियम, 1961
  • विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम (द कंजर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटीज एक्ट/COFEPOSA), 1974
  • तस्कर और विदेशी मुद्रा प्रकलक अधिनियम (द स्मगलर्स एंड फॉरेन एक्सचेंज मैनिपुलेटर्स एक्ट/SAFEMA), 1976
  • स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकॉट्रॉपिक सब्सटेंसस एक्ट/NDPSA), 1985
  • बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988
  • स्वापक औषधियों एवं मन:प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार की रोकथाम अधिनियम, 1988
  • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA)
  • धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए)

 

धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002

  • मनी लॉन्ड्रिंग के खतरे को रोकने के लिए भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता (वियना अभिसमय सहित) की प्रतिक्रिया के रूप में अधिनियमित किया गया।
  • पीएमएलए को 2002 में अधिनियमित किया गया था एवं यह मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को सफेद में बदलने की प्रक्रिया) को रोकने तथा मनी-लॉन्ड्रिंग से प्राप्त संपत्ति की जब्ती के लिए प्रावधान करने हेतु 2005 में  प्रवर्तन में आया था।

 

पीएमएलए के मुख्य रूप से 3 उद्देश्य हैं

  1. मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना एवं नियंत्रित करना।
  2. धन शोधन से प्राप्त संपत्ति को राजसात करना एवं जब्त करना।
  3. भारत में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े किसी अन्य मुद्दे से निपटना।

विशेषताएं

  • दंड एवं कारावास की अवधि: अधिनियम में कहा गया है कि धन शोधन का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को तीन वर्ष से लेकर सात वर्ष तक के कठोर कारावास की सजा हो सकती है। अधिकतम सजा 7  वर्ष के स्थान पर 10  वर्ष तक हो सकती है।
  • भ्रष्ट संपत्ति की कुर्की की शक्तियां: निदेशक अथवा निदेशक के अधिकार के साथ उप-निदेशक के पद से ऊपर का अधिकारी, “अपराध से प्राप्त आय” मानी जाने वाली संपत्ति की अस्थायी रूप से कुर्की कर सकता है।
  • निर्णयन प्राधिकरण: यह केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त प्राधिकरण है जो यह निर्धारित करता है कि कुर्क की गई या जब्त की गई कोई भी संपत्ति मनी लॉन्ड्रिंग में सम्मिलित है अथवा नहीं।
  • अंतर्योजित (इंटर-कनेक्टेड) लेनदेन में पूर्वधारणा: जहां मनी लॉन्ड्रिंग में दो या दो से अधिक इंटर-कनेक्टेड लेनदेन सम्मिलित होते हों। यह माना जाता है कि शेष लेनदेन ऐसे अंतर्संबंधित लेनदेन का हिस्सा हैं।
  • साक्ष्य भार: एक व्यक्ति, जिस पर मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध कारित करने का आरोप है, को यह सिद्ध करना होगा कि अपराध की कथित आय वास्तव में वैध संपत्ति है।
  • अपीलीय न्यायाधिकरण: इसे अधिनियम के तहत न्याय निर्णयन प्राधिकरण एवं किसी अन्य प्राधिकरण के आदेशों के विरुद्ध अपील सुनने की शक्ति प्रदान की गई है। इसके आदेश अंतिम नहीं हैं एवं इन्हें चुनौती दी जा सकती है।
  • एक विशेष न्यायालय की स्थापना: त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने हेतु।

 

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा)

  • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट/फेरा) को विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून को समेकित तथा संशोधित करने एवं विदेशी व्यापार एवं भुगतान की सुविधा के उद्देश्य हेतु तथा भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का व्यवस्थित विकास एवं रखरखाव को प्रोत्साहित करने हेतु प्रतिस्थापित किया है। ।

 

विशेषताएं

  • यह केंद्र सरकार को देश के बाहर स्थित किसी व्यक्ति को भुगतान के प्रवाह को विनियमित करने की शक्ति प्रदान करता है है।
  • विदेशी प्रतिभूतियों या विनिमय से संबंधित सभी वित्तीय लेनदेन फेमा के अनुमोदन के बिना संपादित नहीं किए जा सकते। सभी लेनदेन “अधिकृत व्यक्तियों” के माध्यम से संपादित किए जाने चाहिए।
  • जनता के सामान्य हित में, भारत सरकार एक अधिकृत व्यक्ति को चालू खाते के भीतर विदेशी मुद्रा सौदों को करने से प्रतिबंधित कर सकती है।
  • यह पूंजी खाते से लेनदेन पर प्रतिबंध आरोपित करने हेतु आरबीआई को अधिकार प्रदान करता है, भले ही यह किसी अधिकृत व्यक्ति के माध्यम से किया गया हो।
  • इस अधिनियम के अनुसार, भारत में निवास करने वाले भारतीयों को विदेशी मुद्रा, विदेशी सुरक्षा लेनदेन या किसी विदेशी राष्ट्र में अचल संपत्ति धारण करने अथवा रखने का अधिकार है, सुरक्षा, संपत्ति या मुद्रा अर्जित की गई थी अथवा स्वामित्व में थी जब व्यक्ति देश के बाहर स्थित था या जब वे देश से बाहर रहने वाले व्यक्ति से संपत्ति प्राप्त करते हैं।

क्या किया जा सकता है

  • धन शोधन-रोधी (एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग) से संबंधित अधिक सख्त कानून अत्यंत आवश्यक हैं क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग बाजार में सर्वाधिक पेशेवर प्रतिभागियों को भी भ्रष्ट कर देता है।
  • धन शोधन विरोधी गतिविधियों में उनकी भूमिका के बारे में निजी क्षेत्र को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है।
  • सूचना का निरंतर उन्नयन एवं प्रसार आवश्यक है।
  • वित्तीय गोपनीयता एवं इस गोपनीयता को धन शोधन हेतु सुरक्षित देश (मनी लॉन्ड्रिंग हेवन) में बदलने के मध्य संतुलन बनाने की आवश्यकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय शासन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों एवं गतिविधियों की निगरानी या विनियमन करने का प्रयास करते हैं।
  • अंतर सरकारी समूहों ने भी वैश्विक धन शोधन के बढ़ते स्तर के विरुद्ध कार्रवाई की है।
  • बैंकिंग नियमों पर बेसल समिति का प्रचार एवं मनी लॉन्ड्रिंग को लक्षित करने वाले सिद्धांतों  से संबंधित एक वक्तव्य को अपनाया गया।
  • वियना अभिसमय को प्रोत्साहित करने से हस्ताक्षरकर्ता राज्यों के लिए मादक पदार्थों की तस्करी से धन के शोधन के अपराधीकरण करने का दायित्व बनता है।
  • समस्याओं को दूर करने, अन्य संगठनों के साथ रणनीतिक संबंधों को विकसित करने एवं बनाए रखने हेतु एक क्षेत्रीय दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना।

 

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