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भारत में पुलिस सुधार यूपीएससी जीएस 3 के मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। उम्मीदवारों को भारत में पुलिस व्यवस्था की समस्या तथा समय-समय पर विभिन्न समितियों द्वारा दी गई सिफारिशों को जानना चाहिए।
भारत में पुलिस सुधार
- स्वतंत्रता के लगभग पश्चात से ही पुलिस सुधार सरकारों के एजेंडे में रहा है, किंतु 50 से अधिक वर्षों के बाद भी, पुलिस को चयनात्मक रूप से कुशल, वंचितों के प्रति सहानुभूतिहीन के रूप में देखा जाता है।
- भारत में पुलिस पर आगे राजनीतिकरण एवं अपराधीकरण का आरोप लगाया जाता है।
- भारत में पुलिसिंग हेतु मूलभूत संरचना भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 द्वारा उपलब्ध कराई गई है, तत्पश्चात कतिपय परिवर्तनों के साथ, जबकि समाज में नाटकीय परिवर्तन हुए हैं, विशेष रूप से स्वतंत्रता के बाद के समय में।
- पुलिस से जनता की अपेक्षाएं कई गुना बढ़ गई हैं एवं अपराध के नए रूप सामने आए हैं।
- वर्तमान समय के परिदृश्य के अनुरूप पुलिस व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है एवं अपराध तथा अपराधियों से प्रभावी ढंग से निपटने, मानव अधिकारों को सुरक्षित रखने एवं सभी के वैध हितों की रक्षा करने हेतु उन्नत किया जाना चाहिए।
पुलिसिंग में मुद्दे
सामान्य प्रशासन से संबंधित
- कानूनों का खराब प्रवर्तन
- सरकार के विभिन्न अंगों के मध्य समन्वय का अभाव
पुलिस से संबंधित
- अनुचित राजनीतिक हस्तक्षेप: एनपीसी ने निष्कर्ष निकाला कि लोग पुलिस के साथ राजनीतिक हस्तक्षेप को भ्रष्टाचार से बड़ी बुराई मानते हैं।
- निचले स्तरों पर प्रेरणा का अभाव
- आधुनिक तकनीक का अभाव
- जवाबदेही के बिना सत्ता
संगठनात्मक व्यवहार की समस्याएं
- अपर्याप्त प्रशिक्षण
- अभिमान, जनता के प्रति असंवेदनशीलता
अधिभारण (बोझ डालना)
- कार्यों का गुणन
- कार्मिकों की कमी एवं कार्य की लंबी अवधि
- बहुत बड़ी आबादी का प्रबंध करना
नैतिक कार्यप्रणाली से संबंधित
- विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार, जबरन वसूली
- मानवाधिकारों के प्रति असंवेदनशीलता
- पारदर्शी भर्ती एवं कार्मिक नीतियों का अभाव।
भारत में पुलिस सुधार के लिए सिफारिशें
- रिबेरो समिति- राज्य स्तर पर पुलिस प्रदर्शन एवं जवाबदेही आयोग; 1861 अधिनियम का प्रतिस्थापन; जिला शिकायत प्राधिकरण का गठन
- पद्मनाभैया आयोग एवं विधि आयोग- ने विधि एवं व्यवस्था तथा अन्य कर्तव्यों से अनुसंधान कार्य को अलग करने की सिफारिश की; सोली सोराबजी आयोग, प्रकाश सिंह वाद- सात सूत्री निर्देश।
अन्य देशों में सुधार
दक्षिण अफ्रीका
- पुलिस आचार संहिता तथा प्रशिक्षण सुविधाओं में वृद्धि
- लगभग प्रत्येक थाने में पुलिस/सामुदायिक मंच का गठन
ब्रिटेन
- पुलिस के लिए पेंशन की व्यवस्था एवं ट्रेड यूनियनवाद का निषेध
- समुदायों से परामर्श तथा उन्हें समझने एवं उनसे प्रतिक्रिया प्राप्त करने हेतु नागरिक मंच निदेशालय।
ऑस्ट्रेलिया
- पुलिस कदाचार को रोकने के लिए पुलिस सत्यनिष्ठा आयोग।
द्वितीय एआरसी की सिफारिशें
- राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का न्यूनतम कार्यकाल 3 वर्ष का होना चाहिए।
- राज्य पुलिस प्रदर्शन एवं जवाबदेही आयोग तथा राज्य पुलिस स्थापना समिति का गठन किया जाए।
- न्यायालयों के सम्मन की सुपुर्दगी, पासपोर्ट में पतों का सत्यापन इत्यादि जैसे गैर-मुख्य कार्यों को आउटसोर्स करना
- एनपीसी ने आरक्षकों (कॉन्स्टेबल) की स्थिति में सुधार का सुझाव दिया।
- जिलों में पुलिस पर लगे आरोपों की जांच के लिए डीपीसीए का गठन किया जाए
- अति संवेदनशील समूह में व्याप्त भय को दूर करने के लिए उनके पर्याप्त प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है।
- अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस।
- एफआईआर को और अधिक नागरिक अनुकूल बनाया जाना चाहिए।
- पुलिस थानों को सीसीटीवी से लैस किया जाए
प्रशिक्षण
- सर्वोत्तम प्रतिभाओं को आकर्षित करने हेतु प्रशिक्षण संस्थानों में प्रतिनियुक्ति को सुविधाओं एवं भत्तों के मामले में और अधिक आकर्षक बनाया जाना चाहिए।
- प्रत्येक राज्य को प्रशिक्षण के लिए एक निश्चित बजट निर्धारित करना चाहिए।
- सभी प्रशिक्षण, प्रशिक्षुओं के मूल्यांकन के साथ समाप्त किया जाना चाहिए।
- प्रशिक्षण की आधुनिक विधियों यथा केस स्टडी का उपयोग किया जाना चाहिए।
नवीन भारत@75
- आदर्श पुलिस अधिनियम 2015 को विधायी सुधार के आधार के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
- राष्ट्रव्यापी आम आपातकालीन संपर्क नं।
- लोकपाल एवं पीसीए को पुलिस सुधारों में एकीकृत करना। साइबर अपराधों की विशेष रूप से संभालने के लिए पृथक संवर्ग (कैडर)।
पुलिसिंग के लिए अन्य महत्वपूर्ण विषय
सामुदायिक पुलिसिंग
- अंतर्निहित सिद्धांत यह है कि एक पुलिसकर्मी वर्दी वाला नागरिक है एवं एक नागरिक बिना वर्दी वाला पुलिसकर्मी है।
- पुलिस तथा नागरिक, समुदाय को सुरक्षा प्रदान करने एवं अपराध को नियंत्रित करने में भागीदार के रूप में कार्य करते हैं।
- पहल- आंध्र प्रदेश में मैत्री, तमिलनाडु में पुलिस के मित्र, महाराष्ट्र में मोहल्ला समितियां सफल होंगी यदि इसके नागरिक पुलिस प्रेरित होने के स्थान पर नागरिक प्रेरित हों।
- इसे मात्र जनसंपर्क अभ्यास नहीं बनना चाहिए बल्कि पुलिस-नागरिक पारस्परिक व्यवहार हेतु एक प्रभावी मंच प्रदान करना चाहिए।
पुलिस में लैंगिक मुद्दे
- महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के मामलों में दोषसिद्धि की निम्न दर।
- नागरिक/सिविल पुलिस में महिलाओं की उपस्थिति मात्र 2% हैं।
संस्तुतियां
- राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एनपीए) को पुलिस प्रशिक्षण के लिए जेंडर नीति निर्मित करनी चाहिए।
- सभी प्रासंगिक विधिक प्रावधानों का सख्त प्रवर्तन।
- थानों में महिला प्रकोष्ठों का सुदृढ़ीकरण।
- द्वितीय एआरसी: 33% तक बढ़ाया जाना चाहिए।