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प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) – यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- केंद्र तथा राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का प्रदर्शन।
प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) – संदर्भ
- 2020-21 में, प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) में सम्मिलित किए गए लाभार्थियों की संख्या में 52% की गिरावट देखी गई।
- भारत विश्व में कुल बच्चों के जन्म का पांचवां हिस्सा गठित करता है, जिसमें मातृ मृत्यु दर 113 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म है।
प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) – मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि: 1 जनवरी, 2017 को सरकार ने गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने हेतु प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) प्रारंभ की।
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के बारे में: प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए एक नकद प्रोत्साहन योजना है।
- कार्यान्वयन: प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) एक केंद्र प्रायोजित योजना है तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।
- नकद प्रोत्साहन: प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के तहत, परिवार के प्रथम जीवित बच्चे के लिए गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं के बैंक / डाकघर खाते में सीधे 5,000 रुपए का नकद प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है।
- मुख्य उद्देश्य: पीएमएमवीवाई का उद्देश्य विशेष रूप से असंगठित क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य अभिधारण व्यवहार में सुधार तथा पारिश्रमिक के नुकसान की क्षतिपूर्ति करना है।
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प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) – पीएमएमवीवाई के प्रदर्शन का विश्लेषण
- आच्छादन: प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) की प्रारंभ के पश्चात से, इसने राष्ट्रीय स्तर पर 2.01 करोड़ महिलाओं को कवर किया है तथा कुल 8,722 करोड़ रुपए की राशि का वितरण किया है।
- अभिगम्यता: 2020-21 में, 50% से अधिक पंजीकृत लाभार्थियों को सभी तीनों किस्तें प्राप्त नहीं हुई एवं पीएमएमवीवाई योजना के अंतर्गत नामांकन में 9% की गिरावट आई।
- अपवर्जन त्रुटि: 2017-18 के लिए भारत में गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली माताओं की अनुमानित अर्ह जनसंख्या 128.7 लाख थी, जबकि सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य 51.70 लाख लाभार्थियों का था।
प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) – संबद्ध चिंताएं
- अपर्याप्त आच्छादन: पात्र जनसंख्या का मात्र 40% ही पीएमएमवीवाई के अंतर्गत आच्छादित किया गया है (128.7 लाख में से मात्र 51.70 लाख)।
- यह 2017 के बाद से कम से कम 60% की अपवर्जन त्रुटि की ओर अग्रसर है, क्योंकि लक्ष्य वर्षों से अपरिवर्तित रहा है।
- लाभार्थियों के नामांकन में गिरावट: पीएमएमवीवाई योजना के तहत नामांकन एवं संवितरण में विगत दो वर्षों में गिरावट देखी गई है।
- लघुकृत बजट: सरकार द्वारा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर निरंतर बल देने के बावजूद, 2021-22 के लिए महिला एवं बाल विकास मद के लिए समग्र बजट में 20% की कमी की गई।
- इसके अतिरिक्त, पीएमएमवीवाई के लिए बजट आवंटन में भी कटौती की गई है क्योंकि इसे कई अन्य योजनाओं जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, महिला शक्ति केंद्र तथा लैंगिक बजट / अनुसंधान / प्रशिक्षण के साथ सामर्थ्य (SAMARTHYA) के तहत जोड़ा गया है।
- सामर्थ्य का कुल बजट 2,522 करोड़ रुपए का है, जो विगत वित्तीय वर्षों में अकेले पीएमएमवीवाई के बजट के लगभग बराबर है।
- कार्यान्वयन अंतराल: पीएमएमवीवाई योजना में मौजूद इन अंतरालों से आच्छादन कम होता है। ये अंतराल, लक्षित लाभार्थियों के भीतर जागरूकता के अभाव एवं प्रक्रिया स्तर की चुनौतियों से उत्पन्न हुए हैं।
प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) – आगे की राह
- विस्तार का दायरा: सरकार को पीएमएमवीवाई के तहत मातृत्व लाभ को दूसरे जीवित जन्म तक बढ़ाना चाहिए।
- प्रतिदर्श (नमूना) पंजीकरण सर्वेक्षण 2018 के अनुसार, भारत में कुल जीवित जन्मों में से 49.5% में प्रथम कोटि के जन्म एवं 29.9% द्वितीय कोटि के जन्म शामिल हैं।
- यह विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र की महिलाओं के लिए अनिवार्य है जो सभी प्रसव (शिशु जन्म) के लिए आर्थिक आघात एवं पोषण हानि के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
- नकद लाभ में वृद्धि: एक वर्ष में प्रदान की गई 5,000 रुपये की वर्तमान पात्रता एक माह की मजदूरी हानि (202 रुपये की मनरेगा मजदूरी दर के अनुसार) प्रदान की जाती है।
- मातृत्व हितलाभ अधिनियम, 1961 (12 सप्ताह का प्रसूति अवकाश अधिदेशित करता है) के अनुसार गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को 15,000 रुपए की राशि के समतुल्य 12 सप्ताह की वेतन क्षतिपूर्ति प्राप्त होनी चाहिए।
- यह महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकांश महिलाएं गर्भावस्था के दौरान तथा गर्भावस्था के पश्चात कार्य करना जारी रखती हैं क्योंकि वे मजदूरी खोने का जोखिम नहीं उठा सकती हैं; इसके अतिरिक्त, वे गर्भावस्था के दौरान स्वयं के पास से तुरंत देय भी खर्च करती हैं।
- प्रक्रिया को सरल बनाना: पीएमएमवीवाई लाभों के लिए प्रक्रिया के सरलीकरण के परिणामस्वरूप लाभार्थियों के पंजीकरण में वृद्धि हो सकती है।
- वर्तमान पंजीकरण फॉर्म में तीन किस्तों में से प्रत्येक के लिए एक माँ एवं बच्चे की सुरक्षा (एमपीसी) कार्ड, पति का आधार कार्ड, बैंक पासबुक तथा पंजीकरण फॉर्म की आवश्यकता होती है, जिसके परिणामस्वरूप विलंबित, खारिज या अनिर्णीत आवेदन होते हैं।