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मॉरीशस का अगालेगा द्वीप
प्रसंग:
- हाल ही में, मॉरीशस ने अल जज़ीरा समाचार एजेंसी की एक रिपोर्ट का खंडन किया है कि उसने भारत को अगालेगा के दूरस्थ द्वीप पर एक सैन्य अड्डा निर्मित करने की अनुमति प्रदान की है।
- उन्होंने स्पष्ट किया कि यद्यपि यहां दो परियोजनाएं संचालित हैं (तीन किलोमीटर की एक हवाई पट्टी तथा एक जलबंधक / घाट) किंतु उनका उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाएगा।
अगालेगा द्वीप के बारे में मुख्य बिंदु
- अवस्थिति: यह दो द्वीपों का एक समूह है, जो हिंद महासागर में मॉरीशस द्वीप से लगभग 1,000 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।
- भारत का ‘प्रोजेक्ट अगालेगा‘: 2015 में, भारत ने अगालेगा द्वीप को विकसित करने के लिए मॉरीशस के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अंतर्गत भारत द्वारा 200 मिलियन डॉलर से अधिक की परियोजनाओं को वित्त पोषित किया जा रहा है।
- इसमें एक जेटी का निर्माण, पुनर्निर्माण, तथा रनवे का विस्तार, एवं अगालेगा द्वीप पर एक हवाई अड्डे के टर्मिनल का निर्माण सम्मिलित है।
- भारत के लिए महत्व:
- समुद्री क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाना: द्वीप पर सैन्य उपस्थिति होने से भारतीय नौसेना की सामुद्रिक क्षमताओं को अभिवर्धन प्राप्त होगा।
- चीन का प्रतिरोध: यह प्रमुख स्थानों पर सैन्य परिसंपत्तियों की स्थापना कर हिंद महासागर पर हावी होने के उद्देश्य से चीनी ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल पॉलिसी’ का प्रभावी रूप से प्रतिरोध करने में सहायक सिद्ध होगा।
- भारत के समुद्री व्यापार की रक्षा करना: भारत के व्यापार का 95% मात्रा के हिसाब से और 68% व्यापार का मूल्य हिंद महासागर के माध्यम से आता है।
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अतिरिक्त सूचना
- चागोस द्वीप समूह: अल जज़ीरा की रिपोर्ट ने ब्रिटेन द्वारा चागोस द्वीप समूह को मॉरीशस से पृथक करने तथा डिएगो गार्सिया पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक संयुक्त सैन्य अड्डा स्थापित करने के 1965 के निर्णय के पुनरावृति की आशंका भी व्यक्त की।
- यह वर्तमान में एक ब्रिटिश समुद्रपारीय क्षेत्र – ब्रिटेन के औपनिवेशिक अतीत का एक जीवंत विरासत है।
- डिएगो गार्सिया चागोस द्वीप समूह में सर्वाधिक वृहद द्वीप है एवं यहां एक अमेरिकी सैन्य अड्डा स्थित है।
- 1965 में, मॉरीशस की स्वतंत्रता (19668) से तीन वर्ष पूर्व, ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह को मॉरीशस से पृथक कर लिया था।
- 2019 में, मॉरीशस ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में मुकदमा जीता, जिसने यूनाइटेड किंगडम को चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस को वापस करने के लिए कहा।
- यद्यपि आईसीजे के निर्णय प्रकृति में सलाहकार मात्र है, किंतु यह द्वीपों पर निरंतर उपस्थिति के ब्रिटेन के दावे को अत्यंत कमजोर करता है।
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