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बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 1: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं- सामाजिक सशक्तिकरण, सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद एवं धर्मनिरपेक्षता।
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021- संदर्भ
- हाल ही में, केंद्र सरकार ने लोकसभा में बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021 पेश किया।
- बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021 को संसदीय स्थायी समिति को संदर्भित किया गया है।
संपादकीय विश्लेषण – आयु एवं विवाह
बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021- प्रस्तावित संशोधन
- विवाह की न्यूनतम समान आयु: बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021 का उद्देश्य धारा 2 (ए) में “बच्चे” की परिभाषा को “एक पुरुष अथवा महिला जिसने इक्कीस वर्ष की आयु पूर्ण नहीं की हो” का अर्थ प्रदान करने हेतु संशोधन करना है।
- विधेयक पुरुषों एवं महिलाओं दोनों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु को समान बनाता है।
- यह स्वास्थ्य एवं सामाजिक सूचकांकों जैसे शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर एवं माताओं तथा बच्चों के मध्य पोषण स्तर में सुधार करने में सहायता करेगा।
- बाल विवाह को शून्य घोषित करने के लिए याचिका दायर करने हेतु दायरा बढ़ाता है: बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021 भी बाल विवाह को शून्य घोषित करने के लिए एक “बच्चे” के लिए याचिका दायर करने हेतु दायरे में वृद्धि करता है।
- वर्तमान में, बाल विवाह निषेध अधिनियम की धारा 3(4) एक महिला को उसके 20 वर्ष की आयु पूर्ण होने से पूर्व और पुरुष के उसके 23 वर्ष की आयु पूर्ण होने से पूर्व उनके बाल विवाह को शून्य घोषित करने हेतु घोषणा दायर करने की अनुमति प्रदान करती है।
- बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021 में इस विंडो को महिला और पुरुष दोनों के लिए उनके 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने पश्चात पांच वर्ष तक बढ़ाने का प्रस्ताव करता है।
- शून्यकरणीय बाल विवाह: कानून के तहत, बाल विवाह, यद्यपि अवैध हैं, शून्य नहीं हैं, किंतु “शून्यकरणीय” हैं।
- एक बाल विवाह को न्यायालय द्वारा अमान्य घोषित किया जा सकता है जब विवाह का कोई भी पक्ष बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अनुच्छेद 3(4) के तहत याचिका दायर करता है।
- एक “शून्य” विवाह, विधिक दृष्टि से, इसका अर्थ होगा कि विवाह कभी हुआ ही नहीं था।
- एक “ऐसा होते हुए भी” खंड का प्रारंभ: यह किसी भी रीति-रिवाज के बावजूद, सभी धर्मों में बाल विवाह निषेध अधिनियम को समान रूप से लागू करने का प्रावधान करता है।
बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021- संबद्ध चिंताएं
- चूंकि वयस्कता की आयु 18 वर्ष है, विवाह की आयु में वृद्धि को राज्य द्वारा एक व्यक्ति के व्यक्तिगत मामलों में पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण के रूप में देखा जाता है।
- आलोचकों का मानना है कि सभी धर्मों में बाल विवाह कानून का लागू होना भी स्वीय विधियों में राज्य के हस्तक्षेप की एक प्रधानता स्थापित करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन: अनेक व्यक्तियों का मानना है कि बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021, संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है।
- अनुच्छेद 25 अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण एवं प्रचार करने की स्वतंत्रता की प्रत्याभूति देता है।
- विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने से अनेक विवाह अवैधता एवं उपेक्षित कमजोर वर्गों के कगार पर पहुंच सकते हैं।
- चूंकि वर्तमान अधिनियम बाल विवाह को स्वत: अवैध नहीं बनाता है, न्यूनतम आयु में वृद्धि से महिलाओं को संभवतः वास्तव में लाभ प्राप्त ना हो सके।
- यह उन लोगों को भी, जो 18 वर्ष से अधिक आयु की महिला के विवाह में सहायता करते हैं, को ,एक कानून के दायरे में ला सकता है जो दो वर्ष तक के कारावास का प्रावधान करता है।