Table of Contents
प्रमुख बंदरगाहों पर अटकी परियोजनाओं के लिए नवीन पीपीपी दिशा निर्देश- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: भारतीय अर्थव्यवस्था- आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।
प्रमुख बंदरगाहों पर अटकी परियोजनाओं के लिए नए पीपीपी दिशा निर्देश
- हाल ही में, बंदरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने प्रमुख बंदरगाहों पर प्रतिबलित सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं से निपटने के लिए दिशानिर्देशों को अंतिम रूप प्रदान किया है।
प्रमुख बंदरगाहों पर अटकी परियोजनाओं के लिए नए पीपीपी दिशा निर्देश
पात्र परियोजनाएं
- परियोजनाएं जो निर्माण चरण के दौरान तनावग्रस्त हो गईं, अर्थात सीओडी-पूर्व चरण: ये परियोजना के निष्पादन को जारी रखने के लिए रियायती की अक्षमता के कारण कार्य बंद कर दिया गया है।
- अन्य बातों के साथ-साथ अतिमहत्वाकांक्षी बोली लगाने तथा मात्रा एवं शुल्क के संबंध में आशावादी अनुमानों, उनके व्यवसाय में अप्रत्याशित गतिशील परिवर्तनों के कारण निष्पादन रुक गया।
- सीओडी- पूर्व एवं सीओडी-पश्चात दोनों चरणों में परियोजनाएं, जो ऋणदाताओं द्वारा परियोजनाओं को गैर निष्पादनीय परिसंपत्तियों (एनपीए) एवं/या ऋणदाताओं के रूप में वर्गीकृत किए जाने के कारण तनावग्रस्त हो गईं, ने अपने बकाए की वसूली के लिए एनसीएलटी से संपर्क किया है।
दबावग्रस्त परियोजनाओं के समाधान हेतु तंत्र
- उन परियोजनाओं के मामले में जो निर्माण चरण (सीओडी-पूर्व चरण) के दौरान तनावग्रस्त हो गए थे: रियायती प्राधिकारी रियायतीग्राही या रियायतीग्राही के ऋणदाताओं को पूर्ण एवं अंतिम निपटान के रूप में, रियायतग्राही द्वारा बनाई गई उपयोगी परिसंपत्ति के अधिग्रहण हेतु भुगतान करेगा, निम्नलिखित राशियों में से योग के समतुल्य राशि
- रियायती समझौते के अनुसार रियायतग्राही द्वारा किए गए कार्य का मूल्य तथा प्रमुख बंदरगाह (अर्थात रियायत प्राधिकारी) द्वारा उपयोगी पाया गया; या
- देय ऋण का 90% जैसा कि रियायत समझौते में परिभाषित किया गया है; या
- आदर्श रियायत समझौते (मॉडल कन्सेशन एग्रीमेंट/एमसीए) 2021 के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार रियायती प्राधिकारी तथा छूटग्राही के मध्य लिखित रूप में पारस्परिक सहमति से कोई अन्य राशि।
- परियोजनाओं को एनपीए एवं/या ऋणदाताओं के रूप में ऋणदाताओं द्वारा वर्गीकृत किए जाने के कारण सीओडी-पूर्व तथा सीओडी- पश्चात दोनों चरणों में तनावग्रस्त हो गई परियोजनाओं ने अपने बकाया की वसूली के लिए एनसीएलटी से संपर्क किया है।
नए दिशानिर्देशों के लाभ
- दिशानिर्देशों का उद्देश्य तनावग्रस्त परियोजनाओं की श्रेणी में आने वाली परियोजनाओं के पुनरुद्धार की सुविधा प्रदान करना है।
- ये दिशा निर्देश मध्यस्थता के तहत मामलों के समाधान का मार्ग प्रशस्त करेंगे। पत्तन परिसंपत्ति का पुन: बोली के माध्यम से उपयोग किए जाने की संभावना है।
- यह निश्चित रूप से लगभग 27 एमटीपीए की अवरुद्ध कार्गो प्रबंधन क्षमता को अनलॉक करने का परिणाम देगा जिससे संभावित निवेशकों के लिए बेहतर व्यापार अवसर उत्पन्न होंगे तथा पत्तन प्राधिकरण (पोर्ट अथॉरिटी) राजस्व सृजित करना प्रारंभ कर देगी।
- यह निवेशकों/रियायती ग्राहियों में विश्वास उत्पन्न करेगा तथा रोजगार के अवसर भी सृजित करेगा।
- विभिन्न प्रमुख बंदरगाहों पर तनावग्रस्त परिसंपत्तियों पर लंबे समय से जारी वे कुछ विवाद जिनका शीघ्र समाधान हो सकता है-
- दीनदयाल बंदरगाह पर बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी) आधार पर 13वें बहुउद्देशीय कार्गो (तरल/कंटेनर कार्गो के अतिरिक्त) लंगरगाह (बर्थ) का विकास (लगभग 1.50 एमटीपीए)
- दीनदयाल बंदरगाह पर कांडला में 15वें बहुउद्देशीय कार्गो लंगरगाह का विकास (लगभग 1.50 एमटीपीए)
- मुंबई पोर्ट पर अपतटीय कंटेनर टर्मिनल (OCT) (लगभग 9.60 एमटीपीए)
- वीओसी पोर्ट पर एनसीबी-II का निर्माण (लगभग 7.00 एमटीपीए)
- विशाखापत्तनम बंदरगाह पर लंगरगाह ईक्यू-1ए (7.36 एमटीपीए लगभग)
नए पीपीपी दिशानिर्देशों का महत्व
- ये नए पीपीपी दिशानिर्देश विभिन्न मुद्दों के शीघ्र समाधान एवं तनावग्रस्त परियोजनाओं के पुनरुद्धार के साथ-साथ उन परियोजनाओं की अपार संभावनाओं को खोलने में सहायता करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप व्यापार तथा रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न होंगे।