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नई दिल्ली में ईंधन खरीदने के लिए पीयूसी प्रमाणपत्र अनिवार्य: यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- सामान्य अध्ययन III- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।
नई दिल्ली में ईंधन खरीदने के लिए पीयूसी प्रमाणपत्र अनिवार्य: चर्चा में क्यों है?
- 25 अक्टूबर से वैध प्रदूषण नियंत्रण (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल/पीयूसी) प्रमाण पत्र के बिना मोटर चालक दिल्ली में ईंधन नहीं खरीद पाएंगे।
पीयूसी प्रमाणपत्र क्या है?
- पीयूसी प्रमाणपत्र एक दस्तावेज है जिसे मोटर वाहन चलाने वाले किसी भी व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा अधिकृत वर्दी में एक पुलिस अधिकारी द्वारा प्रस्तुत करने के लिए कहा जा सकता है।
- यदि कोई वाहन निर्धारित उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन करते हुए पाया जाता है तो ये प्रमाण पत्र जारी करते हैं।
- मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के लागू होने के बाद से पीयूसी प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया गया है।
- पीयूसी सर्टिफिकेट में वाहन का लाइसेंस प्लेट नंबर, पीयूसी टेस्ट रीडिंग, जिस तिथि को पीयूसी परीक्षण किया गया था एवं समाप्ति तिथि (एक्सपायरी डेट) जैसी जानकारी होती है।
पीयूसी प्रमाणपत्र: अनुपालन नियम
- केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के अनुसार, प्रत्येक मोटर वाहन को उसके प्रथम पंजीकरण की तिथि से एक वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात एक वैध पीयूसी प्रमाणपत्र ले जाना आवश्यक है।
- इसमें भारत स्टेज अथवा बीएस-I / बीएस-II / बीएस-III / बीएस-IV / बीएस-VI के साथ-साथ सीएनजी / एलपीजी पर चलने वाले वाहन सम्मिलित हैं।
- यद्यपि, चार पहिया बीएस-IV अनुपालन वाले वाहनों की वैधता एक वर्ष तथा अन्य वाहनों के लिए तीन माह है।
प्रदूषण नियंत्रण जांच किस प्रकार की जाती है?
- प्रदूषण जांच के लिए कम्प्यूटरीकृत मॉडल, सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स द्वारा विकसित किया गया था।
- एक गैस विश्लेषक एक कंप्यूटर से जुड़ा होता है, जिसमें एक कैमरा एवं एक प्रिंटर जुड़ा होता है।
- गैस विश्लेषक उत्सर्जन मूल्य को अभिलेखित करता है एवं सीधे कंप्यूटर को भेजता है, जबकि कैमरा वाहन की लाइसेंस प्लेट को कैप्चर करता है।
- इसके बाद, यदि उत्सर्जन मान सीमा के भीतर हैं, तो एक प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है।
पीयूसी प्रमाणपत्र:
- संपूर्ण विश्व में वायु प्रदूषण में वाहनों (ऑटोमोबाइल) से निकलने वाले उत्सर्जन का प्रमुख योगदान है।
- वाहनों से उत्सर्जित होने वाले धुएं में निम्नलिखित प्रदूषक होते हैं:
- हाइड्रोकार्बन (HC)
- कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
- नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NOx)
- कणिकीय पदार्थ (पार्टिकुलेट मैटर/PM)
- सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
- नाइट्रस ऑक्साइड (N2O)