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भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रायोगिक आधार पर रिटेल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) का विमोचन किया

रिटेल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) की यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

रिटेल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC): भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रायोगिक आधार पर पहली बार  केंद्रीय बैंक  खुदरा डिजिटल मुद्रा (रिटेल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी/CBDC) का विमोचन किया एवं इसके साथ, भारत उन देशों के समूह में प्रवेश कर गया, जिन्होंने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पेश की है। अतः, सीबीडीसी एवं संबंधित मुद्दे यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के रिटेल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) का विमोचन निम्नलिखित टॉपिक्स के अंतर्गत आता है:

जीएस पेपर 3: भारतीय अर्थव्यवस्था: नियोजन, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

आरबीआई का रिटेल सीबीडीसी चर्चा में क्यों है?

1 दिसंबर को प्रारंभ हुए आरबीआई के रिटेल डिजिटल रुपी प्रायोगिक परियोजना के तहत, चार बैंकों ने अपने मोबाइल बैंकिंग एप्लिकेशन में एक वॉलेट बनाया है जहां सीबीडीसी चुनिंदा ग्राहकों के लिए उपलब्ध होंगे।

 

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) की पृष्ठभूमि

  • भारत सरकार ने 01 फरवरी, 2022 को संसद में प्रस्तुत किए गए केंद्रीय बजट में वित्त वर्ष 2022-23 से डिजिटल रुपये – केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) के प्रारंभ की घोषणा की।
  • बजट घोषणा में कहा गया था कि सीबीडीसी के प्रारंभ से डिजिटल अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा।

 

आरबीआई के खुदरा डिजिटल रुपी प्रायोगिक परियोजना की प्रमुख विशेषताएं

  • केंद्रीय बैंक ने भारतीय रिजर्व बैंक के खुदरा डिजिटल रुपी प्रायोगिक परियोजना में चरणबद्ध भागीदारी के लिए आठ बैंकों का अभिनिर्धारण किया है।
  • आरबीआई के डिजिटल रुपया कार्यक्रम में भाग लेने वाले बैंकों द्वारा पेश किए गए डिजिटल वॉलेट केवल डिजिटल मुद्रा में लेनदेन कर सकते हैं।
  • खुदरा डिजिटल रुपया एक डिजिटल टोकन के रूप में होगा जो वैध मुद्रा का प्रतिनिधित्व करता है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक उसी मूल्यवर्ग में डिजिटल करेंसी जारी करेगा, जिसमें पेपर करेंसी एवं सिक्के जारी किए जाते हैं।
  • मोबाइल फोन एवं अन्य उपकरणों पर डिजिटल वॉलेट के माध्यम से खुदरा डिजिटल रुपये का लेनदेन किया जा सकता है।
  • खुदरा डिजिटल मुद्रा बैंकों के माध्यम से वितरित की जाएगी। डिजिटल मुद्रा में लेन-देन व्यक्ति-से-व्यक्ति (पीयर-टू-पीयर/P2P) एवं व्यक्ति-से-व्यापारी (पीयर टू मर्चेंट/P2M) के बीच किया जा सकता है।
  • मर्चेंट स्थानों पर प्रदर्शित त्वरित प्रतिक्रिया (क्विक रिस्पांस/क्यूआर) कोड का उपयोग करके व्यापारियों को भुगतान किया जा सकता है।
  • इसे पायलट प्रोजेक्ट क्यों कहा जाता है?
    • क्योंकि, इस प्रायोगिक परियोजना में चरणबद्ध भागीदारी के लिए मात्र आठ बैंकों का अभिलाषा निर्धारण किया गया है।
    • पहला चरण देश भर के चार शहरों में चार बैंकों, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक एवं आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के साथ प्रारंभ होगा।
    • चार अन्य बैंक, अर्थात बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक तथा कोटक महिंद्रा बैंक बाद में इस प्रायोगिक परियोजना में सम्मिलित होंगे।
    • प्रायोगिक परियोजना आरंभ में चार शहरों, मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु एवं भुवनेश्वर को कवर  करेगी तथा बाद में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना एवं शिमला तक विस्तारित होगी।
    • आवश्यकतानुसार अधिक बैंकों, उपयोगकर्ताओं एवं स्थानों को  सम्मिलित करने हेतु प्रायोगिक परियोजना का दायरा धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।

 

सीबीडीसी क्या है?

  • सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी एक देश के केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी एक वैध मुद्रा है।
  • यह संप्रभु कागजी मुद्रा के समान है, किंतु यह एक अलग रूप में होता है, जो मौजूदा मुद्रा के बराबर विनिमय योग्य है एवं इसे भुगतान के माध्यम, वैध मुद्रा तथा मूल्य के सुरक्षित भंडार के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
  • सीबीडीसी एक केंद्रीय बैंक के तुलन पत्र (बैलेंस शीट) पर एक दायित्व के रूप में प्रदर्शित होंगे।
  • भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, सी बी डी सी एक “प्रतिमोच्य वैध मुद्रा” (फंजिबल लीगल टेंडर) है, जिसके लिए धारकों के पास बैंक खाता होना आवश्यक नहीं है।
  • संपूर्ण विश्व में सीबीडीसी:
    • कम से कम 100 देश किसी न किसी स्तर पर केंद्रीकृत डिजिटल मुद्राओं की खोज कर रहे हैं।
    • जबकि कुछ शोध कर रहे हैं, दूसरों ने प्रायोगिक आधार पर डिजिटल मुद्रा का प्रारंभ किया है या आधिकारिक तौर पर इसे जनता के लिए प्रारंभ किया है।

 

आरबीआई का रिटेल सीबीडीसी गेम चेंजर कैसे होगा?

  • खुदरा डिजिटल रुपया या e₹-R एक आभासी टोकन है जो वैध मुद्रा का प्रतिनिधित्व करता है। यह उसी मूल्यवर्ग में उपलब्ध होगा जिसमें कागजी मुद्रा एवं सिक्के जारी किए जाते हैं।
  • जबकि थोक सीबीडीसी, अर्थात, e₹-W, चुनिंदा वित्तीय संस्थानों के लिए अंतरा-बैंक अंतरण (इंटरबैंक ट्रांसफर) के लिए उपयोग करने हेतु है,
  • खुदरा सीबीडीसी, अर्थात, e₹-R व्यवसायों एवं व्यक्तियों के लिए व्यक्ति-से-व्यक्ति (पीयर-टू-पीयर/P2P) एवं व्यक्ति-से-व्यापारी (पर्सन टू मर्चेंट/P2M) भुगतान।
  • खुदरा सीबीडीसी गेम चेंजर सिद्ध होगा। हालांकि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) निधि अंतरण (फंड ट्रांसफर) की विशेषताएं प्रदान करता है, यह 100 गुना बड़ा हो सकता है क्योंकि यह नकद लेनदेन को सीधे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा से प्रतिस्थापित कर देता है।

 

डिजिटल रुपया बनाम क्रिप्टोक्यूरेंसी

  • डिजिटल रुपया पारंपरिक क्रिप्टोकरेंसी से अलग है। इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि इसे केंद्रीय बैंक, इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक का समर्थन प्राप्त है।
  • क्रिप्टोक्यूरेंसी की मुख्य विशेषता यह है कि यह विकेंद्रीकृत है, जबकि डिजिटल रुपया आरबीआई द्वारा जारी एवं नियंत्रित किया जाता है तथा यह केंद्रीय बैंक है जो सीबीडीसी के लिए सभी मापदंडों को निर्धारित करता है।
  • क्रिप्टोक्यूरेंसी के विपरीत, जहां लेनदेन की मात्रा के आधार पर मूल्य में उतार-चढ़ाव होता है, डिजिटल रुपये का एक निश्चित मूल्य होगा एवं इसे भारत में वैध मुद्रा भी माना जाता है।
  • अतः, डिजिटल रुपये का उपयोग व्यक्ति-से-व्यक्ति (पीयर-टू-पीयर/P2P) एवं व्यक्ति-से-व्यापारी (पर्सन टू मर्चेंट/P2M) लेनदेन करने के लिए किया जा सकता है।

 

क्रिप्टोक्यूरेंसी पर सीबीडीसी को अधिक पसंद क्यों किया जाता है?

  • क्रिप्टोकरेंसी उपभोक्ताओं के लिए जोखिम उत्पन्न करती है एवं इसकी कोई संप्रभु प्रत्याभूति नहीं होती है एवं इसलिए यह वैध मुद्रा नहीं है। उनकी कल्पित प्रकृति भी उन्हें अत्यधिक अस्थिर बनाती है।
  • एक उपयोगकर्ता अपनी क्रिप्टोकरेंसी तक पहुंच खो देता है यदि वे अपनी गोपनीयता खो देते हैं।
  • कुछ मामलों में, इन निजी कुंजियां को तकनीकी सेवा प्रदाताओं (क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज या वॉलेट) द्वारा संग्रहित किया जाता है, जो मैलवेयर या हैकिंग के लिए प्रवण होते हैं।
  • क्रिप्टोकरेंसी आपराधिक गतिविधि एवं धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के लिए अधिक असुरक्षित हैं क्योंकि वे अन्य भुगतान विधियों की तुलना में अधिक अनामता प्रदान करते हैं क्योंकि लेन-देन में संलग्न सार्वजनिक कुंजियों को सीधे किसी व्यक्ति से नहीं जोड़ा जा सकता है।
  • एक केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में क्रिप्टोकरेंसी की आपूर्ति को विनियमित नहीं कर सकता है जो देश की वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम उत्पन्न कर सकता है यदि उनका उपयोग व्यापक हो जाता है।
  • चूंकि लेन-देन को मान्य करना ऊर्जा-गहन है, अतः देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए इसके प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, 2018 में बिटकॉइन माइनिंग का कुल बिजली उपयोग स्विट्जरलैंड जैसी मध्यम आकार की अर्थव्यवस्थाओं के बराबर था।

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. सीबीडीसी क्या है?

उत्तर. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी एक देश के केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी एक वैध मुद्रा है।

यह संप्रभु कागजी मुद्रा के समान है, किंतु यह एक अलग रूप में होता है, जो मौजूदा मुद्रा के बराबर विनिमय योग्य है एवं इसे भुगतान के माध्यम, वैध मुद्रा तथा मूल्य के सुरक्षित भंडार के रूप में स्वीकार किया जाएगा।

प्र. भारतीय रिजर्व बैंक का खुदरा डिजिटल रुपी प्रायोगिक परियोजना कब प्रारंभ हुआ?

उत्तर. आरबीआई का रिटेल डिजिटल रुपी पायलट प्रोजेक्ट 1 दिसंबर को  प्रारंभ हुआ। पहला चरण देश भर के चार शहरों में चार बैंकों, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक एवं आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के साथ प्रारंभ होगा।

 

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