Table of Contents
आरबीआई मुद्रास्फीति पर विशेष एमपीसी बैठक आयोजित करेगा: चर्चा में क्यों है?
- भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार तीन तिमाहियों तक खुदरा मुद्रास्फीति को 6 प्रतिशत से नीचे रखने में अपनी विफलता पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए 27 अक्टूबर, 2022 को मौद्रिक नीति समिति (मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी/एमपीसी) की एक विशेष बैठक 3 नवंबर को बुलाई है।
- 2016 में इसके गठन के पश्चात से यह प्रथम अवसर है कि छह सदस्यीय ब्याज दर-निर्धारण निकाय इस तरह के उद्देश्य के लिए बैठक कर रहा है।
मुद्रास्फीति पर विशेष एमपीसी बैठक आयोजित करेगा आरबीआई: पृष्ठभूमि
- भारत में मुद्रास्फीति लगातार नौ महीने या तीन तिमाहियों से 6 प्रतिशत की उच्च सह्यता सीमा से ऊपर बनी हुई है।
- उपभोक्ता मूल्य आधारित सूचकांक (कंज्यूमर प्राइस बेस्ड इंडेक्स/सीपीआई) अथवा खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 7 प्रतिशत थी।
- जनवरी 2022 से सीपीआई रिजर्व बैंक के 2-6 प्रतिशत के सह्यता सीमा से ऊपर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप इस वर्ष मई से रेपो दर में 190 आधार अंक (बेस प्वाइंट/बीपीएस) की वृद्धि हुई है।
- खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी से लगातार 6 प्रतिशत की उच्च सीमा से ऊपर रही है एवं आरबीआई ने इस वर्ष बढ़ी हुई मुद्रास्फीति से निपटने के लिए नीतिगत रेपो में 190 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है।
मुद्रास्फीति पर विशेष एमपीसी बैठक आयोजित करेगा आरबीआई: आरबीआई अधिनियम के तहत प्रासंगिक प्रावधान
- भारतीय रिजर्व बैंक ( रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया/RBI) अधिनियम की धारा 45 जेड एन के प्रावधानों के तहत, एमपीसी की एक अतिरिक्त बैठक 3 नवंबर, 2022 को निर्धारित की जा रही है।
- अधिनियम की धारा 45 ZN मुद्रास्फीति लक्ष्य को बनाए रखने में विफलता से संबंधित है।
मुद्रास्फीति पर विशेष एमपीसी बैठक आयोजित करेगा आरबीआई: मुद्रास्फीति पर आरबीआई का अधिदेश क्या है एवं क्या यह अपने अधिदेश में विफल रहा है?
- नियमानुसार, आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति को 4% पर लक्षित करना चाहिए। यद्यपि, कानून में आरबीआई को कुछ छूट दी गई है; यह खुदरा मुद्रास्फीति को किसी भी तरफ 2 प्रतिशत अंक से भिन्न करने की अनुमति प्रदान करता है। अतः, किसी विशेष महीने में, आरबीआई मुद्रास्फीति को 2% या 6% होने की अनुमति दे सकता है।
- इस तरह कुल मिलाकर महंगाई 4% के आसपास होनी चाहिए। 2% से 6% की छूट का अर्थ यह नहीं है कि भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को 6% पर रहने दे सकता है।
- किंतु मुद्रास्फीति दो वर्ष से अधिक समय से बढ़ रही है।
- अक्टूबर 2019 के पश्चात से मात्र एक माह का समय ही हुआ है जब खुदरा मुद्रास्फीति 4% के करीब रही है। अन्य सभी महीनों में, यहां तक कि 2020 में राष्ट्रव्यापी कोविड -19 लॉकडाउन में, मुद्रास्फीति 4% से ऊपर एवं प्रायः 6% के निशान से भी ऊपर रही।
- यह समझने हेतु प्रमुख है कि आरबीआई अपने अधिदेश में किस प्रकार विफल रहा है।
मुद्रास्फीति पर विशेष एमपीसी बैठक करेगा आरबीआई: बैठक में क्या होगा?
- इस बार आरबीआई के एमपीसी सदस्य यह निर्धारित करने हेतु अपना सिर नहीं खुजलाएंगे कि मुद्रास्फीति के भूत को मारने के लिए ब्याज दरें बढ़ाई जाएं अथवा नहीं।
- इसके स्थान पर, पैनल एक सूक्ष्म एवं संभवतः विस्तृत पत्र लिखने के लिए बैठक करेगा, यह समझाने के लिए कि वे लगातार तीन तिमाहियों के लिए 2 से 6 प्रतिशत की अनिवार्य सीमा के भीतर मुद्रास्फीति को बनाए रखने के अपने अधिदेश पर क्यों विफल रहे।