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प्रतिस्थितित्व एवं धारणीयता न्यास: प्रासंगिकता
- जीएस 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह एवं भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
प्रतिस्थितित्व एवं धारणीयता न्यास: प्रसंग
- हाल ही में, आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) ने महामारी के बाद के परिदृश्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनः स्थापन हेतु 650 अरब डॉलर के एसडीआर (विशेष आहरण अधिकार) आवंटित किए हैं।
- एसडीआर को पुनः प्रणालीकृत करने के प्रयास में ताकि कमजोर निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के विकास के लिए इसका अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सके, आईएमएफ ने एक नए ट्रस्ट की स्थापना का प्रस्ताव दिया है।
- इस न्यास (ट्रस्ट) को रेसिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी ट्रस्ट (आरएसटी) नाम दिया जाएगा, वह लक्षित देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने या उनकी स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में सुधार करने में सहायता करेगा।
प्रतिस्थितित्व एवं धारणीयता न्यास: मुख्य बिंदु
- कमजोर मध्यम-आय वाले देशों के साथ-साथ निम्न-आय वाले देशों द्वारा न्याय तक पहुँचा जा सकता है एवं महामारी से अधिक धारणीय एवं न्यायसंगत वैश्विक अर्थव्यवस्था में पारगमन हेतु वित्तपोषण उपलब्ध कराएगा।
प्रतिस्थितित्व एवं धारणीयता न्यास: इसकी आवश्यकता क्यों है?
- आईएमएफ के नियतांश (कोटा) संरचना के कारण, आवंटन मुख्य रूप से उच्च एवं कुछ मध्यम आय वाले देशों में प्रवाहित होता है जो तत्काल तरलता चुनौतियों का सामना नहीं करते हैं।
- इसका तात्पर्य यह है कि यद्यपि एसडीआर का आवंटन पर्याप्त है, लेकिन यह विश्व में क्षेत्रीय असमानता का समाधान नहीं करता है, बल्कि इसे प्रवर्धित करता है।
न्यूनतम विकसित देशों की रिपोर्ट
प्रतिस्थितित्व एवं धारणीयता न्यास: लाभ
- आईएमएफ का आरएसटी विकासशील देशों को जलवायु संकट से निपटने में सहायता कर सकता है।
- जब देशों को जलवायु परिवर्तन के आर्थिक एवं वित्तीय प्रभावों से उबरने में सहायता करने की बात आती है तो आरएसटी अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्त संरचना में क्रांतिक अंतराल को भर सकता है।
- एक आरएसटी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगा एवं इस प्रक्रिया में संपूर्ण समुदाय को पीछे छोड़े बिना देश को हरित, लोचशील अर्थव्यवस्थाओं में रूपांतरित करने में सहायता करेगा।
- आईएमएफ का आय-आधारित मानदंड यह स्वीकार करने में विफल रहता है कि अनेक देश जो रियायती वित्त हेतु पात्र नहीं हैं, उन्हें भी सहायता की आवश्यकता है। आरएसटी ऐसी बहिष्करण त्रुटियों को सुधारने का एक प्रयास है।
प्रतिस्थितित्व एवं धारणीयता न्यास: सुझाव
- जलवायु प्रभावों के आर्थिक प्रभावों को दूर करने हेतु आरएसटी को जलवायु आघातों की संपूर्ण श्रृंखला से निपटने के लिए डिज़ाइन किया जाना चाहिए।
- आरएसटी के माध्यम से कोई भी महत्वपूर्ण वित्तपोषण प्रयास भी वहनीय होना चाहिए ताकि देश बढ़ते ऋणों के डर के बिना इसका उपयोग कर सकें।
- आरएसटी को देशों से नियमित पुनर्आवंटन एवं अंशदान प्राप्त करने की आवश्यकता होगी ताकि देश के रूपांतरण को अल्प कार्बन, जलवायु अनुकूल अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने योग्य बनाया जा सके।
बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (बी3डब्ल्यू)
आरएसटी को दो रीतियों पर कार्य करना चाहिए
- जलवायु आघातों का प्रत्युत्तर देने हेतु अल्पकालिक वित्त पोषण
- क्षमता निर्माण, लोचशीलता, अनुकूलन एवं उचित परिवर्तन हेतु दीर्घकालिक वित्त पोषण