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विस्मृति का अधिकार: प्रासंगिकता
- जीएस 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता।
विस्मृति का अधिकार: प्रसंग
- हाल ही में, आशुतोष कौशिक, जो एक भारतीय अभिनेता हैं, ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है कि उनके “राइट टू बी फॉरगॉटन” का हवाला देते हुए उनके वीडियो, फोटो एवं लेख इत्यादि को इंटरनेट से हटा दिया जाए।
विस्मृति का अधिकार: मुख्य बिंदु
- याचिकाकर्ता का कहना है कि “विस्मृति का अधिकार” “निजता के अधिकार“ के साथ समन्वयित है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न अंग है।
- याचिकाकर्ता का तर्क है कि उनकी पिछली गलतियों के कारण उन्हें अत्यधिक मानसिक पीड़ा हुई है क्योंकि रिकॉर्ड की गई तस्वीरें/वीडियो इंटरनेट पर प्रत्येक जगह उपलब्ध हैं।
- उनका यह भी मानना है कि विस्मृति के अधिकार का उल्लंघन का अर्थ निजता के अधिकार का उल्लंघन है, जो एक भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है।
विस्मृति का अधिकार: क्या भूल जाना सही है?
- विस्मृति (भूल जाने) का अधिकार किसी व्यक्ति का अधिकार है कि वह अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध संसाधनों जैसे कि गूगल जैसे सर्च इंजन एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे ट्विटर, फेसबुक इत्यादि से कुछ आधारों पर हटा सकता है।
विस्मृति का अधिकार: यह महत्वपूर्ण क्यों है?
- आशुतोष कौशिक जैसे मामले उसके अधिकार का प्रयोग करने खेत एक आवश्यक आधार निर्मित करते हैं क्योंकि किसी की पिछली छोटी सी गलती उन्हें बार-बार परेशान ना करें।
- प्रतिशोधात्मक अश्लील साहित्य (रिवेंज पोर्न) अपलोड जैसे मामलों के कारण आज यह आवश्यक हो गया है।
- यदि डेटा को हटाया नहीं जाता है, तो व्यक्ति पर अत्यधिक दबाव पड़ता है एवं कभी-कभी समाज से प्रतिष्ठा की हानि एवं अलगाव हो सकता है।
विस्मृति का अधिकार: क्या कहते हैं आलोचक?
- आलोचक भी इस अधिकार के पक्ष में हैं, किंतु इसकी प्रयोज्यता एवं क्रियान्वयन पर प्रश्न उठाते हैं क्योंकि यह एक अत्यंत ही व्यक्तिनिष्ठ मुद्दा है। उदाहरण के लिए, व्यक्तिगत डेटा क्या है, यह अपने आप में बहस का विषय है।
- स्वतंत्रता एवं अभिव्यक्ति के अधिकार के साथ इसके संभावित संघर्ष पर भी चिंता व्यक्त की जाती है।
- लोग इस बात से भी चिंतित हैं कि इस प्रकार के प्रतिबंधात्मक अधिकारों से अभिवेचन (सेंसरशिप) एवं इतिहास का पुनर्लेखन हो सकता है।
क्या निजता का अधिकार विस्मृति के अधिकार के समान है?
- ज्ञानमीमांसीय दृष्टि से दोनों भिन्न हैं। निजता के अधिकार का अर्थ है ऐसी जानकारी जो सार्वजनिक रूप से ज्ञात नहीं है जबकि भूल जाने के अधिकार का अर्थ है उस जानकारी को हटाना जो एक निश्चित समय पर सार्वजनिक रूप से जानी जाती थी।
भारत में विस्मृति का अधिकार
- आशुतोष कौशिक की याचिका के पश्चात, केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा भी दायर किया है कि निजता के अधिकार में “विस्मृति का अधिकार” भी सम्मिलित है।
- व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, नागरिक के डेटा की सुरक्षा के लिए एक भारतीय विधान है, जिसमें कहा गया है कि “डेटा के स्वामी (जिस व्यक्ति से डेटा संबंधित है) को डेटा विश्वासाश्रित (फिड्यूशरी) द्वारा अपने व्यक्तिगत डेटा के निरंतर प्रकटीकरण को प्रतिबंधित करने या रोकने का अधिकार होगा।
- एक डेटा विश्वासाश्रित (फिड्यूशरी) का अर्थ है कोई भी व्यक्ति, जिसमें राज्य, कोई कंपनी, कोई न्यायिक संस्था अथवा कोई भी व्यक्ति शामिल है, जो अकेले या दूसरों के साथ मिलकर व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के उद्देश्य एवं साधन को निर्धारित करता है।
- यद्यपि प्रारूप विधेयक कुछ प्रावधान उपलब्ध कराता है जिसके अंतर्गत एक डेटा प्रिंसिपल अपने डेटा को हटाने की मांग कर सकता है, उसके अधिकार डेटा संरक्षण प्राधिकरण द्वारा प्राधिकृत किए जाने के अधीन हैं।
विश्व में विस्मृति का अधिकार
- सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी ने नोट किया कि “विस्मृति के अधिकार” को प्रमुखता तब प्राप्त हुई जब मामले को 2014 में एक स्पेनिश न्यायालय द्वारा यूरोपीय संघ के कोर्ट ऑफ जस्टिस (सीजेईसी) को संदर्भित किया गया था।
- पुनः 2018 में, यूरोपियन यूनियन के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (जीडीपीआर) में, विस्मृति के अधिकार ने लोगों को संगठनों से अपने व्यक्तिगत डेटा को हटाने हेतु कहने का अधिकार प्रदान किया।