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स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार: प्रासंगिकता
- जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं अवक्रमण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।
स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार: प्रसंग
- हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक सुरक्षित, स्वच्छ, स्वस्थ एवं सतत पर्यावरण के अधिकार को मानव अधिकार के रूप में मान्यता प्रदान की है।
स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार: मुख्य बिंदु
- संकल्प पर प्रथम बार 1990 के दशक में चर्चा की गई थी, यद्यपि, यह विधिक रूप से बाध्यकारी नहीं है। फिर भी, इसमें वैश्विक मानकों को आकार देने की क्षमता है।
- यह जलवायु अधिवक्ताओं को पर्यावरण एवं मानवाधिकारों से जुड़े मामलों में तर्क प्रस्तुत करने में सहायता कर सकता है।
- यह कोस्टा रिका, मालदीव, मोरक्को, स्लोवेनिया एवं स्विट्जरलैंड द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
- इसे, पक्ष में 43 मतों के साथ पारित किया गया एवं रूस, भारत, चीन तथा जापान 4 देश तटस्थ रहे।
- मानवाधिकार परिषद ने अधिकारों पर जलवायु संकट के प्रभाव के अनुश्रवण हेतु एक विशेष प्रतिवेदक भी नियुक्त किया है।
- यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ग्लासगो, स्कॉटलैंड में महत्वपूर्ण कॉप 26 शिखर सम्मेलन से कुछ सप्ताह पूर्व आया था।
जलवायु प्रेरित प्रवासन एवं आधुनिक दासता
यह किस प्रकार सहायता करेगा?
- इस अधिकार की वैश्विक मान्यता से स्थानीय समुदायों को निम्नलिखित में सशक्त करने में सहायता होगी
- उनकी आजीविका की रक्षा,
- उनके स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा,
- पर्यावरण विनाश के विरुद्ध संस्कृति,
- यह सरकारों को सशक्त एवं अधिक सुसंगत पर्यावरण संरक्षण कानूनों एवं नीतियों का विकास करने में भी सहायक सिद्ध होगा।
शहरों द्वारा जलवायु कार्रवाई को अपनाना
पर्यावरण: एक मूलभूत अधिकार
- एक स्वस्थ वातावरण मनुष्य एवं पशुओं दोनों के लिए प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता (जीवन) के अधिकार का एक अनिवार्य पहलू है।
- स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार का उल्लंघन प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन है।
डब्ल्यूएचओ वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा निर्देश 2021
स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार: भारतीय संविधान
- अनुच्छेद 21: सुभाष कुमार वाद के मामले में, शीर्ष न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि प्रदूषण मुक्त पर्यावरण का अधिकार हमारे संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत एक मौलिक अधिकार है।
- अनुच्छेद 48 (ए) पर्यावरण की सुरक्षा एवं संवर्धन तथा वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा का प्रावधान करता है।
- अनुच्छेद 51ए नागरिकों से वनों, झीलों, नदियों एवं वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा एवं संवर्धन करने तथा जीवित प्राणियों के लिए करुणा रखने की अपेक्षा करता है।
- अनुच्छेद 253 में प्रावधान है कि ‘संसद को किसी अन्य देश के साथ किसी संधि, समझौते अथवा अभिसमय को लागू करने हेतु संपूर्ण देश या देश के किसी भी हिस्से के लिए कोई विधान निर्मित करने की शक्ति है’।
- सभी अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधियों जैसे स्टॉकहोम अभिसमय एवं जैविक विविधता पर अभिसमय, अन्य अभिसमयों के साथ भारतीय संसद द्वारा संविधान के इस अनुच्छेद के अंतर्गत हस्ताक्षर किए गए हैं।