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भारत में नदियाँ भारतीय समाज के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे न केवल सिंचाई और पेयजल का स्रोत हैं बल्कि आर्थिक परिवहन, विद्युत उत्पादन और लाखों लोगों की आजीविका का भी आधार हैं। भारत की कई प्रमुख नदियाँ यहाँ के लोगों के लिए जीवन रेखा का कार्य करती हैं।
प्रमुख नदियों में गंगा, यमुना, सिंधु, गोदावरी और ब्रह्मपुत्र शामिल हैं।अधिकांश भारतीय नदी प्रणालियाँ या तो पूर्व में बंगाल की खाड़ी या पश्चिम में अरब सागर में विलीन होती हैं। इनमें कुछ अंतर्देशीय जल निकासी प्रणालियाँ भी हैं। सहायक नदी एक ऐसी मीठे पानी की धारा होती है जो किसी बड़ी नदी या मुख्य प्रवाह में मिलती है। जहाँ सहायक नदी मुख्य नदी से मिलती है, उसे संगम कहा जाता है।
भारतीय जल अपवाह प्रणाली में छोटी-बड़ी कई नदियाँ शामिल हैं, जो देश की तीन प्रमुख भू-आकृतिक इकाइयों, उनके विकास और वर्षा की प्रकृति के अनुरूप विकसित हुई हैं।यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा हेतु भारतीय नदी प्रणाली सर्वाधिक महत्वपूर्ण टॉपिक है। इस आर्टिकल में प्रमुख नदियों एवं उनकी सहायक नदियों तथा हिमालय एवं प्रायद्वीपीय नदियों के मध्य तुलना के संबंध में विवरण दी गई हैं.
प्रमुख नदियाँ एवं उनकी सहायक नदियाँ
भारत की प्रमुख नदियाँ अपने विस्तृत जल अपवाह प्रणाली के माध्यम से यहाँ की कृषि, जल आपूर्ति के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। गंगा, यमुना, सिंधु, गोदावरी और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख नदियाँ और उनकी सहायक नदियाँ मिलकर देश की जल-आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। ये नदियाँ न केवल भौगोलिक महत्व रखती हैं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी भारतीय समाज में विशेष स्थान रखती हैं।
नदियाँ | सहायक नदियाँ |
सिंधु | झेलम, चिनाब, रावी, व्यास एवं सतलुज |
गंगा | यमुना, चंबल, सोन, दामोदर, महाकाली, घाघरा, रामगंगा, कोसी, गंडक। |
यमुना | टोंस, हिंडन, चंबल, सिंध, बेतवा, केन। |
चंबल | बनास, सिंध, बेतवा, केन। |
सोन | जोहिला, गोपद, रिहंद, कन्हार, उत्तरी कोयल। |
नर्मदा | हिरन, कोलर, बरना, मान, हटनी,बर्नर, तवा, बंजार |
ब्रह्मपुत्र | सुबंसिरी, कामेंग, बेलसीर, धनसिरी, मानस, संकोश, तीस्ता, डिब्रू, दिहिंग, कलंग, बूढ़ी, दिखू। |
महानदी | इब, हसदेव, शिवनाथ, मांड, जोंक, ओंग, तेल। |
गोदावरी | पेनगंगा, वर्धा, वेनगंगा, इंद्रावती, सबरी, मंजीरा। |
कृष्णा | कोयना, तुंगभद्रा, घाटप्रभा, मालप्रभा, भीम, मुसी। |
कावेरी | हरंगी, हेमावती, काबिनी, भवानी, अर्कावती, लक्ष्मणतीर्थ, नोय्याल और शिमसा। |
हिमालय एवं प्रायद्वीपीय नदियों के मध्य तुलना
हिमालय और प्रायद्वीपीय नदियाँ भारत की दो प्रमुख नदी प्रणालियाँ हैं, जिनकी अपनी विशिष्ट भूगोलिक, जलवायु और पारिस्थितिकी विशेषताएँ हैं। हिमालय की नदियाँ वर्षभर प्रवाहमान रहती हैं जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ मौसमी प्रवाह वाली होती हैं। ये दोनों प्रणालियाँ कृषि, जलापूर्ति और बाढ़ नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
क्रम संख्या | दृष्टिकोण | हिमालयी नदी | प्रायद्वीपीय नदी |
1. | उद्गम स्थल | हिमनदों से आच्छादित हिमालय पर्वत | प्रायद्वीपीय पठार एवं मध्य उच्च भूमि |
2. | प्रवाह की प्रकृति | बारहमासी; हिमनद एवं वर्षा से जल प्राप्त करता है | मौसमी; मानसूनी वर्षा पर निर्भर |
3. | जल अपवाह का प्रकार | पूर्वगामी एवं अनुवर्ती इसके परिणाम स्वरूप मैदानी इलाकों में वृक्षाकार प्रतिरूप की ओर अग्रसर | अध्यारोपित, पुनर्युवनित जिसके परिणामस्वरुप जालयुक्त, अरीय एवं आयताकार प्रतिरूप |
4. | नदी की प्रकृति | लंबा अपवाह मार्ग, ऊबड़-खाबड़ पर्वतों से प्रवाहित होते हुए, अभिशीर्ष अपरदन एवं नदी प्रग्रहण का सामना; मैदानी इलाकों में अपवाह मार्ग का विसर्पण एवं स्थानांतरण | अच्छी तरह से समायोजित घाटियों के साथ छोटा, निश्चित अपवाह मार्ग |
5. | जलग्रहण क्षेत्र | अत्यंत विस्तृत नदी द्रोणियां | अपेक्षाकृत छोटी नदी द्रोणियां |
6. | नदी की अवस्था | युवा एवं तरुण, सक्रिय एवं घाटियों में गहन | प्रवणित रूपरेखा वाली पुरानी नदियाँ एवं लगभग अपने चरम स्तर तक पहुँच चुकी हैं |
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