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जीनोम संपादन यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास तथा उनके अनुप्रयोग एवं दैनिक जीवन में उनके प्रभाव।
जीन संपादन: संदर्भ
- केंद्रीय पर्यावरण एवं एवं वन मंत्रालय ने हाल ही में आनुवंशिक रूप से संशोधित कुछ पौधों तथा जीवों के लिए परिवर्तनों को अपनी स्वीकृति प्रदान की है।
एसडीएन1 तथा एसडीएन2 नियमों में ढील दी गई: प्रमुख बिंदु
- परिवर्तन जीनोम-संपादित पौधों, या बिना किसी “बाह्य” जीन के जीवों को आनुवंशिक रूप से अभियंत्रित उत्पादों पर लागू प्रक्रियाओं की तुलना में एक पृथक नियामक प्रक्रिया के अधीन होने की अनुमति प्रदान करेगा।
- अनुमोदित परिवर्तन जैव प्रौद्योगिकी विभाग एवं कृषि, अनुसंधान तथा शिक्षा विभाग की सिफारिशों का अनुसरण करते हैं।
- परिवर्तन जीनोम-संपादित उत्पादों की दो श्रेणियों को – ट्रांसजेनिक उत्पादों के रूप में व्यवहार किए जाने से उन्मुक्ति प्रदान करेंगे – जिसमें जीन में सुधार किया जाता है किंतु किसी अन्य जीव से अन्तर्स्थापित नहीं किया जाता है।
- नए दिशा निर्देश में कहा गया है कि एसडीएन1 तथा एसडीएन2 जीनोम-संपादित उत्पाद जो बहिःप्रेरित (एक्सोजेनस) पुरःस्थापित किए गए डीएनए से मुक्त हैं, उन्हें जैव सुरक्षा मूल्यांकन से उन्मुक्ति प्रदान की जाएगी।
- इसके साथ, भारत में अब ऐसी प्रौद्योगिकियों के लिए एक पृथक नियामक प्रक्रिया है जो उन्हें जीन अभियांत्रिकी मूल्यांकन समिति (जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमिटी/जीईएसी) के दायरे से बाहर ले जाती है।
- जीईएसी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज/MoEF&CC) के तहत एक वैधानिक निकाय है। यह सर्वोच्च तकनीकी निकाय है जो जीएम उत्पाद को व्यावसायिक लोकार्पण हेतु सुरक्षित प्रमाणित करता है।
एसडीएन1 तथा एसडीएन2 नियमों में शिथिलता
- प्रस्तावित परिवर्तनों को अवैज्ञानिक एवं जोखिम भरा माना गया है।
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1989 के नियमों के अनुसार जीनोम संपादन को पूर्ण रूप से न कि चयनात्मक रूप से GEAC द्वारा विनियमित किया जाना है।
- इसके अतिरिक्त, यह संभवतः क्रिस्पर (क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पालिंड्रोमिक रिपीट/CRISPR) जैसी तकनीकों के आसपास एक ध्रुवीकरण बहस को जोड़ देगा।
जीनोम एडिटिंग: बेसिक्स पर वापस जाएं
- जीनोम एडिटिंग क्या है: जीनोम एडिटिंग एक ऐसी विधि है जो वैज्ञानिकों को पौधों, जीवाणुओं (बैक्टीरिया) तथा पशुओं सहित कई जीवों के डीएनए को परिवर्तित करने देती है। यह डीएनए संपादन आंखों के रंग जैसे शारीरिक लक्षणों में बदलाव ला सकता है एवं यहां तक कि रोगों के जोखिम को भी कम कर सकता है।
- जीन-संपादन की तीन श्रेणियां हैं: एसडीएन1, एसडीएन2 और एसडीएन3।
- एसडीएन का अर्थ साइट- डायरेक्टेड न्यूक्लिएज है एवं पश्चातवर्ती जीनोम संपादन को प्रभावित करने के लिए डीएनए स्ट्रैंड्स को विभाजित करने के अभ्यास को संदर्भित करता है।
- एसडीएन1 तथा एसडीएन2 में व्यापक पैमाने पर “नॉकिंग ऑफ” या “ओवरएक्सप्रेसिंग” , बिना बाहर से जीन सामग्री को सम्मिलित किए एक जीनोम में कुछ लक्षण शामिल होते हैं। नवीन परिवर्तनों के पश्चात इसे जीएमओ नहीं माना जाएगा।
- एसडीएन3 में बाह्य जीनों का सम्मिलन शामिल होगा। इसे जीएमओ के रूप में माना जाएगा।