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रुपये का अवमूल्यन: प्रासंगिकता
- जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं नियोजन, संसाधन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
रुपये का अवमूल्यन: प्रसंग
- भारतीय बाजार से विदेशी मुद्रा के बहिर्वाह के कारण भारतीय रुपया के 2021 में एशिया की सर्वाधिक निराशाजनक प्रदर्शन करने वाली मुद्रा के रूप में होने की संभावना है।
- सबसे अधिक क्षेत्रीय बाजारों में, वैश्विक फंडों ने भारत के शेयर बाजार से 4 अरब डॉलर की पूंजी निकाली, जिससे इस तिमाही में भारतीय रुपये में 2% की गिरावट आई।
विदेशी मुद्रा के बहिर्वाह के कारण
- प्रत्याशा (आउटलुक) का कम होना: गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक एवं नोमुरा होल्डिंग्स इंक ने हाल ही में ऊंचे मूल्यांकन के कारण इक्विटी हेतु अपनी प्रत्याशा (आउटलुक) को कम किया है।
- व्यापार घाटा: भारत एक उच्च चालू खाता घाटे का अनुभव कर रहा है जिससे रिकॉर्ड-उच्च व्यापार घाटा हो रहा है।
- नीतिगत विचलन: फेडरल रिजर्व के साथ आरबीआई के नीतिगत विचलन के कारण भी भारत से विदेशी भंडार का बहिर्वाह हुआ है।
रुपये का अवमूल्यन/मूल्यह्रास क्या है?
- मुद्रा का अवमूल्यन, हमारे मामले में रुपये, का अर्थ है कि घरेलू मुद्रा विदेशी मुद्राओं के मुकाबले अपना मूल्य/महत्त्व खो रही है।
- एक वस्तु की तरह, एक मुद्रा मांग एवं आपूर्ति में उतार-चढ़ाव (एक अस्थायी विनिमय दर प्रणाली में) के अधीन है।
- चूंकि अमेरिकी डॉलर (यूएसडी) विश्व में सर्वाधिक कारोबार वाली मुद्रा है, भारतीय रुपए सहित अधिकांश मुद्राओं को, यूएसडी के मुकाबले बेंचमार्क किया जाता है।
- उदाहरण के लिए, यदि रुपया 70 से 75 तक गिर जाता (अवमूल्यन) है, तो इसका अर्थ है कि पहले जब हम 1 अमेरिकी डॉलर के उत्पाद को खरीदने के लिए 70 रुपये का भुगतान करते थे, अब हम उसी उत्पाद को खरीदने के लिए 75 रुपये का भुगतान कर रहे हैं। यद्यपि, निर्यात के मामले में, इसका अर्थ है कि हमें 1 अमरीकी डालर के उत्पाद को बेचने के लिए 70 रुपये के स्थान पर 75 रुपये प्राप्त होंगे।
क्या रुपये का अवमूल्यन बुरा है?
- रुपये का अवमूल्यन एक दोधारी तलवार है।
- सामान्य परिस्थितियों में कमजोर मुद्रा से निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना होती है, जिससे देश में विदेशी मुद्रा में वृद्धि होगी।
- यद्यपि, यह मुद्रास्फीति (उच्च आयात के कारण) का जोखिम भी उत्पन्न करता है एवं केंद्रीय बैंक हेतु लंबी अवधि के लिए कम ब्याज दरों को बनाए रखना मुश्किल बना सकता है।
- अतः, चीन जैसे निर्यात संचालित देश के लिए रुपये का अवमूल्यन अच्छी बात है। भारत के लिए, यद्यपि, अवमूल्यन (मूल्यह्रास) अच्छा नहीं है क्योंकि हम एक आयात-निर्भर देश हैं, और ऐसे मामलों में, अवमूल्यन (मूल्यह्रास) से भारत से विदेशी मुद्रा का बहिर्वाह होता है।
रुपये का अवमूल्यन: आगे की राह
- भारत की सबसे बड़ी आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (इनिशियल पब्लिक ऑफर) – भारतीय जीवन बीमा निगम सहित कंपनियों में शेयरों की बिक्री के कारण आने वाली तिमाही में विदेशी प्रवाह में संभावित व्युत्क्रमण देखा जा सकता है।