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डिजिटल उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु संचार साथी पोर्टल का विमोचन गया

संचार साथी पहल: संचार साथी पोर्टल के उद्विकास का उद्देश्य धोखाधड़ी गतिविधियों जैसे पहचान की चोरी, जाली केवाईसी तथा बैंकिंग सेक्टर में धोखाधड़ी इत्यादि को रोकना है। संचार साथी पोर्टल यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं यूपीएससी  मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- समस्याओं को हल करने हेतु विभिन्न सरकारी पहल) के लिए भी महत्वपूर्ण है।

संचार साथी पोर्टल चर्चा में क्यों है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण को पूरा करते हुए, संचार, रेलवे एवं इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, श्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में संचार साथी पोर्टल का शुभारंभ किया, जिसमें एक अभिन्न पहलू के रूप में उपयोगकर्ता रक्षा तथा सुरक्षा के महत्व पर बल दिया गया।

संचार साथी पोर्टल से संबंधित विवरण

मोबाइल फोन के दुरुपयोग से पहचान की चोरी, जाली केवाईसी एवं बैंकिंग धोखाधड़ी सहित विभिन्न धोखाधड़ी हो सकती है। इन मुद्दों से निपटने के लिए, संचार साथी पोर्टल के प्रारंभ का उद्देश्य ऐसी धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकना है।

  • संचार साथी पोर्टल के उपयोग के परिणामस्वरूप 40 लाख से अधिक फर्जी कनेक्शनों की पहचान हुई है, जिनमें से 36 लाख से अधिक कनेक्शन पहले ही काटे जा चुके हैं।
  • संचार साथी पोर्टल नागरिकों को निम्नलिखित की अनुमति प्रदान करता है:
    • उनके नाम पर पंजीकृत कनेक्शनों की जांच करने
    • कपटपूर्ण या अनावश्यक कनेक्शन की रिपोर्ट करने
    • चोरी/गुम हो चुके मोबाइल फोन को ब्लॉक करने
    • मोबाइल फोन खरीदने से पहले IMEI की सत्यता जांच लें

संचार साथी पोर्टल की आवश्यकता

117 करोड़ ग्राहकों के साथ, भारत विश्व में दूसरे सबसे बड़े दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में उभरा है। संचार के अतिरिक्त, मोबाइल फोन का उपयोग बैंकिंग, मनोरंजन, ई-लर्निंग, स्वास्थ्य सेवा, सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने इत्यादि के लिए किया जा रहा है।

  • अतः यह महत्वपूर्ण है कि उपयोगकर्ताओं को पहचान की चोरी, जाली केवाईसी, मोबाइल उपकरणों की चोरी, बैंकिंग धोखाधड़ी इत्यादि जैसी विभिन्न धोखाधड़ियों से बचाया जाए।
  • उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए, दूरसंचार विभाग ने संचार साथी नामक एक नागरिक केंद्रित पोर्टल विकसित किया है।

दूरसंचार विभाग द्वारा विकसित मॉड्यूल

केंद्रीकृत उपकरण पहचान रजिस्टर (सेंट्रलाइज्ड इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर/सीईआईआर)

  • यदि कोई मोबाइल उपकरण चोरी अथवा गुम हो जाता है, तो उपयोगकर्ता पोर्टल पर आईएमइआई (IMEI) सबमिट जमा कर सकता है।
  • उपयोगकर्ता द्वारा पुलिस शिकायत की एक प्रति के साथ प्रस्तुत की गई जानकारी को तब सत्यापित किया जाता है।
  • सिस्टम दूरसंचार सेवा प्रदाताओं एवं कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ एकीकृत है।
  • एक बार जानकारी सत्यापित हो जाने के बाद, सिस्टम चोरी हुए मोबाइल फोन को भारतीय नेटवर्क में उपयोग करने से रोकता है।
  • यदि कोई चोरी हुए उपकरण का उपयोग करने का प्रयत्न करता है, तो सिस्टम कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उपकरण का पता लगाने की अनुमति देता है।
  • जब चोरी हुआ उपकरण बरामद हो जाता है, तो उपयोगकर्ता उस उपकरण को पोर्टल पर अनलॉक कर सकता है।
  • सिस्टम चोरी/खोए हुए मोबाइल के उपयोग को रोकता है।
  • यह भारतीय नेटवर्क में गलत अथवा जाली आईएमईआई वाले मोबाइल उपकरणों के उपयोग को भी रोकता है।

अपने मोबाइल को जानें

  • यह नागरिकों को उनके मोबाइल उपकरण के आईएमईआई की सत्यता की जांच करने की सुविधा प्रदान करता है।

धोखाधड़ी प्रबंधन एवं उपभोक्ता संरक्षण हेतु टेलीकॉम एनालिटिक्स (टेलीकॉम एनालिटिक्स फॉर फ्रॉड मैनेजमेंट एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन/TAFCOP)

  • यह उपयोगकर्ता को कागज आधारित दस्तावेजों का उपयोग करके उस व्यक्ति के नाम पर लिए गए मोबाइल कनेक्शनों की संख्या की जांच करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • उपयोगकर्ता पोर्टल पर अपना मोबाइल नंबर दर्ज करता है एवं ओटीपी का उपयोग करके प्रमाणित करता है।
  • सिस्टम कागज आधारित दस्तावेजों (जैसे कागज आधारित आधार, पासपोर्ट, इत्यादि) का उपयोग करके उस व्यक्ति के नाम पर लिए गए कुल कनेक्शनों को दिखाती है।
  • सिस्टम उपयोगकर्ताओं को कपटपूर्ण कनेक्शनों की रिपोर्ट करने की अनुमति प्रदान करती है।
  • यह उपयोगकर्ताओं को उन कनेक्शनों को ब्लॉक करने की भी अनुमति देता है जिनकी आवश्यकता नहीं है।
  • एक बार उपयोगकर्ताओं द्वारा रिपोर्ट किए जाने के बाद, सिस्टम पुन: सत्यापन प्रक्रिया को प्रारंभ करता है, एवं कनेक्शन समाप्त हो जाते हैं।

ASTR (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड फेशियल रिकॉग्निशन पावर्ड सॉल्यूशन फॉर टेलीकॉम सिम सब्सक्राइबर वेरिफिकेशन)

  • नकली/जाली दस्तावेजों का उपयोग करके प्राप्त मोबाइल कनेक्शन का उपयोग साइबर-धोखाधड़ी के लिए किया जाता है।
  • इस खतरे पर अंकुश लगाने के लिए, दूरसंचार विभाग ने धोखाधड़ी/जाली दस्तावेजों का उपयोग करके जारी किए गए सिम की पहचान करने हेतु कृत्रिम प्रज्ञान (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/एआई) संचालित उपकरण – एएसटीआर विकसित किया है।
  • अस्त्र (ASTR) ने चेहरे की पहचान एवं आंकड़ा वैश्लेषिकी (डेटा एनालिटिक्स) की विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया।
  • प्रथम चरण में कागज आधारित केवाईसी वाले कनेक्शनों का विश्लेषण किया गया।

ASTR के उपयोग द्वारा प्राप्त सफलता

  • प्रथम चरण में 87 करोड़ से अधिक मोबाइल कनेक्शनों का विश्लेषण किया गया।
  • इतने बड़ी संख्या में आंकड़ा संसाधन (डेटा प्रोसेसिंग) के लिए परम-सिद्धि सुपर कंप्यूटर का उपयोग किया गया था।
  • अनेक मामलों का पता चला जहां एक तस्वीर का उपयोग सैकड़ों कनेक्शन प्राप्त करने के लिए किया गया था।
  • कुल 40.87 लाख संदिग्ध मोबाइल कनेक्शन का पता चला।
  • सत्यापन के पश्चात 36.61 लाख कनेक्शन पहले ही काटे जा चुके हैं। शेष प्रक्रियाधीन हैं।
  • ऐसे मोबाइल कनेक्शन बेचने में शामिल 40,123 प्वाइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) को सेवा प्रदाताओं द्वारा काली सूची (ब्लैक लिस्ट) में डाल दिया गया है तथा संपूर्ण भारत में 150 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।
  • इन नंबरों को उनके खातों से अलग करने के लिए डिस्कनेक्ट किए गए नंबरों का विवरण बैंकों, पेमेंट वॉलेट तथा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ साझा किया गया है।

 

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