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एसबीएम 2.0 एवं अमृत 2.0 की प्रासंगिकता
- जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतःक्षेप
एसबीएम 2.0 एवं अमृत 2.0: प्रसंग
- हाल ही में, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने एसबीएम 0 एवं अमृत 2.0 की शुरुआत की है
- शहरी क्षेत्रों के रूपांतरण हेतु।
एसबीएम 2.0
- अगले 5 वर्षों में एसबीएम-यू 0 का फोकस स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के प्राप्त परिणामों को बनाए रखने और उत्पन्न गति को तेज करने पर होगा, इस प्रकार शहरी भारत को ‘स्वच्छता’ के अगले स्तर पर ले जाएगा।
एसबीएम 2.0: वित्तीय परिव्यय
- एसबीएम- यू 0 के लिए 1,41,600 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय को अंतिम रूप प्रदान किया गया है, जिसमें 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए 36,465 करोड़ रुपए का केंद्रीय हिस्सा शामिल है, जो मिशन के अंतिम चरण में 62,009 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय से 2.5 गुना अधिक है।
एसबीएम 2.0: प्रवासी कामगारों के लिए प्रावधान
- मिशन आगामी 5 वर्षों में रोजगार एवं बेहतर अवसरों की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में प्रवास करने वाली अतिरिक्त आबादी की सेवा के लिए स्वच्छता सुविधाओं तक पूर्ण पहुंच सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- यह 5 लाख से अधिक व्यक्तिगत, सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से किया जाएगा।
एसबीएम 2.0 : नया घटक
- 1 लाख से कमजनसंख्या वाले शहरों में पूर्ण तरल अपशिष्ट प्रबंधन यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी अपशिष्ट जल सुरक्षित रूप से अंतर्विष्ट, एकत्रित, परिवहन एवं उपचार किया जाता है ताकि कोई अपशिष्ट जल हमारे जल निकायों को प्रदूषित न करे।
एसबीएम 2.0: अन्य महत्वपूर्ण अंतःक्षेप
- सतत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तहत स्रोत पृथक्करण पर अधिक बल दिया जाएगा।
- एकल उपयोग(सिंगल यूज) प्लास्टिक को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने पर फोकस के साथ मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज एवं वेस्ट प्रोसेसिंग फैसिलिटीज की स्थापना की जाएगी।
- विनिर्माण एवं उत्पाटन अपशिष्ट प्रसंस्करण संस्थानों की स्थापना की जाएगी एवं राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शहरों तथा 5 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में यांत्रिक सफाई कर्मी (मैकेनिकल स्वीपर) परिनियोजित किए जाएंगे।
- सभी पुराने कचरा स्थलों (डंपसाइटों) का उपचार मिशन का एक अन्य प्रमुख घटक होगा।
- व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण एवं सुरक्षा किट, सरकारी कल्याण योजनाओं के साथ जुड़ाव के साथ-साथ उनकी क्षमता निर्माण के माध्यम से स्वच्छता एवं अनौपचारिक सफाई कर्मियों के कल्याण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
एसबीएम 2.0: उद्देश्य
- सभी वैधानिक शहर कम से कम ओडीएफ+; एवं <1 लाख आबादी वाले सभी शहर ओडीएफ++ हो जाएंगे।
- प्रणालियां तथा प्रक्रियाएं मौजूद होंगी ताकि समस्त अपशिष्ट जल को सुरक्षित रूप से उपचारित किया जा सके एवं इष्टतम रूप से पुनः: उपयोग किया जा सके तथा कोई भी अनुपचारित अपशिष्ट जल जल निकायों को प्रदूषित न करे।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में, यह अपेक्षा की जाती है कि सभी शहर एसबीएम-यू 0 के तहत कम से कम 3-स्टार अपशिष्ट/कचरा मुक्त प्रमाणन प्राप्त करेंगे।
अमृत 2.0
- अमृत 0 का लक्ष्य लगभग 4,700 कस्बों एवं शहरों को ‘जल निरापद‘ बनाना है।
- यह जल की आवश्यकताओं को पूर्ण करने, जल निकायों को पुनः जीवंत करने, जलभृतों का बेहतर प्रबंधन करने, उपचारित अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग करने हेतु अमृत की प्रगति पर आधारित होगा, जिससे जल की एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा।
भारत में शहरी नियोजन क्षमता में सुधारों पर रिपोर्ट
अमृत 2.0: वित्तीय परिव्यय
- अमृत 0 का कुल परिव्यय 2,97,000 करोड़ रुपए है, जिसमें 76,760 करोड़ रुपए का केंद्रीय हिस्सा सम्मिलित है। इसमें मार्च 2023 तक अमृत मिशन को वित्तीय सहायता जारी रखने हेतु 10,000 करोड़ रुपए का केंद्रीय हिस्सा एवं अन्य 10,000 करोड़ रुपए का राज्यों का हिस्सा शामिल है।
अमृत 2.0: मुख्य विशेषताएं
- यह योजना 100% शहरी भारत को आच्छादित करते हुए, 1 लाख से अधिक आबादी वाले 500 शहरों से लेकर समस्त 4,372 शहरों तक पहुंच जाएगी।
- यह उपचारित सीवेज के पुनर्चक्रण/पुन: उपयोग, जल निकायों के कायाकल्प एवं जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, प्रत्येक शहर के लिए शहर जल संतुलन योजना के निर्माण के माध्यम से जल की एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन प्रदान करेगा।
- पेपरलेस मिशन के जरिए डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- जल के समान वितरण, अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग एवं जल की मात्रा तथा गुणवत्ता के संबंध में जल निकायों का मानचित्रण एक चुनौती प्रक्रिया के माध्यम से सुनिश्चित करने हेतु शहरों में पेयजल सर्वेक्षण किया जाएगा। जल के लिए प्रौद्योगिकी उप-मिशन जल के क्षेत्र में नवीनतम वैश्विक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाएगा।
अमृत 2.0: उद्देश्य
- अमृत 0 का लक्ष्य 2.68 करोड़ शहरी घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करके लगभग 4,700 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में सभी घरों में जल की आपूर्ति का 100% आच्छादन प्रदान करना है, जिससे लगभग 10.7 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे।
- यह 64 करोड़ सीवर कनेक्शन/सेप्टेज कनेक्शन प्रदान करके 500 अमृत शहरों में सीवरेज एवं सेप्टेज का 100% आच्छादन प्रदान करेगा, जिससे लगभग 10.6 करोड़ लोगों को लाभ प्राप्त होगा।
- धारणीय स्वच्छ जल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए जल निकायों का कायाकल्प एवं शहरी जलभृत प्रबंधन किया जाएगा। उपचारित अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण तथा पुनः: उपयोग से शहरों की जल की कुल आवश्यकताओं का 20% तथा औद्योगिक मांग का 40% पूरा होने की संभावना है।
- इस मिशन के तहत प्राकृतिक संसाधनों को धारणीय बनाने हेतु स्वच्छ जल निकायों को प्रदूषित होने से संरक्षित किया जाएगा।
- यह मिशन स्टार्ट-अप एवं उद्यमियों को प्रोत्साहित करके आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना चाहता है।
- यह मिशन सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ावा देगा।
- 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि वे अपने कुल परियोजना निधि आवंटन के न्यूनतम 10 प्रतिशत की पीपीपी परियोजनाएं प्रारंभ करें जो वार्षिकी/हाइब्रिड वार्षिकी/बीओटी मॉडल परआधारित हो सकती हैं।