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डीएनटी के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए योजना (सीड)

 डीएनटी के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए योजना: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

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डीएनटी के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए योजना: संदर्भ

  • हाल ही में, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने विमुक्त जनजातियों ( डिनोटिफाइड ट्राइब्स/डीएनटी), खानाबदोश जनजातियों (नोमेडिक ट्राइब्स/एनटी) एवं अर्ध घुमंतू जनजातियों के कल्याण के लिए डीएनटी (सीड) के आर्थिक सशक्तिकरण की योजना प्रारंभ की है।

 

 सीड योजना: 4 घटक

  • शैक्षिक सशक्तिकरण- इन समुदायों के छात्रों को सिविल सेवा, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, एमबीए क्या दी जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु निशुल्क कोचिंग।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के पीएम-जय के माध्यम से स्वास्थ्य बीमा
  • आय सृजन का समर्थन करने के लिए आजीविका, एवं
  • आवास (पीएमएवाई/आईएवाई के माध्यम से)

 

सीड योजना की विशेषताएं

  • यह योजना 2021-22 से प्रारंभ होने वाले पांच वर्षों में खर्च किए जाने वाले 200 करोड़ रुपये के व्यय को सुनिश्चित करेगी।
  • डीडब्ल्यूबीडीएनसी (डेवलपमेंट एंड वेलफेयर बोर्ड फॉर डिनोटिफाइड, नोमेडिक एंड सेमी नोमेडिक कम्युनिटीज/विकास और कल्याण बोर्ड विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदाय) को इस योजना के कार्यान्वयन का कार्य सौंपा गया है।
  • विभाग द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है जो निर्बाध पंजीकरण सुनिश्चित करेगा तथा इन समुदायों पर डेटा के भंडार के रूप में भी कार्य करेगा।

 

भारत में डीएनटी, एनटीएसएनटी

स्वतंत्रता से पूर्व 

  • डीएनटी, एनटी,  एसएनटी भारत में सर्वाधिक वंचित एवं आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों में से एक हैं।
  • इन समुदायों की दयनीयता ब्रिटिश शासन के दौरान आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 के अधिनियमन के साथ प्रारंभ हुई।
  • इन समुदायों को अधीन किया गया, सताया गया तथा उपेक्षित किया गया। औपनिवेशिक सरकार की नीतियों ने इनके जीवन एवं आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
  • विभिन्न औपनिवेशिक कृत्यों के तहत उन्हें अपराधियों के रूप में ब्रांडेड किया गया, जिसके कारण उनके पारंपरिक व्यवसायों तथा आवासों से बलपूर्वक अलगाव हुआ।

 

स्वतंत्रता के पश्चात

  • इन समुदायों की समस्याओं की जांच पड़ताल करने के लिए अक्टूबर 2003 में पहला आयोग स्थापित किया गया था। रेनके आयोग की स्थापना 2008 में हुई थी।
  • इन समुदायों के नियोजित विकास के लिए 2015 में श्री भिकू रामजी इदाते की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आयोग का गठन किया गया था।
  • इस आयोग की संस्तुतियों के आधार पर, भारत सरकार ने 2019 में डीएनटी, एसएनटी एवं एनटी (डीडब्ल्यूबीडीएनसी) के लिए विकास एवं कल्याण बोर्ड की स्थापना की।
  • सरकार ने इन समुदायों के सशक्तिकरण के लिए एक व्यापक योजना  निर्मित करने का भी निर्णय लिया है  एवं तदनुसार, डीएनटी, एसएनटी तथा एनटी (सीड) के आर्थिक सशक्तिकरण की योजना को चार घटकों के साथ तैयार किया गया है जो उनकी आजीविका को प्रभावित करते हैं।

 

भारत में डीएनटी कौन है?

  • विमुक्त जनजातियां’ (‘डी-नोटिफाइड ट्राइब्स‘) शब्द उन सभी समुदायों के लिए है, जिन्हें कभी ब्रिटिश राज द्वारा 187l एवं I947 के मध्य लागू किए गए क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के तहत अधिसूचित किया गया था।
  • इन अधिनियमों को स्वतंत्र भारत सरकार द्वारा l952 में निरस्त कर दिया गया था एवं इन समुदायों को “डी-नोटिफाइड” कर दिया गया था। इनमें से कुछ समुदाय जिन्हें विमुक्त के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, वे भी खानाबदोश (नोमेडिक) थे।

 

डीएनटी, एनटी एवं  एसएनटी के मध्य अंतर

  • खानाबदोश (नोमेडिक) एवं अर्ध-खानाबदोश (सेमी नोमेडिक) जैसे शब्द उन सामाजिक समूहों पर लागू होते हैं जिन्होंने हाल के दिनों में अपनी आजीविका रणनीति के हिस्से के रूप में काफी हद तक लगातार,  सामान्य तौर पर मौसमी शारीरिक गतिविधियां की।
  • अर्ध-घुमंतू शब्द अधिकांशतः खानाबदोशों के उन वर्गों का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता है जिनकी अवधि, दूरी एवं गतिविधि की आवृत्ति दूसरों की तुलना में तुलनात्मक रूप से कम होती है।
  • खानाबदोशों एवं अर्ध-खानाबदोशों के मध्य विभेद में विशिष्ट नृजातीय श्रेणियां या सामाजिक समूह सम्मिलित नहीं हैं, बल्कि यह उनके द्वारा अभ्यास की जाने वाली गतिशीलता की मात्रा का वर्णन करता है।

 

भारत में डीएनटी की स्थिति

  • भारत में, लगभग 10 प्रतिशत जनसंख्या विमुक्त एवं खानाबदोश है।
  • जबकि विमुक्त जनजातियों की संख्या लगभग 150 है, घुमंतू जनजातियों की जनसंख्या में लगभग 500 विभिन्न समुदाय शामिल हैं।
  • जबकि विमुक्त जनजातियां देश के विभिन्न राज्यों में लगभग बस गई हैं, खानाबदोश समुदाय अपने पारंपरिक व्यवसायों की खोज में बड़े पैमाने पर खानाबदोश बने हुए हैं।

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भारत में डीएनटी के लिए योजनाएं

  • डीएनटी के लिए अम्बेडकर मैट्रिक- पूर्व एवं मैट्रिक- पश्चात छात्रवृत्ति: यह केंद्र प्रायोजित योजना. 2014-15 से उन डीएनटी छात्रों के कल्याण के लिए संचालित है, जो एससी, एसटी या ओबीसी के अंतर्गत नहीं आते हैं।
  • नानाजी देशमुख डीएनटी बालकों एवं बालिकाओं के लिए छात्रावासों के निर्माण की योजना। यह केंद्र प्रायोजित योजना. 2014-15 से संचालित है जिसका उद्देश्य उन डीएनटी छात्रों को छात्रावास की सुविधा प्रदान करना है; जो एससी, एसटी या ओबीसी के अंतर्गत नहीं आते हैं; ताकि वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।
  • वर्ष 2017-18 से, “अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कल्याण के लिए कार्य कर रहे स्वैच्छिक संगठनों को सहायता” योजना को डीएनटी एवं ईबीसी के लिए विस्तारित कर दिया गया है।

 

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