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एसएचजी यूपीएससी
एसएचजी क्या है?
- स्वयं सहायता समूह उन व्यक्तियों का अनौपचारिक संघ है जो अपने जीवन निर्वाह की स्थिति में सुधार के तरीके खोजने के लिए एक साथ आते हैं।
- एसएचजी सदस्यों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि आम तौर पर समान होती है।
- वे निर्धनों, विशेष रूप से महिलाओं के मध्य सामाजिक पूंजी निर्मित करने में सहायता करते हैं।
- ऐसे समूह उन सदस्यों के लिए सामूहिक गारंटी प्रणाली के रूप में कार्य करते हैं जो संगठित स्रोतों से ऋण लेने का विचार करते हैं।
- परिणामस्वरूप, स्वयं सहायता समूह निर्धनों को सूक्ष्म वित्त सेवाएं प्रदान करने हेतु सर्वाधिक प्रभावी तंत्र के रूप में उभरे हैं।
- एसएचजी के उदाहरण: गुजरात में सेवा, कर्नाटक में मायराडा, तमिलनाडु में तनवा, झारखंड में रामकृष्ण मिशन, बिहार में अदिति।
एसएचजी
- अपने सदस्यों को बचत करने हेतु प्रोत्साहित करने तथा प्रेरित करने के लिए,
- उन्हें अतिरिक्त आय के सृजन के लिए एक सामूहिक योजना निर्मित करने हेतु राजी करना,
- औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुंचने के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करना।
एसएचजी के लाभ
- पैसे बचाने में प्रतिभागियों को पारस्परिक सहयोग प्रदान करता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण वितरण के लिए समूह निर्माण एक सुविधाजनक साधन बन गया है।
- समाज में तथा साथ ही परिवार में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने में गुणक प्रभाव।
- अनौपचारिक साहूकारों पर निर्भरता कम करने में योगदान देता है।
- एसएचजी ने प्रतिभागी परिवारों को गैर-ग्राहक परिवारों तुलना में शिक्षा पर अधिक व्यय करने में सक्षम बनाया है। ।
- एसएचजी के माध्यम से वित्तीय समावेशन से बाल मृत्यु दर में कमी आई है, मातृ स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।
एसएचजी की सीमाएँ
- दृष्टिकोण के विपरीत, एसएचजी सदस्य अनिवार्य रूप से सर्वाधिक निर्धन परिवारों से नहीं आते हैं।
- क्या आर्थिक लाभ निर्धनों में गुणात्मक परिवर्तन लाने हेतु पर्याप्त हैं, यह अभी भी बहस का विषय है।
- एसएचजी सदस्यों द्वारा संपादित की जाने वाली कई गतिविधियां साधारण कौशल पर आधारित होती हैं।
- वित्तीय मुद्दे जैसे
- खराब बहीखाता
- एसएचजी बचत बैंक में निष्क्रिय धन
- सामाजिक एवं उपभोग की आवश्यकताओं के लिए ऋण का विपथन (डायवर्जन)
- समूह गतिविधियों को स्वीकार करने के प्रति अनिच्छा
एसएचजी को प्रभावी बनाने के उपाय
- सरकार को भारत में एसएचजी आंदोलन की वृद्धि एवं विकास के लिए एक सहायक वातावरण निर्मित करना चाहिए।
- एसएचजी का विस्तार मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश एवं उत्तर पूर्वी राज्यों जैसे ऋण की कमी वाले क्षेत्रों में किया जाना चाहिए।
- शहरीकरण में तीव्र वृद्धि से पीड़ित शहरी निर्धनों की आय सृजन क्षमताओं को बढ़ाने के भी प्रयास किए जाने चाहिए।
- सरकारी पदाधिकारियों को निर्धनों एवं उपेक्षित व्यक्तियों के साथ एक जिम्मेदार ग्राहक तथा एक संभावित उद्यमी के रूप में व्यवहार करना चाहिए।
- प्रत्येक राज्य में एक अलग एसएचजी अनुश्रवण (निगरानी) प्रकोष्ठ स्थापित करने की आवश्यकता है।
- इन प्रकोष्ठों का जिला एवं प्रखंड स्तरीय निगरानी प्रणालियों से प्रत्यक्ष रुप से संबंधित होना चाहिए।
- वाणिज्यिक बैंकों एवं नाबार्ड को राज्य सरकार के सहयोग से एसएचजी समूहों के लिए निरंतर नए वित्तीय उत्पाद तैयार करने की आवश्यकता है।
ई-शक्ति कार्यक्रम के बारे में
- ई-शक्ति नाबार्ड द्वारा देश में सभी स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के डिजिटलीकरण के लिए एक कार्यक्रम है। यह परियोजना देश भर के 100 जिलों में क्रियान्वित की जा रही है।
ई-शक्ति के उद्देश्य
इस परियोजना का उद्देश्य सभी एसएचजी खातों का डिजिटलीकरण करना है ताकि एसएचजी सदस्यों को वित्तीय समावेशन के दायरे में लाया जा सके जिससे उन्हें वित्तीय सेवाओं के व्यापक परिसर (रेंज) तक पहुंचने में सहायता प्राप्त हो सके, साथ ही क्रेडिट मूल्यांकन एवं लिंकेज में निम्नलिखित तरीकों से बैंकरों की सुविधा में वृद्धि हो सके:
- एसएचजी सदस्यों को राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन एजेंडा के साथ एकीकृत करना;
- उपलब्ध तकनीक का उपयोग करके बैंकिंग सेवाओं के कुशल एवं परेशानी रहित वितरण के लिए एसएचजी सदस्यों एवं बैंकों के मध्य अंतरापृष्ठ (इंटरफेस) की गुणवत्ता में सुधार;
- आधार सहलग्न पहचान का उपयोग करते हुए स्वयं सहायता समूहों के साथ वितरण प्रणाली के अभिसरण को सुगम बनाना।