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सागरमाला कार्यक्रम यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 3: आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।
सागरमाला कार्यक्रम: प्रसंग
- हाल ही में, बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय ने सागरमाला कार्यक्रम के सफल सात वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया।
सागरमाला कार्यक्रम की सफलता
- इस आयोजन का मुख्य आकर्षण विगत 7 वर्षों के दौरान बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम के अनुकरणीय प्रदर्शन को प्रदर्शित करना था।
- गुणवत्तापूर्ण सेवा वितरण ने बंदरगाहों पर प्रतिवर्तन काल/टर्नअराउंड टाइम (कंटेनरों) को 2013-14 में 44.70 घंटे से 58 घंटे तक कम कर दिया है।
- मंत्रालय के रिपोर्ट कार्ड में सागरमाला कार्यक्रम के तहत 5.48 लाख करोड़ रुपये की 802 परियोजनाओं को प्रदर्शित किया गया है, जिन्हें 2035 तक क्रियान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 99,000 करोड़ रुपये की 194 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
- पीपीपी मॉडल के तहत 45,000 करोड़ रुपये की कुल 29 परियोजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया है, जिससे सरकारी कोष पर वित्तीय बोझ कम हुआ है।
- कौशल विकास: सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन मैरीटाइम एंड शिप बिल्डिंग (सीईएमएस) जिसने स्थापना के बाद से 50+ पाठ्यक्रमों में 5000 से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है।
- पोर्ट कनेक्टिविटी, कार्यक्रम का एक अन्य महत्वपूर्ण घटक है, इसके दायरे में 80 परियोजनाएं हैं।
सागरमाला परियोजना क्या है?
- सागरमाला कार्यक्रम 14,500 किलोमीटर लंबे संभावित नौगम्य जलमार्गों तथा प्रमुख समुद्री व्यापार मार्गों पर रणनीतिक अवस्थिति का लाभ उठाकर देश में बंदरगाह प्रेरित विकास को प्रोत्साहित करने हेतु बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है।
- सागरमाला कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एक्जिम (निर्यात आयात) तथा घरेलू व्यापार के लिए न्यूनतम आधारिक अवसंरचना निवेश के साथ सम्भारिकी (रसद) लागत को कम करना है।
- सागरमाला की अवधारणा को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25 मार्च, 2015 को स्वीकृति प्रदान की थी।
- 14 अप्रैल, 2016 को भारतीय तट रेखा एवं समुद्री क्षेत्र के समग्र विकास हेतु राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान/एनपीपी) जारी किया गया था।
सागरमाला कार्यक्रम के उद्देश्य
- इष्टतम प्रायिकता मिश्र (मोडल मिक्स) के माध्यम से घरेलू कार्गो के परिवहन की लागत को कम करना
- तट के निकट भविष्य की औद्योगिक क्षमताओं का पता लगाकर थोक वस्तुओं की रसद लागत को कम करना।
- बंदरगाह समीपस्थ पृथक विनिर्माण क्लस्टर विकसित करके निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करना।
- एक्जिम कंटेनर संचलन के समय/लागत का इष्टतमीकरण करना।
सागरमाला कार्यक्रम के घटक
- बंदरगाह आधुनिकीकरण एवं नवीन बंदरगाह विकास: मौजूदा बंदरगाहों के अवरोधन की समाप्ति एवं क्षमता विस्तार तथा नए ग्रीनफील्ड बंदरगाहों का विकास
- बंदरगाह संयोजकता विस्तार (पोर्ट कनेक्टिविटी एन्हांसमेंट): घरेलू जलमार्गों (अंतर्देशीय जल परिवहन एवं तटीय शिपिंग) सहित मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स समाधानों के माध्यम से बंदरगाहों की आंतरिक भूमि से कनेक्टिविटी को बढ़ाना, कार्गो आवागमन की लागत तथा समय का इष्टतमीकरण करना।
- बंदरगाह सहलग्न (पोर्ट-लिंक्ड) औद्योगीकरण: एक्जिम तथा घरेलू कार्गो की रसद लागत एवं समय को कम करने हेतु बंदरगाह-समीपस्थ औद्योगिक समूहोंएवं तटीय आर्थिक क्षेत्रों का विकास करना
- तटीय सामुदायिक विकास: कौशल विकास तथा आजीविका सृजन गतिविधियों, मत्स्य विकास, तटीय पर्यटन इत्यादि के माध्यम से तटीय समुदायों के सतत विकास को बढ़ावा देना।
- तटीय नौवहन एवं अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन: सतत एवं पर्यावरण के अनुकूल तटीय तथा अंतर्देशीय जलमार्ग प्रणाली के माध्यम से कार्गो को स्थानांतरित करने हेतु प्रोत्साहन।