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चीन से निपटने के लिए सियोम ब्रिज का रणनीतिक महत्व: सियोम ब्रिज अरुणाचल प्रदेश में सियोम नदी पर 100 मीटर लंबा, क्लास 70 स्टील आर्क सुपरस्ट्रक्चर है। सियोम ब्रिज का चीन से निपटने के लिए एक महान सामरिक महत्व है क्योंकि यह अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल/एलएसी) के संवेदनशील क्षेत्रों का प्रवेश द्वार है।
चर्चा में क्यों है?
03 जनवरी, 2022 को, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन (बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन/बीआरओ) द्वारा पूरी की गई 27 अन्य आधारिक अवसंरचना परियोजनाओं के साथ अरुणाचल प्रदेश में सियोम पुल का उद्घाटन किया।
पृष्ठभूमि
- सशस्त्र बलों की कार्रवाई संबंधी तैयारियों को बढ़ाना एवं दूर-दराज के क्षेत्रों का सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
- बीआरओ ने विगत पांच वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में 3,097 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया है, संसद को विगत माह सूचित किया गया था।
- जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प ने चीनी सीमा के साथ अवसंरचना परियोजनाओं को और बढ़ावा दिया।
सियोम ब्रिज के बारे में जानिए
- अलोंग-यिंकिओनग रोड पर सियोम ब्रिज – एक 100 मीटर ‘क्लास-70’ स्टील आर्क सुपरस्ट्रक्चर है।
- सियोम नदी ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी है। यह अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग जिले से होकर प्रवाहित होती है। रिपोर्टों में कहा गया है कि नदी पर नया पुल ऊपरी सियांग जिले एवं अलोंग (आलो) से आगे के लिए संपर्क में सुधार करेगा।
सियोम ब्रिज का सामरिक महत्व
- गलवान एवं तवांग में सैन्य वृद्धि ने चीन के साथ अंतराल को कम करने के लिए युद्धस्तर पर आगे बढ़ने के साथ भारत के साथ सीमा के आधारिक अवसंरचना के निर्माण पर सुर्खियों में ला दिया है, जिसने एलएसी के किनारे संपत्ति – सड़क, पुल, हवाई पट्टी एवं गांव स्थापित करने में गति ला दी है।
- अरुणाचल प्रदेश में सियोम ब्रिज सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों को बढ़ाने एवं दूर-दराज के क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की दिशा में सरकार तथा बीआरओ के ठोस प्रयासों का परिणाम है।
- अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में 9 दिसंबर, 2022 को भारतीय सेना एवं चीनी पीएलए के बीच हालिया संघर्ष की पृष्ठभूमि में सियोम ब्रिज का विकास महत्व रखता है।
- सियोम ब्रिज ऊपरी सियांग जिले के सीमावर्ती (अग्रवर्ती) इलाकों, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ तुतिंग एवं यिंकिओनग क्षेत्रों में सैनिकों, होवित्जर एवं मशीनीकृत वाहनों जैसे भारी उपकरणों को तेजी से शामिल करने की सुविधा प्रदान करेगा।
- हाल के वर्षों में भारत कई सड़कों, सुरंगों, पुलों, सैन्य आवासों, स्थायी सुरक्षा, हेलीपैड एवं हवाई क्षेत्रों का निर्माण करके 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ सीमा अवसंरचना के मामले में चीन के साथ अंतर को कम करने में सक्षम रहा है।
तवांग सेक्टर में क्या हुआ?
- 09 दिसंबर, 2022 को पीएलए के सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार करने एवं यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयत्न किया।
- चीन की कोशिश को हमारे सैनिकों ने दृढ़ता एवं दृढ़ तरीके से नाकाम कर दिया।
- इसके बाद हुए आमने-सामने के झड़प के कारण हाथापाई हुई, जिसमें भारतीय सेना ने वीरता से पीएलए को हमारे क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोका एवं उन्हें अपनी चौकियों पर लौटने के लिए बाध्य किया।
सीमा सड़क संगठन (बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन/बीआरओ) के बारे में जानिए
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सियोम ब्रिज एवं सीमा सड़क संगठन के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. सीमा सड़क संगठन (बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन/BRO) का गठन कब हुआ था?
उत्तर. बीआरओ का गठन 7 मई, 1960 को सीमाओं के समीप अवस्थित उत्तर एवं उत्तर पूर्व के भारतीय सुदूरवर्ती क्षेत्रों को अनुरक्षित रखने एवं विकसित करने के मिशन के साथ किया गया था।
प्र. अरुणाचल में सियोम ब्रिज का सामरिक महत्व क्या है?
उत्तर. सियोम ब्रिज ऊपरी सियांग जिले के सीमावर्ती इलाकों, वास्तविक नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल/एलएसी) के साथ तुतिंग एवं यिंकिओनग क्षेत्रों में सैनिकों, होवित्जर तथा मशीनीकृत वाहनों जैसे भारी उपकरणों को तेजी से शामिल करने की सुविधा प्रदान करेगा।
प्र. सियोम ब्रिज कहाँ स्थित है?
उत्तर. अलॉन्ग-यिंगकियोंग रोड पर सियोम ब्रिज – एक 100 मीटर ‘क्लास-70’ स्टील आर्क सुपरस्ट्रक्चर है।