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सोलाव रिपोर्ट 2021: प्रासंगिकता
- जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।
सोलाव रिपोर्ट 2021: प्रसंग
- हाल ही में, एफएओ ने खाद्य एवं कृषि हेतु विश्व की भूमि एवं जल संसाधन की स्थिति (एसओएलएडब्ल्यू) रिपोर्ट 2021 जारी की है ताकि नीति निर्माताओं को भूमि एवं जल संसाधनों के सतत प्रबंधन को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक परिवर्तनों की दिशा एवं प्रकृति का आकलन करने में सक्षम बनाया जा सके।
सोलाव रिपोर्ट 2021: प्रमुख निष्कर्ष
जलवायु परिवर्तन
- दशकों के अधारणीय उपयोग के पर्यावरणीय परिणामों के अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन ने वर्षा आधारित एवं सिंचाई आधारित उत्पादन पर दबाव बढ़ा दिया है।
मानव प्रेरित भूमि क्षरण
- भूमि, मृदा एवं स्वच्छ जल पर मानव दबाव गहन हो गया है, जिससे इन संसाधनों को उनकी उत्पादन की अधिकतम सीमा तक धकेल दिया गया है।
- पशुओं को चराने के लिए या चारे के स्रोत के रूप में उपयोग किए जाने वाले घास के मैदान एवं झाड़ियों से आच्छादित क्षेत्र दो दशकों में 191 मिलियन हेक्टेयर घटकर 2019 में 3,196 मिलियन हेक्टेयर रह गए हैं एवं फसल भूमि में परिवर्तित हो गए हैं।
- जनसंख्या वृद्धि का तात्पर्य है कि फसलों एवं पशुपालन के लिए प्रति व्यक्ति उपलब्ध कृषि भूमि 2000 एवं 2017 के मध्य 20 प्रतिशत घटकर 2017 में 19 हेक्टेयर / व्यक्ति हो गई।
- लगभग एक तिहाई वर्षा आधारित फसल भूमि एवं लगभग आधी सिंचित भूमि मानव-प्रेरित भूमि क्षरण के अधीन है।
मृदा की लवणता
- अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष 5 मिलियन हेक्टेयर फसल भूमि मृदा की लवणता के कारण उत्पादन से बाहर हो जाएगी।
शहरी क्षेत्र
- 2000 में शहरी क्षेत्रों ने पृथ्वी की सतह के 5 प्रतिशत कम भूमि अध्यासित कर ली।
- शहरों के तीव्र विकास का भूमि एवं जल संसाधनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
- 2018 में, विश्व की 55 प्रतिशत जनसंख्या शहरी निवासी थी।
कृषि अतिक्रमण
- विश्व की भूमि, मृदा एवं जल संसाधनों पर सर्वाधिक दबाव कृषि का है। रासायनिक (गैर-जैविक) आदानों के उपयोग में वृद्धि हुई है; कृषि मशीनीकरण का अंतर्ग्रहण; एवं उच्च एकल-फसल तथा चराई की गहनता का समग्र प्रभाव कृषि भूमि के संकुचित होते भंडार पर केंद्रित है।
भूख की समस्या को हल करना
- 2050 तक, कृषि को वैश्विक मांग की पूर्ति करने और 2030 तक “शून्य भूख” का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए ट्रैक पर बने रहने हेतु 2012 की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक भोजन, पशुधन चारा एवं जैव ईंधन का उत्पादन करने की आवश्यकता होगी।
- 21वीं सदी के आरंभिक दौर में कुपोषित व्यक्तियों की संख्या को कम करने में की गई प्रगति को प्रतिलोमित कर दिया गया है। 2014 में 604 मिलियन से 2020 में यह संख्या बढ़कर 768 मिलियन हो गई है।
देशों को एसओएलएडब्ल्यू संदेश
- भूमि, मृदा एवं जल की परस्पर जुड़ी प्रणालियाँ अधिकतम सीमा तक उपयोग की गई हैं।
- कृषि गहनता के वर्तमान प्रतिरूप धारणीय सिद्ध नहीं हो रहे हैं।
- कृषि प्रणालियों का ध्रुवीकरण हो रहा है। इसका तात्पर्य है कि बृहद वाणिज्यिक जोत अब कृषि भूमि उपयोग पर हावी हैं, जबकि छोटे जोत का विखंडन एवं जल के अभाव हेतु अतिसंवेदनशील भूमि पर निर्वाह कृषि को केंद्रित करता है।
सोलाव के सुझाव
- भूमि एवं जल प्रशासन को अधिक समावेशी एवं अनुकूल बनाना होगा।
- यदि उन्हें व्यापक पैमाने पर ले जाना है तो सभी स्तरों पर एकीकृत समाधानों की योजना निर्मित करने की आवश्यकता है।
- प्राथमिकताओं को संबोधित करने एवं परिवर्तन में तीव्रता लाने हेतु तकनीकी एवं प्रबंधकीय नवाचार को लक्षित किया जा सकता है।
- कृषि सहायता एवं निवेश को भूमि एवं जल प्रबंधन से प्राप्त सामाजिक एवं पर्यावरणीय लाभ की ओर पुनर्निर्देशित किया जा सकता है।