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बेहतर खाने के लिए बेहतर बुवाई- बेहतर उत्पादन, पोषण एवं पर्यावरण के लिए कृषि-खाद्य प्रणालियों को रूपांतरित करना

बेहतर खाने के लिए बेहतर बुवाई- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- स्वास्थ्य एवं मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
    • निर्धनता एवं भूख से संबंधित मुद्दे।

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बेहतर खाने के लिए बेहतर बुवाई – संदर्भ

  • पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के प्रथम दौर के निष्कर्ष बताते हैं कि अधिकांश राज्यों में पोषण संबंधी संकेतक और बदतर हो गए हैं।
    • सर्वेक्षण में 17 राज्यों एवं पांच केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है, जिसमें भारत की जनसंख्या का 54%  भाग शामिल है।
  • इसके अतिरिक्त, व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (2016-18) के निष्कर्षों ने सूक्ष्म पोषक तत्वों के कुपोषण की भूमिका पर प्रकाश डाला है।

 

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बेहतर खाने के लिए बेहतर बुवाई – बेहतर खाने के लिए बेहतर बोना

  • किसी देश की कृषि-खाद्य प्रणाली का स्वास्थ्य उसके लोगों के स्वास्थ्य को निर्धारित करता है। आहार प्रतिरूप एवं पोषण में संरचनात्मक परिवर्तन हेतु उत्पादन में परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है।
  • पोषण सुरक्षा के मार्ग: आहार विविधता में सुधार, किचन गार्डन एवं फसल-कटाई के पश्चात के नुकसान को कम करना शामिल है।
    • इसमें सुरक्षा जाल कार्यक्रमों को अधिक पोषण-संवेदनशील बनाना, महिला सशक्तिकरण, मानकों एवं विनियमों को लागू करना, जल, स्वच्छता एवं आरोग्य में सुधार, पोषण शिक्षा एवं डिजिटल प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग शामिल है।
  • भारत की कृषि प्रणाली का आर्थिक महत्व: भारत विश्व के लगभग 18% जनसंख्या (2020 तक) के निर्वाह हेतु पर्याप्त भोजन, चारा एवं फाइबर का उत्पादन करता है।
    • भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान लगभग 5% है एवं इसमें 42.3% कार्यबल (2019-20) नियोजित है।
  • धारणीय कृषि-खाद्य प्रणालियों के लाभ:
    • खाद्य प्रणालियाँ पर्यावरणीय क्षरण अथवा जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायता कर सकती हैं।
    • सतत कृषि-खाद्य प्रणालियाँ आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय आधारों से समझौता किए बिना, सभी के लिए खाद्य सुरक्षा एवं पोषण प्रदान कर सकती हैं।

पोषण उद्यान / न्यूट्री गार्डन

बेहतर खाने के लिए बेहतर बुवाई- संबंधित चुनौतियाँ

  • कोविड-19 एवं जलवायु परिवर्तन: ने पोषण के मुद्दे को और गंभीर बना दिया है तथा स्वयं कृषि उत्पादन को ही चुनौती प्रस्तुत की है।
  • भारतीय कृषि आर्थिक एवं पारिस्थितिक धारणीयता, पोषण एवं नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाने से संबंधित अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है।
  • भारत की जैव सुरक्षा की इमारत आपदाओं एवं चरम घटनाओं के प्रति संवेदनशील बनी हुई है।

बेहतर खाने के लिए बेहतर बुवाई – आगे की राह

  • बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना: नीति निर्माताओं को कुपोषण की जटिल समस्या के समाधान के लिए कृषि-खाद्य प्रणालियों पर समग्र रूप से ध्यान देना चाहिए।
  • कृषि-खाद्य प्रणालियों को पुन: अभिमुख करना: कृषि आय में वृद्धि करना एवं सुरक्षित तथा पौष्टिक खाद्य पदार्थों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना।
    • इसे पर्यावरण एवं जलवायु पर लागत को कम करने हेतु पुनर्विन्यास करना चाहिए।
  • खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा उठाए गए कदम:
    • विश्व खाद्य दिवस 2021 का आयोजन किया गया जिसका विषय था- ‘हमारे क्रियाकलाप हमारा भविष्य हैं। बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर वातावरण एवं बेहतर जीवन’।
    • एफएओ कृषि जैव विविधता को मुख्यधारा में लाने, कृषि को हरित करने, पोषण के प्रति संवेदनशील कृषि को प्रोत्साहन प्रदान करने एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करने हेतु भारत सरकार के साथ जुड़ा हुआ है।

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बेहतर खाने के लिए बेहतर बुवाई- निष्कर्ष

  • एक धारणीय कृषि-खाद्य प्रणाली वह है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को पर्याप्त, पौष्टिक एवं सुरक्षित खाद्य पदार्थ किफायती मूल्य पर उपलब्ध कराया जाता है एवं कोई भी भूखा नहीं रहता है अथवा किसी भी प्रकार के कुपोषण से पीड़ित नहीं होता है।
    • अल्प मात्रा में भोजन व्यर्थ होता है एवं खाद्य आपूर्ति श्रृंखला आघातों के प्रति अधिक लोचशील होती है।

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