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लोकसभा अध्यक्ष- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- संसद एवं राज्य विधानमंडल– संरचना, कार्यकरण, कार्यों का संचालन, शक्तियां तथा विशेषाधिकार एवं इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
लोकसभा अध्यक्ष
- लोकसभा अध्यक्ष सदन के संवैधानिक तथा औपचारिक प्रमुख होता है जो मुख्य रूप से लोकसभा के कार्यों के प्रबंधन के लिए उत्तरदायी होता है।
- पीठासीन अधिकारी: लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा का पीठासीन अधिकारी होता है एवं उसकी अनुपस्थिति में लोकसभा के उपाध्यक्ष सदन के पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य करते हैं।
- संवैधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 93 लोकसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष दोनों के पदों से संबंधित है।
लोकसभा के अध्यक्ष के पद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- 1919 का भारत सरकार अधिनियम (मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार): इसके प्रावधानों के तहत, 1921 में लोकसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का पद निर्मित किया गया था।
- यद्यपि, उस समय, लोकसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के पद को क्रमशः राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति कहा जाता था।
- 1935 का भारत सरकार अधिनियम: इसने राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के नामों को क्रमशः अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष में बदल दिया।
- यद्यपि, पुराना नामकरण 1947 तक जारी रहा।
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लोकसभा अध्यक्ष के पद हेतु निर्वाचन
- अर्हता: भारत के संविधान के अनुसार, अध्यक्ष को सदन (लोकसभा) का सदस्य होना चाहिए।
- परिपाटी: एक परंपरा विकसित हुई है जहां सत्तारूढ़ दल सदन में अन्य दलों तथा समूहों के नेताओं के साथ अनौपचारिक परामर्श के बाद अपने उम्मीदवार को नामित करता है।
- इस तरह लोकसभा के निर्वाचित अध्यक्ष को लोकसभा के सभी सदस्यों का सम्मान एवं आज्ञाकारिता प्राप्त होती है।
- निर्वाचन प्रक्रिया: लोकसभा के अध्यक्ष का निर्वाचन सदन में उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से अन्य सभी सदस्यों के मध्य से होता है।
- आम तौर पर, अध्यक्ष बहुमत सत्ताधारी दल से संबंधित होता है। हालांकि, कुछ ऐसे मामले भी हैं जब निर्वाचित अध्यक्ष लोकसभा के बहुमत वाले सत्तारूढ़ दल से संबंधित नहीं थे।
- उदाहरण के लिए- जी. एम. सी. बालयोगी, मनोहर जोशी, सोमनाथ चटर्जी।
लोकसभा अध्यक्ष के पद की शर्तें
- पदावधि: अध्यक्ष अपने निर्वाचन की तिथि से आगामी लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पूर्व तक पद धारण करता है।
- लोकसभा के विघटन के पश्चात भी, अध्यक्ष अपना पद रिक्त नहीं करता है एवं नव-निर्वाचित लोकसभा की बैठक तक पद पर बना रहता है।
- इसका तात्पर्य है कि उसका पद लोकसभा की शर्तों से परे है।
- पुन:निर्वाचन हेतु पात्रता: लोकसभा का अध्यक्ष भी पुनः निर्वाचन हेतु पात्र है।
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
- लोकसभा के अध्यक्ष कौन हैं?
उत्तर: लोकसभा अध्यक्ष का पद सदन का संवैधानिक एवं औपचारिक प्रमुख होता है जो मुख्य रूप से लोकसभा के कार्यों के प्रबंधन के लिए उत्तरदायी होता है।
- कौन सा संवैधानिक अनुच्छेद लोकसभा अध्यक्ष के पद से संबंधित है?
उत्तर: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 93 लोकसभा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष दोनों के पदों से संबंधित है।
- भारत में लोकसभा के अध्यक्ष का निर्वाचन कौन करता है?
उत्तर: लोकसभा के अध्यक्ष का निर्वाचन सदन में उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से अन्य सभी सदस्यों के मध्य में से होता है।