Table of Contents
प्रासंगिकता
- जीएस 2: आबादी के कमजोर वर्गों हेतु कल्याणकारी योजनाएं
प्रसंग
- हाल ही में, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने वाराणसी में उपेक्षित (हाशिए पर के) कुम्हार समुदाय के 1100 से अधिक व्यक्तियों को सशक्त बनाने हेतु स्पिन (स्ट्रेंग्थेनिंग द पोटेंशियल ऑफ इंडिया / भारत की क्षमता को सशक्त बनाना) नामक एक विशिष्ट योजना प्रारंभ की है।
मुख्य बिंदु
- स्पिन योजना का उद्देश्य भारतीय मिट्टी के बर्तनों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का संचार करना है।
- केवीआईसी ने वाराणसी में स्फूर्ति योजना के तहत मिट्टी के बर्तनों का एक संकुल (क्लस्टर) भी स्थापित किया है।
- उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान एवं झारखंड के 80 कुम्हारों ने अपना स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ करने हेतु बैंक से वित्तीय सहायता के लिए पंजीकरण कराया है।
- इनमें से 110 कारीगर वाराणसी के हैं।
- स्पिन योजना के प्रतिभागियों को कुल 780 विद्युत कुंभकार चरखे (इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील) स्वीकृत किए गए।
- इसके अतिरिक्त, गुजरात में, केवीआईसी ने महिला कारीगरों को स्वरोजगार एवं स्थायी आजीविका के साथ जोड़ने हेतु 50 चरखे वितरित किए।
स्पिन योजना के बारे में
- कुम्हार सशक्तिकरण योजना के विपरीत, जो एक सहायिकी (सब्सिडी) आधारित कार्यक्रम है, स्पिन योजना पंजीकृत कुम्हारों को प्रधानमंत्री शिशु मुद्रा योजना के तहत बैंकों से सीधे ऋण प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।
- स्पिन योजना के तहत, केवीआईसी आरबीएल बैंक के माध्यम से कुम्हारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु एक सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य कर रहा है एवं इस योजना को चयनित करने वाले कारीगरों को प्रशिक्षण भी प्रदान कर रहा है।
- इस योजना के अंतर्गत राजकोष पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा एवं कुम्हार द्वारा ऋण आसान किश्तों में चुकाया जाएगा।
- वाराणसी में काशी पॉटरी क्लस्टर का उद्घाटन किया गया।
- स्फूर्ति (स्कीम ऑफ फंड फॉर रीजेनरेशन ऑफ ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज / पारंपरिक उद्योगों के पुनर्जनन हेतु वित्तपोषण की योजना) योजना के अंतर्गत केवीआईसी द्वारा स्थापित वाराणसी जिले में यह प्रथम मिट्टी के बर्तनों हेतु संकुल है।
- केवीआईसी कुम्हारों को बैंकों से आसान ऋण प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा जिससे कुम्हारों को उनकी गतिविधियों में विविधता लाने एवं अपनी आय में वृद्धि करने में सहायता प्राप्त होगी। इससे सरकारी सहायिकी पर उनकी निर्भरता कम होगी एवं हमारे कुम्हार आत्मनिर्भर बनेंगे।