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प्रासंगिकता
- जीएस 2: भारत के हितों, भारतीय प्रवासियों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
प्रसंग
- देश में अपनी मुद्रा के मूल्य में भारी गिरावट का सामना करने के पश्चात् मुद्रास्फीति में हो रही वृद्धि को रोकने के लिए श्रीलंका ने आर्थिक आपातकाल की घोषणा की है।
सरकार का लक्ष्य-मुद्रास्फीति को कैसे नियंत्रित करना है
- प्रशासन अब चावल एवं चीनी सहित मूलभूत खाद्य पदार्थों की आपूर्ति पर नियंत्रण रखेगी एवं मुद्रास्फीति में हो रही वृद्धि को नियंत्रित करने हेतु कीमतें निर्धारित करेगी।
- सरकार आवश्यक खाद्य पदार्थों का भंडार खरीद कर जनता को रियायती दर पर आवश्यक खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक कदम उठाएगी।
कदम क्यों?
- चीनी, प्याज एवं आलू जैसे मूलभूत खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि।
- दुग्ध पाउडर, केरोसिन (मिट्टी के तेल) एवं रसोई गैस सहित अन्य वस्तुओं के अभाव के कारण दुकानों के बाहर लंबी कतारें लगी हुई हैं।
- विशेष रूप से, इस वर्ष अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपया 5% नीचे गिर गया है।
- देश के बैंक आंकड़ों के अनुसार, श्रीलंका का विदेशी भंडार जुलाई के अंत में गिरकर 8 बिलियन डॉलर हो गया, जो नवंबर 2019 में 7.5 बिलियन डॉलर था।
- व्यापक उपायों का उद्देश्य आयातकों द्वारा राज्य के बैंकों को प्रदान किए गए ऋण की वसूली करना भी है।
श्रीलंका के आर्थिक संकट के कारण
- सरकार ने कहा कि अनेक आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के पीछे एक प्रमुख कारण विदेशी मुद्रा विनिमय दर में वृद्धि है।
- मुख्य रूप से उच्च खाद्य कीमतों के कारण अगस्त में मासिक मुद्रास्फीति बढ़कर 6% हो गई।
- श्रीलंका की अर्थव्यवस्था खाद्य एवं अन्य वस्तुओं का शुद्ध आयातक है। ऐसे में कोरोना वायरस के मामलों एवं मौतों की संख्या में उछाल ने पर्यटन को दुष्प्रभावित किया है, जो देश के लिए प्रमुख विदेशी मुद्रा अर्जकों में से एक है।
- पर्यटकों की संख्या में आंशिक रूप से कमी के परिणामस्वरूप, श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में विगत वर्ष रिकॉर्ड 6 प्रतिशत की गिरावट आई।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- विगत वर्ष मार्च में, सरकार ने वाहनों एवं अन्य वस्तुओं पर आयात प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि उसने विदेशी मुद्राओं के बहिर्वाह को रोकने का प्रयास किया था।
- इस माह के आरंभ में, श्रीलंका अपनी मुद्रा को मजबूत करने एवं आयात की उच्च लागत के मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने में सहायता करने के प्रयास में ब्याज दरों में वृद्धि करने वाला क्षेत्र का प्रथम देश बन गया।
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