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पर्यावरणीय सेवाओं की स्थिति रिपोर्ट: प्रासंगिकता
- जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं अवक्रमण।
पर्यावरणीय सेवाओं की स्थिति रिपोर्ट: प्रसंग
- हाल ही में, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने राज्य की जलवायु सेवाएं रिपोर्ट का 2021 संस्करण जारी किया है जो जल पर केंद्रित है।
पर्यावरणीय सेवाओं की स्थिति रिपोर्ट: मुख्य बिंदु
- 2018 में, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के पक्षकारों के 24वें सम्मेलन ने विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) से नियमित रूप से जलवायु सेवाओं की स्थिति पर रिपोर्ट (स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेज रिपोर्ट) करने का आह्वान किया ताकि अनुकूलन आवश्यकताओं के आकलन हेतु कार्य प्रणाली के विकास एवं अनुप्रयोग को सुविधाजनक बनाया जा सके।
- 2019 से, डब्ल्यूएमओ ने जलवायु अनुकूलन का समर्थन करने के लिए वैज्ञानिक रूप से आधारित सूचनाएं उपलब्ध कराने हेतु जलवायु सेवाओं की स्थिति पर वार्षिक रिपोर्ट जारी की है।
पूर्वोत्तर भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेज रिपोर्ट: प्रमुख निष्कर्ष
- डब्ल्यूएमओ के 43% सदस्यों में जलवायु सेवा प्रदाताओं एवं सूचना उपयोगकर्ताओं के मध्य अपर्याप्त अंतःक्रिया है।
- लगभग 40% सदस्य देशों में बुनियादी जल-विज्ञान संबंधी (हाइड्रोलॉजिकल) चरों हेतु आंकड़े एकत्रित नहीं किए गए हैं।
- 34% देशों में आद्यान्त (आरंभ से अंत तक) नदी में बाढ़ का पूर्वानुमान एवं चेतावनी प्रणालियां अनुपस्थित या अपर्याप्त हैं।
- 54% सदस्य देशों में सूखे की भविष्यवाणी एवं चेतावनी प्रणालियों का अभाव अथवा अपर्याप्तता है।
जलवायु प्रेरित प्रवासन एवं आधुनिक दासता
एसडीजी 6 पर प्रमुख निष्कर्ष
- एसडीजी 6 का उद्देश्य सभी के लिए स्वच्छ जल एवं स्वच्छता सुनिश्चित करना है।
- विगत दशकों में अच्छी प्रगति के बावजूद, यूएन- वाटर 14 सूचित करता है कि विश्व 2030 तक एसडीजी 6 प्राप्त करने की राह से दूर है।
- 2030 तक सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल एवं स्वच्छता तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करने हेतु प्रगति की वर्तमान दरों में चार गुना वृद्धि की आवश्यकता होगी।
- 3 अरब व्यक्ति – अथवा वैश्विक जनसंख्या का 25% – पहले से हीजल के अभाव वाले देशों में निवास कर रहे हैं।
- 2018 मेंसर्वाधिक जल के अभाव वाले क्षेत्र उत्तरी अफ्रीका (109%), मध्य एशिया (80%), दक्षिणी एशिया (78%), एवं पश्चिमी एशिया (60%) थे।
- 16 देशों में जल संकट का स्तर 100% से ऊपर बढ़ गया है, और इनमें से चार 500% से अधिक (अथवा 1,000% तक) जल संकट का अनुभव कर रहे हैं। इन चार देशों में – कुवैत, लीबिया, सऊदी अरब एवं संयुक्त अरब अमीरात में – जल की मांग को व्यापक पैमाने पर विलवणीकरण के द्वारा पूरा किया जा रहा है।
- विश्व स्तर पर, सभी शहरों में से एक चौथाई पहले से ही जल के अभाव की समस्या का सामना कर रहे हैं एवं सदैव जल के अभाव का अनुभव करते हैं।
एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में रेत तथा धूल के तूफान के जोखिम का आकलन
स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेज रिपोर्ट: संस्तुतियां
- विकासशील देशों के एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) में अनुकूलन उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु महत्वपूर्ण अतिरिक्त वित्तीय प्रतिबद्धताओं की आवश्यकता होगी।
- विशेष रूप से छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों (एसआईडीएस) एवं अल्प विकसित देशों (एलडीसी) में जल के संकट को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के समाधान के रूप में एकीकृत संसाधन जल प्रबंधन में निवेश करना।
- अफ्रीका में सूखे की चेतावनी एवं एशिया में बाढ़ की चेतावनी सहित जोखिम वाले एलडीसी में आद्यान्त (आरंभ से अंत तक) सूखा तथा बाढ़ की पूर्व चेतावनी प्रणाली में निवेश करना।
- बुनियादी जलविज्ञानीय चरों हेतु आंकड़े एकत्रित करने में क्षमता अंतराल को भरना जो जलवायु सेवाओं एवं पूर्व चेतावनी प्रणालियों को रेखांकित करता है।
- जल क्षेत्र में अनुकूलन का बेहतर समर्थन करने हेतु सूचना उपयोगकर्ताओं के साथ जलवायु सेवाओं के सह-विकास एवं संचालन के लिए राष्ट्रीय स्तर के हितधारकों के मध्य अंत: क्रिया में सुधार करना।
आईएमडी एवं भारत में मौसम का पूर्वानुमान