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भारत में असमानता यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 2: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं, भारत की विविधता।
भारत में असमानता की स्थिति: प्रसंग
- हाल ही में, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल टू द प्राइम मिनिस्टर/ईएसी-पीएम) ने भारत में असमानता की स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें भारत में असमानता की गहनता एवं प्रकृति का समग्र विश्लेषण किया गया है।
भारत में असमानता की स्थिति रिपोर्ट के बारे में
- रिपोर्ट में दो भाग सम्मिलित हैं- आर्थिक पहलू तथा सामाजिक-आर्थिक प्रत्यक्षीकरण।
- पांच प्रमुख क्षेत्र: आय वितरण तथा श्रम बाजार की गतिशीलता, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं परिवार की विशेषताएं।
- रिपोर्ट देश में विभिन्न अभावों के पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने वाला एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करके असमानता पर विवरण को विस्तार प्रदान करता है, जो जनसंख्या के कल्याण तथा समग्र विकास को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है।
भारत में असमानता की स्थिति रिपोर्ट: मुख्य निष्कर्ष
आय का वितरण
- रिपोर्ट में इस बात पर बल दिया गया है कि असमानता के एक साधन के रूप में धन का संकेंद्रण परिवारों की क्रय क्षमता में बदलाव को प्रकट नहीं करती है।
- पीएलएफएस 2019-20 से आय के आंकड़ों के बहिर्वेशन *एक्सट्रपलेशन) से ज्ञात होता है कि 25,000 रुपये का मासिक वेतन पूर्व से ही अर्जित कुल आय के शीर्ष 10% में से एक है, जो आय असमानता के कुछ स्तरों की ओर संकेत करता है।
- शीर्ष 1% का अंश अर्जित कुल आय का 6-7% है, जबकि शीर्ष 10% समस्त अर्जित आय का एक-तिहाई भाग गठित करते हैं।
श्रम बाजार की गतिशीलता
- 2019-20 में, विभिन्न रोजगार श्रेणियों में, सर्वाधिक प्रतिशत स्व-नियोजित कामगारों (45.78%) का था, इसके बाद नियमित वेतन भोगी कामगारों (33.5%) एवं अनियत कामगारों (20.71%) का स्थान था।
- स्व-नियोजित कामगारों की हिस्सेदारी भी निम्नतम आय श्रेणियों में सर्वाधिक होती है।
- देश की बेरोजगारी दर 4.8% (2019-20) है तथा श्रमिक जनसंख्या अनुपात 46.8% है।
स्वास्थ्य
- स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में, ग्रामीण क्षेत्रों पर लक्षित फोकस के साथ ढांचागत क्षमता में वृद्धि करने में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
- 2005 में भारत में कुल 1.72 लाख स्वास्थ्य केंद्रों से, 2020 में कुल स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 1.85 लाख से अधिक है।
- राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु एवं चंडीगढ़ जैसे राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों ने 2005 एवं 2020 के मध्य स्वास्थ्य केंद्रों (उप-केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित) में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे) NFHS-4 (2015-16) तथा NFHS-5 (2019-21) के परिणामों से पता चला है कि 2015-16 में प्रथम तिमाही में 58.6% महिलाओं ने प्रसवपूर्व जांच की सुविधा प्राप्त की, जो 2019-21 तक बढ़कर 70% हो गई।
- प्रसव के दो दिनों के भीतर 78% महिलाओं को चिकित्सक अथवा सहायक नर्स से प्रसवोत्तर देखभाल प्राप्त हुआ एवं 79.1% बच्चों को प्रसव के दो दिनों के भीतर प्रसवोत्तर देखभाल प्राप्त हुआ।
- यद्यपि, अधिक वजन, कम वजन तथा रक्ताल्पता (एनीमिया) की व्यापकता के मामले में पोषण की कमी एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, जैसा कि रिपोर्ट में कहा गया है।
- इसके अतिरिक्त, निम्न स्वास्थ्य कवरेज, जिसके कारण उच्च तुरत देय (जेब से अधिक) खर्च होता है, निर्धनता की घटनाओं को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।
शिक्षा
- इस बात पर बल दिया जाता है कि शिक्षा एवं संज्ञानात्मक विकास बुनियादी वर्षों से असमानता के लिए एक दीर्घकालिक सुधारात्मक उपाय है।
- 2019-20 तक, 95% विद्यालयों में विद्यालय परिसर में व्यवहार में लाने योग्य शौचालय की सुविधा उपलब्ध है।
- गोवा, तमिलनाडु, चंडीगढ़, दिल्ली, दादरा एवं नगर हवेली एवं दमन तथा दीव, लक्षद्वीप एवं पुडुचेरी जैसे राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ 16% विद्यालयों में कार्यात्मक विद्युत कनेक्शन उपलब्ध हैं, जिन्होंने कार्यात्मक विद्युत कनेक्शन का सार्वभौमिक (100%) कवरेज प्राप्त किया है।
- प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक में सकल नामांकन अनुपात भी 2018-19 एवं 2019-20 के मध्य बढ़ा है।
परिवारों की विशेषताएं
- रिपोर्ट के अनुसार, अनेक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, विशेष रूप से जल की उपलब्धता एवं स्वच्छता के क्षेत्र में, जिसने निर्वाह स्तर में वृद्धि की है, के माध्यम से लक्षित प्रयासों के कारण पारिवारिक/घरेलू स्थितियों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
- घरेलू स्थितियों में सुधार के संदर्भ में, स्वच्छता तथा सुरक्षित पेयजल तक पहुंच प्रदान करने पर बल देने का अर्थ अधिकांश घरों के लिए एक सम्मानजनक जीवन व्यतीत करने हेतु अग्रसर करना है।
- NFHS-5 (2019-21) के अनुसार, 97% घरों में बिजली की पहुंच है, 70% घरों में स्वच्छता तक पहुंच है एवं 96% घरों में सुरक्षित पेयजल की पहुंच है।