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राज्यों के राज्यपालों की सूची: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता
राज्यों के राज्यपालों की सूची: भारत के राज्यपालों की राज्यवार सूची विभिन्न सरकारी परीक्षाओं, विशेष रूप से एसएससी, बैंकिंग, विभिन्न राज्य पीसीएस एवं यूपीएससी की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। भारत के राज्यपालों की राज्य-वार सूची में यह भी चर्चा होगी कि राज्यपाल कौन है तथा राज्यपालों की प्रमुख भूमिकाएं एवं उत्तरदायित्व क्या हैं। भारत के राज्यपालों की राज्यवार सूची विशेष रूप से केंद्रीय गृह मंत्रालय की आधिकारिक साइट से बनाई एवं सत्यापित की जाती है।
राज्यों के राज्यपालों की सूची- राज्यपाल कौन होता है?
- राज्यपाल का पद भारत सरकार अधिनियम 1935 से उधार लिया गया है। उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- ब्रिटिश भारत सरकार के विपरीत, राज्यपाल राज्य का एक नाममात्र प्रमुख होता है। केंद्र में राष्ट्रपति की भांति, कुछ संवैधानिक एवं स्थितिजन्य विवेक को छोड़कर, उनसे राज्य मंत्रिपरिषद (कौंसिल ऑफ मिनिस्टर्स/सीओएम) की सहायता एवं परामर्श पर कार्य करने की अपेक्षा की जाती है।
- संविधान निर्माताओं ने राज्यपाल को केंद्र एवं राज्यों के मध्य एक सामान्य कड़ी के रूप में कल्पना की, जो राज्य में लोकतांत्रिक सरकार के निर्बाध संचालन को सुनिश्चित करता है।
राज्यपाल के पद के संबंध में संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?
- अनुच्छेद 163: यह राज्यपाल की समस्त विवेकाधीन शक्तियों का स्रोत है, जिसके परिणामस्वरूप निर्वाचित राज्य कार्यपालिका एवं विधायिका के साथ संघर्ष होता है।
- अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य या दो या दो से अधिक राज्यों के लिए राज्यपाल।
- अनुच्छेद 256: संघ की कार्यकारी शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निर्देश देने तक होगा जो भारत सरकार को उस उद्देश्य के लिए आवश्यक प्रतीत हों।
- आपातकालीन शक्तियाँ (अनुच्छेद 356): राज्यपाल राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर राज्य में आपातकाल लगाने की सिफारिश कर सकता है एवं भारत के राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करने के बाद उद्घोषणा जारी कर सकता है।
राज्यों के राज्यपालों की सूची
राज्यपाल केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्यों के मध्य एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। वे राज्य स्तर पर संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करते हैं। राज्यों के राज्यपालों की सूची नीचे दी गई है-
भारत में वर्तमान राज्यपालों की सूची
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क्रम सं. | राज्य | वर्तमान राज्यपाल | पदभार ग्रहण करने की तिथि |
1. | आंध्र प्रदेश | श्री बिस्वा भूषण हरिचंदन | 24 जुलाई, 2019 |
2. | अरुणाचल प्रदेश | ब्रिगेडियर. (डॉ.) बी. डी. मिश्रा (सेवानिवृत्त) | 3 अक्टूबर, 2017 |
3. | असम | प्रो. जगदीश मुखी | 1 अक्टूबर, 2017 |
4. | बिहार | श्री फागू चौहान | 29 जुलाई, 2019 |
5. | छत्तीसगढ़ | सुश्री अनुसुईया उइके | 29 जुलाई, 2019 |
6. | गोवा | श्री पी. एस. श्रीधरन पिल्लई | 15 जुलाई, 2021 |
7. | गुजरात | श्री आचार्य देव व्रत | 22 जुलाई, 2019 |
8. | हरियाणा | श्री बंडारू दत्तात्रेय | 2021 से |
9. | हिमाचल प्रदेश | राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर | जुलाई 2021 |
10. | झारखंड | श्री रमेश बैस | 14 जुलाई 2021 |
11. | कर्नाटक | थावर चंद गहलोत | जुलाई , 2021 |
12. | केरल | श्री आरिफ मोहम्मद खान | 6 सितंबर, 2019 |
13. | मध्य प्रदेश | मंगू भाई सी. पटेल | 8 जुलाई 2021 |
14. | महाराष्ट्र | श्री भगत सिंह कोश्यारी | 5 सितंबर, 2019 |
15. | मणिपुर | ला. गणेशन | 27 अगस्त, 2021 |
16. | मेघालय | ब्रिगेडियर. (डॉ.) बी. डी. मिश्रा (सेवानिवृत्त) | 04 अक्टूबर, 2022 |
17. | मिजोरम | हरि बाबू कमभमपति | 21 अक्टूबर, 2022 |
18. | नागालैंड | प्रोफेसर जगदीश मुखी | 17 सितंबर 2021 |
19. | ओडिशा | प्रो. गणेशी लाल | 29 मई, 2018 |
20. | पंजाब | बनवारीलाल पुरोहित | 31 अगस्त 2021 |
21. | राजस्थान | श्री कलराज मिश्र | 9 सितंबर, 2019 |
22. | सिक्किम | श्री गंगा प्रसाद | 26 अगस्त, 2018 |
23. | तमिलनाडु | आर. एन. रवि | सितंबर 18,2021 |
24. | तेलंगाना | डॉ. तमिलिसाई साउंडराजन | 8 सितंबर, 2019 |
25. | त्रिपुरा | श्री सत्यदेव नारायण आर्य | 14 जुलाई 2021 |
26. | उत्तर प्रदेश | श्रीमती आनंदीबेन पटेल | 29 जुलाई, 2019 |
27. | उत्तराखंड | गुरमीत सिंह | 15 सितंबर, 2021 |
28. | पश्चिम बंगाल | श्री ला. गणेशन | 18 जुलाई, 2022 |
केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उपराज्यपालों एवं प्रशासकों की सूची
केंद्र शासित प्रदेश में उप राज्यपाल का पद किसी भी राज्य में राज्यपाल के समान होता है। उपराज्यपाल (लेफ्टिनेंट गवर्नर) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए की जाती है। किसी राज्य के राज्यपाल की भाँति वह भी राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत कार्य करता/करती है। भारत में कुल 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इन केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों एवं प्रशासकों की सूची नीचे दी गई है-
केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उप राज्यपाल एवं प्रशासक |
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केंद्र शासित प्रदेश | लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी)/प्रशासक |
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह | एडमिरल डी. के. जोशी (एलजी) |
चंडीगढ़ | श्री वी. पी. सिंह बदनौर (प्रशासक) |
दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव | श्री प्रफुल्ल पटेल (प्रशासक) |
दिल्ली के एनसीटी की सरकार | श्री अनिल बैजल (एलजी) |
जम्मू तथा कश्मीर | श्री मनोज सिन्हा (लेफ्टिनेंट गवर्नर) |
लद्दाख | श्री राधा कृष्ण माथुर (एलजी) |
लक्षद्वीप | श्री प्रफुल्ल पटेल (प्रशासक) (अतिरिक्त प्रभार) |
पुडुचेरी | डॉ. किरण बेदी (एलजी) |
भारत में राज्य के राज्यपालों के पद का दुरुपयोग कैसे हुआ?
- नियुक्ति/निष्कासन की प्रक्रिया: राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद पर बने रहते हैं क्योंकि संविधान में पद से हटाने के लिए किसी आधार का उल्लेख नहीं किया गया है।
- यह नियुक्ति प्रक्रिया में पक्षपात को अग्रसर करता है एवं कम सक्षम व्यक्तियों के पक्ष में उपयुक्त उम्मीदवारों की उपेक्षा की जाती है।
- केंद्र में एक राजनीतिक दल के एजेंट के रूप में कार्य करना: नियुक्ति में पक्षपात एवं संविधान में कार्यकाल की किसी भी सुरक्षा की कमी के कारण, राज्यपाल का पद प्रायः राज्य एवं केंद्र सरकार के मध्य एक सेतु के रूप में कार्य करने के स्थान पर केंद्र सरकार की कठपुतली/एजेंट के रूप में कार्य करता है।
- विवेकाधीन शक्तियाँ:
- त्रिशंकु विधानसभाओं में दलगत भूमिका: यह एक स्थितिजन्य विवेक है जहां वह किसी दल/गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने हेतु स्वतंत्र है, यदि किसी एक दल/चुनाव-पूर्व गठबंधन ने राज्य विधानसभा चुनावों में अधिकांश सीटें नहीं जीती हैं।
- उदाहरण: कर्नाटक जहां के राज्यपाल ने चुनाव के बाद गठबंधन के नेता को आमंत्रित करने के स्थान पर सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया, जिसने चुनावों में बहुमत वाली सीटें जीतीं।
- किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करने की शक्ति का दुरुपयोग: राष्ट्रपति के विचार के लिए कुछ राज्य विधेयकों को आरक्षित करना उनका संवैधानिक विवेक है।
- इस शक्ति का दुरुपयोग करते हुए, राज्यपाल प्रायः राज्य विधानसभा की विधि-निर्माण प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हैं, विशेष रुप से उन विधेयकों के लिए जो केंद्र सरकार के लिए असुविधाजनक होते हैं।
- त्रिशंकु विधानसभाओं में दलगत भूमिका: यह एक स्थितिजन्य विवेक है जहां वह किसी दल/गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने हेतु स्वतंत्र है, यदि किसी एक दल/चुनाव-पूर्व गठबंधन ने राज्य विधानसभा चुनावों में अधिकांश सीटें नहीं जीती हैं।
- आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग: राज्यपाल प्रायः तुच्छ आधारों पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करते पाए गए हैं, विशेष रूप से तब जब केंद्र में सत्ताधारी दल संबंधित राज्य से अलग हो।
- चुनी हुई सरकार को दरकिनार करना: ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जब राज्यपाल राज्य सरकारों को प्रत्यक्ष आदेश देते पाए गए या राज्य सरकारों को सूचित किए बिना सार्वजनिक कार्यालयों में गए। यह उनके संवैधानिक शासनादेश के विरुद्ध है क्योंकि वह केवल नाममात्र के प्रमुख हैं तथा उनसे राज्य में मंत्रिपरिषद (सीओएम) की सलाह पर कार्य करने की अपेक्षा की जाती है।
राज्यपाल के पद को और अधिक कुशल/संवैधानिक कैसे बनाया जा सकता है?
- एस आर बोम्मई के फैसले को अक्षरश: लागू करना: जो सर्वोच्च न्यायालय को दुर्भावना एवं अनुचित होने के आधार पर राज्य में आपातकाल लगाने की जांच करने की अनुमति देता है।
- राज्यपालों की नियुक्ति एवं हटाने के लिए एक ठोस प्रक्रिया विकसित करना: जैसा कि पुंछी तथा सरकारिया आयोगों द्वारा सुझाया गया है, राज्यपालों को त्रुटिहीन चरित्र एवं गुणवत्ता के आधार पर चयनित किया जाना चाहिए एवं उन्हें एक निश्चित कार्यकाल प्रदान किया जाना चाहिए।
- राज्यपाल के पद के लिए एक आचार संहिता विकसित करना: सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालयों और क्षेत्र में अन्य संवैधानिक विशेषज्ञों के साथ संघ एवं राज्य सरकारों के पूर्व परामर्श और समझौते के साथ।
- संवैधानिक सिद्धांतों को अक्षुण्ण रखना: राज्यपालों को केंद्र में सत्ताधारी दल के संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए कार्य करने के स्थान पर संविधान की भावना को अक्षुण्ण रखते हुए संवैधानिक नैतिकता को बनाए रखना चाहिए।
राज्यों के राज्यपालों की सूची के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
- कौन सा संवैधानिक अनुच्छेद राज्यपाल के पद की स्थापना करता है?
उत्तर. संविधान का अनुच्छेद 153 प्रत्येक राज्य या दो या दो से अधिक राज्यों के लिए राज्यपाल के पद का प्रावधान करता है।
- राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर. भारत के राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद (कौंसिल ऑफ मिनिस्टर्स/सीओएम) की सहायता एवं सलाह पर राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति करते हैं।
- राज्यपालों को उनके पद से कौन हटा सकता है?
उत्तर. राज्यों के राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त सेवा करते हैं। अतः, भारत के राष्ट्रपति के पास राज्यपालों को हटाने का संवैधानिक अधिकार है।