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प्रासंगिकता
- जीएस 1: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी गतिविधियां, चक्रवात इत्यादि जैसी महत्वपूर्ण भू भौतिकीय घटनाएं, भौगोलिक विशेषताएं एवं उनकी अवस्थिति-महत्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएं (जल-निकायों और हिम-शीर्ष सहित) एवं वनस्पतियों तथा जीवों में परिवर्तन एवं ऐसे परिवर्तनों का प्रभाव।
प्रसंग
- हाल ही में, ग्लोबल कोरल रीफ मॉनिटरिंग नेटवर्क ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार के साथ ‘स्टेटस ऑफ कोरल रीफ्स ऑफ द वर्ल्ड, 2020’ रिपोर्ट जारी की, जहां इसने वर्तमान विश्व में प्रवाल भित्तियों की स्थिति के बारे में वर्णन किया है।
मुख्य बिंदु
- विगत तीन दशकों में प्रवाल भित्तियों को अत्यधिक हानि पहुंची है। फिर भी, वे प्रतिस्कंदी (लोच शील) हैं एवं उष्ण होते विश्व से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे।
प्रवाल दुर्घटनाएं
- 1998 की प्रवाल विरंजन की घटना ने विश्व के 8% प्रवाल को समाप्त कर दिया।
- 2009 एवं 2018 के मध्य के पश्चात की घटनाओं ने विश्व के 14% प्रवाल को समाप्त कर दिया।
- 2010 के पश्चात से, लगभग सभी क्षेत्रों ने औसत प्रवाल आवरण में गिरावट प्रदर्शित की है।
- अनुमानों के अनुसार, आने वाले दशकों में समुद्र के तापमान में वृद्धि के साथ प्रवाल भित्तियों में और कमी आएगी।
प्रवाल संकट के कारण
- वैश्विक प्रवाल आवरण में अधिकांश कमी या तो समुद्र की सतह के तापमान (एसएसटी) में तीव्र गति से वृद्धि अथवा अनवरत उच्च एसएसटी विसंगति के कारण उत्पन्न हुई।
- 2010 की तुलना में 2019 में विश्व की प्रवाल भित्तियों पर 20% अधिक शैवाल थे। शैवाल की संख्या में यह वृद्धि कठोर प्रवाल की मात्रा में गिरावट से संबंधित थी।
प्रवाल भित्तियों की समुत्थानशक्ति
- दूसरी ओर, 2002 एवं 2009 के मध्य तथा 2019 में वैश्विक प्रवाल आवरण में वृद्धि ने प्रदर्शित किया कि विश्व स्तर पर प्रवाल भित्तियाँ प्रतिस्कंदी (लोच शील) बनी हुई हैं एवं यदि परिस्थितियां अनुकूल हो तो वे स्वस्थ (पुनर्लाभ) हो सकती हैं।
- उदाहरण के लिए, पूर्वी एशिया में प्रवाल भित्तियों, जिसमें विश्व की 30% प्रवाल भित्तियाँ हैं, 1983 की तुलना में 2019 में औसतन अधिक प्रवाल थे।
- यह पिछले दशक के दौरान व्यापक स्तर पर प्रवाल विरंजन की घटनाओं से प्रभावित क्षेत्र के बावजूद घटित हुआ
- इससे पता चला है कि उच्च प्रवाल आवरण एवं विविधता समुद्र की सतह के उच्च तापमान को प्राकृतिक प्रतिरोध प्रदान कर सकती है।
क्या किये जाने की आवश्यकता है?
- आने वाले वर्षों में उनकी समुत्थानशक्ति को बनाए रखने के लिए प्रवाल भित्तियों पर स्थानीय दबाव को कम किया जाना चाहिए।]
- प्रवाल भित्तियों की स्थिति में प्रवृत्तियों की स्थिति को समझने के लिए क्षेत्र में एकत्र किए गए डेटा की भी निगरानी की जानी चाहिए।