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विश्व के प्रवाल भित्तियों की स्थिति रिपोर्ट

विश्व के प्रवाल भित्तियों की स्थिति रिपोर्ट: प्रासंगिकता

  • जीएस 1: महत्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं (जल-निकायों एवं हिम शीर्ष सहित) एवं वनस्पतियों तथा जीवों में परिवर्तन एवं ऐसे परिवर्तनों के प्रभाव।

 

विश्व के प्रवाल भित्तियों की स्थिति रिपोर्ट: प्रसंग

  • हाल ही में, ग्लोबल कोरल रीफ मॉनिटरिंग नेटवर्क ने अपनी प्रमुख रिपोर्ट, ‘स्टेटस ऑफ कोरल रीफ्स ऑफ द वर्ल्ड’ शीर्षक से जारी की है, जो निरंतर व्यापक पैमाने पर वैश्विक प्रवाल विरंजन घटनाओं पर विशेष ध्यान आकर्षित करने हेतु है।

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विश्व के प्रवाल भित्तियों की स्थिति रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा वित्त पोषित है।
  • रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि एक दशक से भी कम समय में, जलवायु परिवर्तन के कारण 14 प्रतिशत प्रवाल भित्तियाँ लुप्त हो गई हैं।

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प्रवाल भित्तियों की प्रतिरोधक क्षमता

  • 1998 में प्रथम बार वैश्विक स्तर पर प्रवाल विरंजन ने विश्व के लगभग सभी प्रवाल भित्तियों को दुष्प्रभावित किया।
  • इसके कारण 1997 एवं 2002 के मध्य कठोर प्रवाल आवरण 5% से घटकर 30% हो गया।
  • 2002 एवं2009 के मध्य, वैश्विक औसत कठोर प्रवाल आवरण 1998 से पूर्व के स्तर पर लौट आया।
  • इसका तात्पर्य है कि प्रमुख वैश्विक विक्षोभ के अभाव में, स्थानीय संकटों के प्रभाव के बावजूद, विश्व की अनेक प्रवाल भित्तियाँ प्रतिरोधक क्षमता पूर्ण एवं पुनः स्थापन में सक्षम बनी हुई हैं।
  • 2009 के बाद से, वैश्विक औसत कठोर प्रवाल आवरण में अत्यधिक तीव्र रुझान अधोगामी (नीचे की ओर) रहा है।
  • 2009 एवं 2018 के मध्य, वैश्विक औसत कठोर मूंगा आवरण 3% से घटकर 28.8% हो गया, जोविश्व के कठोर प्रवाल के 13.5% की हानि को प्रदर्शित करता है।

विश्व के प्रवाल भित्तियों की स्थिति 2020

प्रवाल विरंजन

  • जब जल अत्यधिक गर्म हो जाता है, तो प्रवाल अपने रंगीन सूक्ष्म-शैवाल मुक्त कर देते हैं, जो कंकालीय सफेद रंग में  परिवर्तित हो जाते हैं।
  • निरंजन (ब्लीचिंग) की तुलना ‘कोरल माइन में कैनरी’ से की जा सकती है।

 

शैवाल अधीनीकरण

  • यह प्रवाल पर्यावासों की वास्तुकला संबंधी जटिलता एवं संरचनात्मक समग्रता को कम करता है, जिससे वे कम जैव विविधता संपन्न हो जाते हैं एवं मनुष्यों को कम वस्तुएं तथा सेवाएं प्रदान करते हैं।

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दक्षिण एशिया प्रवाल भित्तियों की स्थिति

 

उपस्थिति

  • दक्षिण एशिया क्षेत्र, प्रवाल भित्तियों के वैश्विक क्षेत्र का मात्र 2% हिस्सा गठित करता है
  • लक्षद्वीप-मालदीव-चागोस रिज क्षेत्र के कुल प्रवाल क्षेत्र का लगभग 75% हिस्सा गठित करता है।
  • अपने अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र के बावजूद, दक्षिण एशिया में प्रवाल भित्तियों के पर्यावासों की एक विस्तृत विविधता है जो कि प्रवाल संरचना, जैव विविधता इत्यादि में महत्वपूर्ण रूप से परिवर्तित होती हैं।

वैश्विक तापन एवं स्थायी तुषार

संकट

  • अनेक प्रवाल भित्तियां गंभीर मानवीय दबाव का सामना करती हैं
    • अति मत्स्यन एवं हानिकारक मत्स्यन,
    • तटीय विकास,
    • भूमि आधारित कृषि अपवाह, एवं
    • वर्धित अवसादन।
  • सामान्य तौर पर, एटोल एवं अपतटीय द्वीपों के आसपास के प्रभाव अल्प मानव जनित दबाव के अधीन होते हैं एवं दक्षिण एशियाई मुख्य भूमि एवं तटीय द्वीपों की तुलना में बेहतर स्थिति में रहते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन ने प्रवाल भित्तियों एवं तटीय समुदायों दोनों की भेद्यता में वृद्धि कर दी है।
  • समुद्र के स्तर में वृद्धि मालदीव एवं लक्षद्वीप द्वीप समूह में द्वीपीय समुदायों के लिए एक बड़ा खतरा है।

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प्रवाल भित्तियों का महत्व

आर्थिक महत्व

  • प्रवाल भित्तियों द्वारा प्रदान की जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य प्रति वर्ष 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जिसमें प्रवाल भित्ति पर्यटन में 36 बिलियन अमेरिकी डॉलर शामिल हैं।

पारिस्थितिक महत्व

  • प्रवाल भित्तियाँ न्यूनतम 25% समुद्री प्रजातियों का समर्थन करती हैं एवं करोड़ों व्यक्तियों की सुरक्षा, तटीय सुरक्षा,  कल्याण, भोजन एवं आर्थिक सुरक्षा का आधार हैं।
  • नरम प्रवाल झुकते हैं एवं कठोर प्रवाल भित्ति के श्रृंगीय पर्वतों के मध्य विस्तृत होते हैं तथा मछली, घोंघे एवं अन्य समुद्री जीवों हेतु अतिरिक्त आवास उपलब्ध कराते हैं।
  • प्रवाल भित्तियाँ विश्व के किसी भी पारितंत्र की उच्चतम जैव विविधता को आश्रय प्रदान करती हैं, जो उन्हें ग्रह पर जैविक रूप से सर्वाधिक जटिल एवं मूल्यवान बनाती हैं।

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