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औषधि उद्योगों का सुदृढ़ीकरण: प्रासंगिकता
- जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
औषधि उद्योगों का सुदृढ़ीकरण: संदर्भ
- हाल ही में, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने संपूर्ण देश में मौजूदा फार्मा समूहों तथा एमएसएमई के लिए आवश्यक समर्थन के संदर्भ में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए “औषधि उद्योग को मजबूत करने (स्ट्रेंग्थेनिंग ऑफ फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री/एसपीआई)” योजना के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं।
फार्मास्युटिकल उद्योगों का सुदृढ़ीकरण: प्रमुख बिंदु
- यह योजना वित्त वर्ष 21-22 से वित्त वर्ष 25-26 की अवधि के लिए 500 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ प्रारंभ की गई है।
- इस योजना का उद्देश्य फार्मा क्लस्टर्स की उत्पादकता, गुणवत्ता एवं धारणीयता में सुधार लाना है।
- योजना का उद्देश्य “औषधि उद्योग को मजबूत करना (स्ट्रेंग्थेनिंग ऑफ फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री/एसपीआई) भारत को औषधि क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व के रूप में स्थापित करने के लिए वर्तमान बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ करना है।
- योजना के तहत सामान्य स्थापनाओं के निर्माण के लिए फार्मा समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- इससे न केवल गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि संकुलों (क्लस्टरों) का धारणीय विकास भी सुनिश्चित होगा।
- राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय नियामक मानकों को पूरा करने के लिए एसएमई तथा एमएसएमई की उत्पादन स्थापनाओं को उन्नत करने हेतु उनके पूंजी ऋण पर ब्याज सहायतार्थ अनुदान (सबवेंशन) अथवा पूंजीगत सहायिकी प्रदान की जाएगी।
फार्मास्युटिकल उद्योगों का सुदृढ़ीकरण: घटक
इस योजना में 3 घटक / उप-योजनाएं हैं:
- सामान्य स्थापनाओं के लिए फार्मास्युटिकल उद्योग (असिस्टेंट टू फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री फॉर कॉमन फैसिलिटिज/एपीआईसीएफ) को सहायता, वर्तमान औषधि उद्योग संकुलों (फार्मास्युटिकल क्लस्टरों) की क्षमता को सुदृढ़ करने हेतु, सामान्य स्थापनाओं का निर्माण करके उनके निरंतर विकास हेतु;
- इसके अंतर्गत पांच वर्ष की योजना अवधि के लिए 178 करोड़ के परिव्यय के साथ प्राथमिकता के क्रम में अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं, परीक्षण प्रयोगशालाओं, अपशिष्ट उपचार संयंत्रों, सम्भारिकी केंद्रों तथा प्रशिक्षण केंद्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सामान्य स्थापनाओं के निर्माण के लिए संकुलों का समर्थन प्रस्तावित है।
- राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय नियामक मानकों को पूरा करने हेतु सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम फार्मा उद्यमों (एमएसएमई) की सुविधा के लिए फार्मास्युटिकल प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना (फार्मास्यूटिकल टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन असिस्टेंट स्कीम/पीटीयूएएस)।
- पीटीयूएएस उप-योजना के अंतर्गत, एसएमई उद्योगों के लिए ब्याज सहायतार्थ अनुदान के अधिकतम 5% प्रति वर्ष (एससी / एसटी के स्वामित्व एवं प्रबंधन वाली इकाइयों के मामले में 6%) या साख सहलग्न पूंजी सहायिकी (क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी) के माध्यम से 10% समर्थन का प्रस्ताव है।
- पांच वर्ष की योजना अवधि के लिए उप योजना हेतु 300 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है।
- फार्मास्युटिकल और मेडिकल डिवाइसेस प्रमोशन एंड डेवलपमेंट स्कीम (पीएमपीडीएस) अध्ययन / सर्वेक्षण रिपोर्ट, जागरूकता कार्यक्रम, डेटाबेस निर्मित करने एवं उद्योग को बढ़ावा देने के माध्यम से फार्मास्युटिकल तथा मेडिकल उपकरण क्षेत्रों की वृद्धि तथा विकास को सुविधाजनक बनाने हेतु।
- पीएमपीडीएस उप-योजना के अंतर्गत फार्मास्युटिकल एवं मेडटेक उद्योग के बारे में ज्ञान तथा जागरूकता को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- पांच वर्ष की योजना अवधि के लिए उप योजना हेतु 21.5 करोड़ रुपए का परिव्यय निर्धारित किया गया है।