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वैक्सीन के प्रति विश्वास को सुदृढ़ करना- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे।
वैक्सीन के प्रति विश्वास को सुदृढ़ करना- संदर्भ
- भारत में, लगभग 78% वयस्क आबादी ने एक खुराक प्राप्त की है एवं 36% से अधिक वयस्क आबादी ने दोनों खुराक प्राप्त की हैं।
- इससे ज्ञात होता है कि भारत ने नागरिकों को कोविड-19 के प्रति टीकाकरण के अपने अभियान में अपना आधार प्राप्त कर लिया है।
- वैक्सीन की स्वीकार्यता: हाल के साक्ष्य यह भी इंगित करते हैं कि भारत में कोविड-19 टीकों की स्वीकार्यता विश्व में सर्वाधिक है।
वैक्सीन के प्रति विश्वास को सुदृढ़ करना- संबद्ध चिंताएं
- टीकों के बारे में गलत सूचना: लोगों में टीके का विश्वास कम कर सकती है।
- उदाहरण के लिए, 2017-2019 में, खसरा-रूबेला के टीके के बारे में झूठी अफवाहें सोशल मीडिया के माध्यम से फैल गईं एवं कुछ क्षेत्रों में टीके के प्रति अस्वीकृति को तीव्र कर दिया।
- टीकाकरण के लिए कम उत्साह: टीका लगवाने का उत्साह कम हो सकता है, विशेष रुप से तब जब कोविड-19 के मामले बहुत कम हों।
- टीके के प्रति संकोच के अन्य कारण: लोग निम्नलिखित कारणों से टीकाकरण को उपेक्षित कर सकते हैं-
- यदि वे सभी टीकों के खिलाफ हैं।
- टीके की प्रभावकारिता के बारे में गलत सूचना एवं चिंताएं, विशेष रुप से जब टीकों को अल्प अवधि में विकसित किया गया हो।
- टीके के अवयवों के बारे में परिवार के किसी विश्वसनीय सदस्य या मित्र द्वारा गलत सूचना देने से।
आरटीएस, एस या मॉस्क्युरिक्स- डब्ल्यूएचओ द्वारा स्वीकृत विश्व की प्रथम मलेरिया वैक्सीन
वैक्सीन के प्रति विश्वास को सुदृढ़ करना- आगे की राह
- सभी का टीकाकरण सुनिश्चित करना: टीकाकरण रहित व्यक्तियों की छोटी सी संख्या भी टीकाकरण अभियान की सफलता के लिए खतरा बन सकती हैं।
- यह विशेष रूप से सार्स – कोव-2 के डेल्टा संस्करण जैसे अत्यधिक संक्राम्य वायरस के संदर्भ में सत्य है।
- वैक्सीन के प्रति विश्वास को दृढ़ करना: टीकाकरण के बारे में बातचीत सम्मान, सहानुभूति एवं समझ के स्थान से उदित होनी चाहिए एवं अपमानजनक भाषा के प्रयोग से बचना चाहिए।
- यह विश्वास – टीके के प्रति आत्मविश्वास की कुंजी स्थापित करने में सहायता करता है।
- गलत सूचना का प्रतिरोध करना: सरकारी एजेंसियों अथवा शैक्षणिक संस्थानों जैसे किसी विश्वसनीय स्रोत से डेटा प्रदान करने से टीकों के बारे में गलत धारणाओं को सही करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।
- इसके अतिरिक्त, गलत सूचना के बारे में साथियों/ सहकर्मियों से बात करते समय, यह स्वीकार करने में सहायता प्राप्त होती है कि वर्तमान संदर्भ में यह जानना कभी-कभी कठिन होता है कि क्या सत्य है एवं क्या नहीं।
- टीकाकरण को स्वतः निर्धारित (डिफ़ॉल्ट) मानक व्यवहार के रूप में तैयार करना: यह उन लोगों को प्रोत्साहित करने में सहायता कर सकता है जिन्हें संदेह है।
- अतः हमें अपने दोस्तों और परिवार से पूछना चाहिए, “टीका लगवाया, ना?” या “आपको टीका लगाया गया है, है ना?”
- संदेशवाहक का महत्व: लोग प्रायः किसी ऐसे व्यक्ति की बात सुनते हैं जो सम्मानित होता है एवं समान पृष्ठभूमि, समुदाय एवं क्षेत्र को साझा करता है। उदाहरण के लिए,
- एक सरपंच या उच्च सम्मानित व्यक्ति ने टीका लगवाया और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
- चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी भी प्रायः स्वास्थ्य संबंधी निर्णयों के बारे में जानकारी के विश्वसनीय स्रोत होते हैं।
- अभिनेता एवं खिलाड़ी भी प्रभावशाली प्रवक्ता होते हैं।
- पोलियो अभियान से सीख: 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया गया था। इसने साधारण अभियान, ‘दो बूंद जिंदगी की’ या ‘जीवन की दो बूंदों’ का उपयोग किया। यह आशावादी था एवं भारतीयों को जँचा।
- भारत को टीकाकरण हेतु चल रहे अभियान में इसी के समान ऊर्जा की आवश्यकता है।
- बहु-विषयक दृष्टिकोण का अनुसरण करना: रचनात्मक एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को टीके के प्रति विश्वास में वृद्धि करने हेतु मिलकर कार्य करना चाहिए।
- बॉलीवुड प्रभावी कथा वाचन के माध्यम से भारतीय मानस में प्रवेश करने हेतु विशिष्ट स्थिति में है।
- यह महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति एक ही तरह से तथ्यों और आंकड़ों से नहीं जुड़ता है।