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आधारिक स्तर पर दृढ़- आपदा प्रतिरोध को सामुदायिक संस्कृति का एक अंतर्निहित भाग बनाना

आधारिक स्तर पर दृढ़- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- स्थानीय स्तर तक शक्तियों एवं वित्त का हस्तांतरण तथा उसमें अंतर्निहित चुनौतियां।
  • जीएस पेपर 3: आपदा प्रबंधन- आपदा एवं आपदा प्रबंधन।

आधारिक स्तर पर दृढ़ – पृष्ठभूमि

  • स्थानीय स्वशासन की प्रणाली, जहाँ गाँव के लोग निर्णय निर्माण की प्रक्रिया में भाग लेते हैं, लोकतंत्र की रीढ़ है।
  • इस संदर्भ में, आपदा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को सामुदायिक संस्कृति का एक अंतर्निहित हिस्सा बनाना अनिवार्य है।

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आधारिक स्तर पर दृढ़ – भारत में पंचायती राज व्यवस्था

  • पृष्ठभूमि: पंचायती राज को प्रथम बार 2 अक्टूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर द्वारा अंगीकृत किया गया था। समय के साथ पंचायती राज प्रणाली का व्यापक विस्तार हुआ है।
    • अब कुल 2,60,512 पंचायती राज संस्थान (पीआरआई) हैं जिनका प्रतिनिधित्व संपूर्ण भारत में लगभग 31 लाख निर्वाचित सदस्य करते हैं।
  • ग्राम सभा: ग्राम सभा विविध विचारों एवं मतों के लिए एक परिज्ञापन (साउंडिंग) बोर्ड के रूप में कार्य करती है। वे आम सहमति बनाने एवं समुदाय के हित में संकल्प लेने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं।
  • सरकार द्वारा की गई पहलें: ग्राम सभा एवं पंचायती राज संस्था की व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु, सरकार ने निम्नलिखित योजनाएं आरंभ की हैं-
    • जन योजना अभियान एवं
    • वाइब्रेंट ग्राम सभा डैशबोर्ड

एसवीईपी के अंतर्गत अंतर्गत एसएचजी को प्रदान किया गया सामुदायिक उद्यम कोष

आधारिक स्तर पर दृढ़- कोविड-19 एवं पंचायती राज संस्थाओं ( पी आर आई) की भूमिका

  • आपदा प्रबंधन में पंचायती राज संस्थाओं का महत्व: जब कोविड -19 महामारी के दौरान पारंपरिक अधोशीर्ष (टॉप-डाउन) आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली से समझौता किया गया था, तो यह पीआरआई थे जिन्होंने उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी।
  • पंचायती राज संस्थाओं ने जोखिमों को कम करने में सहायता की, तीव्रता से सहायता की, तीव्रता से प्रतिक्रिया दी एवं इस प्रकार स्थानीय स्तर पर आवश्यक नेतृत्व प्रदान करके लोगों को शीघ्र स्वस्थ होने में सहायता की।
  • पंचायती राज संस्थाओं ने विनियामक एवं कल्याणकारी दोनों कार्य निष्पादित किए। उदाहरण के लिए-
    • राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान, पंचायती राज संस्थाओं ने परिरोधन क्षेत्र (कंटेनमेंट जोन) स्थापित किए, परिवहन की व्यवस्था की, लोगों को संगरोध (क्वॉरेंटाइन) करने के लिए भवनों की पहचान की एवं आने वाले प्रवासियों के लिए भोजन की व्यवस्था की।
    • मनरेगा एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जैसी कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन ने अति संवेदनशील आबादी को सहायता सुनिश्चित करते हुए पुनः स्थापन की गति को तेज किया।
    • क्वारंटाइन केंद्रों पर कड़ी निगरानी रखने एवं घरों में लक्षणों की निगरानी के लिए गांव के बुजुर्गों, युवाओं एवं स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को शामिल करते हुए समुदाय आधारित अवेक्षण (निगरानी) प्रणाली को सुनियोजित किया।
    • कोविड-19 टीकाकरण हेतु नागरिकों को तयार करने में उनकी भूमिका अनुकरणीय है।
  • ग्राम सभा की भूमिका:
    • समितियों के माध्यम से अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं जैसे आशा कार्यकर्ताओं एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ नियमित आस्थिति का आयोजन किया।
    • इसने समुदाय एवं अधिकारियों के मध्य विश्वास की खाई को भी पाट दिया।

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आधारिक स्तर पर दृढ़ – आगे की राह

  • योकोहामा रणनीति: इसे मई 1994 में प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण के अंतर्राष्ट्रीय दशक के दौरान प्रतिपादित किया गया था
    • इसने इस बात पर बल दिया कि भेद्यता को कम करने हेतु केवल आपदा प्रतिक्रिया के स्थान पर आपदा रोकथाम, शमन एवं तत्परता पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
  • पंचायती राज संस्थाओं की क्षमता निर्माण:
    • पंचायत राज अधिनियमों में आपदा प्रबंधन अध्यायों को शामिल करना एवं आपदा नियोजन तथा व्यय को पंचायती राज विकास योजनाओं  एवं स्थानीय स्तर की समितियों का हिस्सा बनाना।
      • यह नागरिक केंद्रित प्रतिचित्रण एवं संसाधनों का नियोजन सुनिश्चित करेगा।
    • स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न बीमा उत्पाद समुदाय के वित्तीय लचीलेपन का निर्माण करेंगे।
  • समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन योजनाएं: सहायक सिद्ध होंगी क्योंकि आपदा के मामले में समुदाय सामान्य तौर पर सर्वप्रथम प्रतिक्रिया करता है।
    • ये आपदा के दौरान संसाधन समुपयोग एवं अनुरक्षण हेतु एक रणनीति प्रदान करेंगे।
    • ऐसी योजनाओं में स्थानीय समुदायों के पारंपरिक ज्ञान का उपयोग किया जाना चाहिए जो आधुनिक प्रथाओं की पूरक होंगी।
  • सभी ग्राम पंचायतों में सामुदायिक आपदा कोष की स्थापना के माध्यम से समुदाय से वित्तीय योगदान को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

 

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