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सुभाष चंद्र बोस- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 1: भारतीय इतिहास- आधुनिक भारतीय इतिहास अठारहवीं शताब्दी के मध्य से लेकर वर्तमान तक- महत्वपूर्ण घटनाएं, व्यक्तित्व, मुद्दे।
सुभाष चंद्र बोस- प्रसंग
- हाल ही में, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
- जब तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा की स्थापना का कार्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक प्रतिमा स्थल पर नेताजी का होलोग्राम लगाया जाएगा।
सुभाष चंद्र बोस- प्रमुख बिंदु
- सुभाष चंद्र बोस के बारे में: सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें प्यार से नेताजी कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सर्वाधिक प्रमुख नेताओं में से एक थे।
- जन्म: सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को कटक, उड़ीसा में हुआ था।
- उनके पिता जानकी नाथ बोस एक प्रसिद्ध अधिवक्ता थे एवं उनकी माता प्रभावती देवी एक धर्मपरायण तथा धार्मिक महिला थीं।
- शिक्षा: सुभाष चंद्र बोस बाल्यावस्था से ही मेधावी छात्र थे।
- विद्यालय: सुभाष चंद्र बोस ने कलकत्ता प्रांत की मैट्रिक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था।
- महाविद्यालय: सुभाष चंद्र बोस ने कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से दर्शनशास्त्र में प्रथम श्रेणी के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
- स्वामी विवेकानंद का प्रभाव: सुभाष चंद्र बोस स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यंत प्रभावित थे एवं एक छात्र के रूप में देशभक्ति के उत्साह के लिए जाने जाते थे।
- भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस): अपने माता-पिता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, सुभाष चंद्र बोस 1919 में भारतीय सिविल सेवाओं के लिए प्रतिस्पर्धा करने हेतु इंग्लैंड गए।
- 1920 में वे इंग्लैंड में भारतीय सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा में सम्मिलित हुए एवं योग्यता के क्रम में चौथे स्थान पर रहे।
- आईसीएस से त्यागपत्र: सुभाष चंद्र बोस जलियांवाला बाग हत्याकांड से अत्यंत विचलित थे एवं 1921 में भारत वापस आगमन हेतु आईसीएस को बीच में ही छोड़ दिया।
- साहित्यिक रचनाएँ: सुभाष चंद्र बोस ने “इंडियन स्ट्रगल” की रचना की- जिसने 1920-1934 के वर्षों में देश के स्वतंत्रता आंदोलन को सम्मिलित किया।
- मृत्यु एवं विवाद: ऐसा माना जाता है कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में हुई थी।
- हालांकि, भारत में अनेक व्यक्तियों ने यह मानने से इनकार कर दिया कि विमान दुर्घटना में सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हो गई थी।
- इस मामले पर कई जांच समितियां जैसे फिगेस रिपोर्ट (1946), शाह नवाज समिति (1956) तथा खोसला आयोग (1970) की स्थापना की गई थी।
- इन समितियों ने निष्कर्ष निकाला कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ताइवान में विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
- ऊपर वर्णित समितियों के विपरीत, मुखर्जी आयोग (2005) ने कहा कि विमान दुर्घटना में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु को साबित नहीं किया जा सकता है।
- इस रिपोर्ट को सरकार द्वारा अस्वीकृत कर दिया था।
सुभाष चंद्र बोस- स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में योगदान
- कांग्रेस के साथ जुड़ाव:
- भारत लौटने के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी के प्रभाव में आए एवं 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए।
- सुभाष चंद्र बोस 1923 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
- सुभाष चंद्र बोस 1938 (हरिपुरा) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किए गए एवं 1939 (त्रिपुरी) में पुनः निर्वाचित किए गए।
- अपनी अध्यक्षता के दौरान, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ठोस शब्दों में नियोजन की बात की एवं अक्टू 1938 में एक राष्ट्रीय योजना समिति की स्थापना की।
- सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी के साथ आंतरिक मतभेदों के कारण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया एवं कांग्रेस के भीतर एक गुट, एक अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। ]
- फॉरवर्ड ब्लॉक का उद्देश्य राजनीतिक वामपंथ को सशक्त करना था।
- सी.आर. दास के साथ जुड़ाव: गांधीजी के निर्देश पर सुभाष चंद्र बोस ने देशबंधु चित्तरंजन दास (सी.आर. दास) के अधीन कार्य करना प्रारंभ किया।
- सुभाष चंद्र बोस ने बाद में सी. आर. दास को अपने राजनीतिक गुरु के रूप में स्वीकार किया।
- सुभाष चंद्र बोस ने 1921 में चितरंजन दास की स्वराज पार्टी द्वारा स्थापित समाचार पत्र ‘फॉरवर्ड’ का संपादकत्व संभाला।
- सी. आर. दास ने कलकत्ता नगर निगम के मेयर का पद जीतने के बाद, सुभाष चंद्र बोस को कलकत्ता नगर निगम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के रूप में नियुक्त किया।
- सुभाष चंद्र बोस को उनकी राजनीतिक गतिविधियों के लिए 1925 में गिरफ्तार कर मांडले में जेल भेज दिया गया था।
- श्रम आंदोलन को प्रोत्साहन देना: नेताजी सुभाष चंद्र बोस ट्रेड यूनियन आंदोलनों से जुड़े थे एवं उन्हें अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया था।
- नेहरू रिपोर्ट का विरोध 1928: 1928 में कांग्रेस द्वारा नियुक्त मोतीलाल नेहरू समिति ने अधिराज्य (डोमिनियन) के दर्जे के पक्ष में घोषणा की।
- सुभाष चंद्र बोस ने जवाहरलाल नेहरू के साथ इसका विरोध किया एवं दोनों ने बलपूर्वक कहा कि वे भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता से कम कुछ भी संतुष्ट नहीं होंगे।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन (सीडीएम) में भागीदारी: सुभाष चंद्र बोस को 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जेल में डाल दिया गया था।
- 1931 में गांधी-इरविन समझौते पर हस्ताक्षर के बाद सुभाष चंद्र बोस को रिहा कर दिया गया था।
- उन्होंने गांधी-इरविन समझौते का विरोध किया एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित किए जाने का विरोध किया, विशेष रुप से जब भगत सिंह एवं उनके सहयोगियों को फांसी दी गई थी।
- भारत से निर्वासन तथा यूरोप में कार्य: सुभाष चंद्र बोस को शीघ्र ही कुत्सित बंगाल विनियमन के तहत पुनः गिरफ्तार कर लिया गया।
- एक वर्ष पश्चात, सुभाष चंद्र बोस को चिकित्सीय आधार पर रिहा कर दिया गया एवं उन्हें भारत से यूरोप निर्वासित कर दिया गया।
- सुभाष चंद्र बोस ने भारत एवं यूरोप के मध्य राजनीतिक-सांस्कृतिक संपर्कों को बढ़ावा देने की दृष्टि से विभिन्न यूरोपीय राजधानियों में केंद्र स्थापित करने हेतु कदम उठाए।
- प्रतिबंध की अवज्ञा करते हुए, सुभाष चंद्र बोस भारत लौट आए एवं उन्हें पुनः गिरफ्तार कर लिया गया एवं एक वर्ष के लिए जेल में डाल दिया गया।
- 1937 के आम चुनावों के बाद, कांग्रेस सात राज्यों में सत्ता में आई एवं सुभाष चंद्र बोस को रिहा कर दिया गया।
- कुछ ही समय पश्चात वे 1938 में हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष निर्वाचित किए गए।
- द्वितीय विश्व युद्ध एवं सुभाष चंद्र बोस: सुभाष चंद्र बोस ने महान युद्ध / द्वितीय विश्व युद्ध के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय संसाधनों एवं लोगों के उपयोग के विरुद्ध एक जन आंदोलन प्रारंभ किया।
- इसके लिए सुभाष चंद्र बोस को कलकत्ता में नजरबंद कर दिया गया था।
- जनवरी 1941 में, सुभाष चंद्र बोस कलकत्ता में अपने घर से गायब हो गए एवं अफगानिस्तान के मार्ग से होते हुए जर्मनी पहुंचे।
- जर्मनी में सुभाष चंद्र बोस: इस नीति वचन (सूक्ति) पर कार्य करते हुए कि “एक दुश्मन का दुश्मन एक दोस्त है”, सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध जर्मनी एवं जापान के बीच सहयोग मांगा।
- सुभाष चंद्र बोस ने बर्लिन रेडियो से अपना नियमित प्रसारण प्रारंभ किया, जिससे भारत में जबरदस्त उत्साह उत्पन्न हुआ।
- सुभाष चंद्र बोस सिंगापुर में: जुलाई 1943 में सुभाष चंद्र बोस जर्मनी से सिंगापुर पहुंचे।
- सिंगापुर में, सुभाष चंद्र बोस ने रास बिहारी बोस से पूर्वी एशिया में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर संभाली एवं आजाद हिंद फौज (इंडियन नेशनल आर्मी) का गठन किया।
- आजाद हिंद फौज ( इंडियन नेशनल आर्मी/भारतीय राष्ट्रीय सेना) में मुख्य रूप से भारतीय युद्धबंदी सम्मिलित थे।
- सुभाष चंद्र बोस को सेना के साथ-साथ पूर्वी एशिया में भारतीय नागरिक आबादी द्वारा नेताजी के रूप में सम्मानित किया गया था।
- इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए): सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में, आजाद हिंद फौज ने ब्रिटिश शासन से इसे (भारत को) मुक्त कराने के लिए भारत की ओर प्रस्थान किया। मार्ग में इसने अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को मुक्त करा लिया।
- सुभाष चंद्र बोस ने ‘जय हिंद‘ और ‘दिल्ली चलो‘ के प्रसिद्ध नारे दिए।
- जनवरी 1944 में इंडियन नेशनल आर्मी के मुख्यालय को रंगून स्थानांतरित कर दिया गया। आज़ाद हिंद फौज ने बर्मा सीमा को पार किया एवं 18 मार्च, 1944 को भारतीय धरती पर आ पहुंचे।
- यद्यपि, द्वितीय विश्व युद्ध में जापान एवं जर्मनी की पराजय ने आईएनए को पीछे हटने के लिए बाध्य कर दिया और यह अपने उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सका।
राजा राममोहन राय- भारतीय समाज सुधारक
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