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सुंदरबन टाइगर रिजर्व: प्रासंगिकता
- जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।
सुंदरबन टाइगर रिजर्व: संदर्भ
- हाल ही में, भारतीय वन्यजीव संस्थान (वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया/डब्लूआईआई) के एक अध्ययन ने सुझाव दिया है कि सुंदरबन व्याघ्र अभयारण्य में बाघों का घनत्व मैंग्रोव वनों की वहन क्षमता तक पहुँच गया होगा।
बाघों की वहन क्षमता तक पहुंचना: प्रमुख बिंदु
- भोजन एवं स्थान की उपलब्धता प्राथमिक कारक है जो यह निर्धारित करता है कि एक वन में कितने बाघ हो सकते हैं।
- इसलिए, सुंदरबन में बाघों का कम घनत्व प्रतिकूल मैंग्रोव पर्यावास का एक अंतर्निहित गुण है जो बाघों के शिकार के अल्प घनत्व का समर्थन करता है।
बाघों की वहन क्षमता
- तराई एवं शिवालिक पहाड़ियों (उदाहरण के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व) के क्षेत्र में, 100 वर्ग किमी में 10-16 बाघ जीवित रह सकते हैं।
- बांदीपुर टाइगर रिजर्व जैसे उत्तर-मध्य पश्चिमी घाट के रिजर्व में घनत्व घटकर 7-11 बाघ प्रति 100 वर्ग किमी हो जाता है।
- यह घनत्व मध्य भारत के कान्हा टाइगर रिजर्व जैसे शुष्क पर्णपाती वनों में प्रति 100 वर्ग किमी में 6-10 बाघों तक कम हो जाता है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए)
सुंदरबन की वहन क्षमता
- 2015 में भारत-बांग्लादेश के एक संयुक्त अध्ययन ने सुंदरबन के आठ ब्लॉकों का सर्वेक्षण करने के बाद बाघों का घनत्व 85 प्रति 100 वर्ग किमी आंका।
- जारी WII अध्ययन सुंदरबन में 3-5 बाघों के घनत्व का संकेत देते हैं।
- सुंदरबन में प्रति 100 वर्ग किमी में “लगभग 4 बाघों” को वहन करने की क्षमता है।
बाघों की वहन क्षमता तक पहुंचना: परिणाम
- अध्ययन से संकेत प्राप्त होता है कि बढ़े हुए घनत्व से बार-बार फैलाव होगा एवं मानव-वन्य जीवो के मध्य संघर्ष में वृद्धि होगी।
- कथित संघर्ष बाघ के क्षेत्र को सीमित कर सकता है तथा पुनः बाघ समय-समय पर सीमाओं को पार करने के लिए बाध्य होंगे, जिससे तत्काल विजेताओं के साथ आगे और संघर्ष होगा।