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सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजस्थान में वैध रेत खनन की अनुमति

प्रासंगिकता

  • जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप एवं उनकी अभिकल्पना तथा कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

 

प्रसंग

  • हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) द्वारा की गई अधिकांश संस्तुतियों को लागू करने हेतु स्वीकृति प्रदान कर दी है एवं चार वर्ष के अंतराल के पश्चात राज्य में नदी के किनारे की रेत के कानूनी खनन को पुनः प्रारंभ करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।

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मुख्य बिंदु

  • न्यायालय ने विगत वर्ष सीईसी को व्यापारियों, उपभोक्ताओं, ट्रांसपोर्टरों, सरकार द्वारा सामना किए जा रहे रेत खनन से संबंधित मुद्दों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने एवं अवैध रेत खनन को रोकने के उपायों का सुझाव देने का निर्देश दिया था।
  • 2017 मेंसर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्य में सभी 82 रेत खनन पट्टों को पर्यावरणीय स्वीकृति एवं वैज्ञानिक पुनर्भरण अध्ययन के अभाव में खनन गतिविधियों को संपादित करने से रोकने के पश्चात राजस्थान में, वैध रूप से खनन की गई नदी के किनारे की रेत दुर्लभ हो गई है।
  • सीईसी ने सिफारिश की कि राजस्थान में नदी रेत खनन को सभी वैधानिक स्वीकृति प्राप्त करने एवं बकाया एवं प्रयोज्य करों के भुगतान के बाद संचालित करने की अनुमति प्रदान की जाए।
  • न्यायालय ने सीईसी की एक अन्य संस्तुति को भी स्वीकृति प्रदान कर दी है – खातेदारी पट्टों (कृषि भूमि पर रेत खनन पट्टे) की समाप्ति, जो नदी के तल से 5 किमी की सीमा के भीतर स्थित हैं।
  • शीर्ष न्यायालय ने सीईसी को अवैध खनन के लिए जुर्माना लगाने/क्षतिपूर्ति के पैमाने के निर्धारण एवं 2020 के रेत खनन दिशा निर्देशों के प्रावधानों के संबंध में एनजीटी द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने एवं नए सिरे से जुर्माना/मुआवजा निर्धारित करने तथा आठ सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया ।

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महत्व

  • मांग एवं आपूर्ति में व्यापक अंतराल है। विगत चार वर्ष से अवैध खनन हो रहा है एवं वैध खनन के अभाव में यहां माफिया इनका संचालन कर रहा है।
  • वैध खनन से भी राज्य को स्वत्व शुल्क (रॉयल्टी) के रूप में भारी राजस्व प्राप्त होगा एवं विधि-व्यवस्था की स्थिति में जबरदस्त सुधार होगा।
  • वैध खनन से उपभोक्ताओं को, वर्तमान में जो अभी हो रहा है उसके विपरीत, उचित मूल्य पर रेत प्राप्त हो सकेगी। राज्य को सभी पर्यावरण मानकों का अनुपालन करना होगा।

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