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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का कार्य संचालन

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की कार्यप्रणाली- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन II- कार्यपालिका एवं न्यायपालिका की संरचना, संगठन तथा कार्यकरण – सरकार के मंत्रालय एवं विभाग; दबाव समूह तथा औपचारिक/अनौपचारिक संघ एवं राजनीति में उनकी भूमिका।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम चर्चा में क्यों है?

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया/CJI) एन. वी. रमना का कार्यकाल कुछ दिनों में समाप्त हो रहा है। यह उनके कॉलेजियम के अंत का प्रतीक होगा।

 

कॉलेजियम प्रणाली

  • कॉलेजियम प्रणाली न्यायपालिका एवं कार्यपालिका के मध्य वर्षों के संघर्ष से उत्पन्न हुई थी।
  • 1970 के दशक में कोर्ट-पैकिंग (एक अदालत में न्यायाधीशों की संरचना को बदलने की प्रथा), उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के सामूहिक स्थानांतरण एवं भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद में दो अधिक्रमण के उदाहरणों से शत्रुता और अधिक सुस्पष्ट हो गई थी।
  • तीन न्यायाधीशों के वाद ने कॉलेजियम प्रणाली के उदय को देखा।

कार्यकरण

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश एवं सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों का कॉलेजियम सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में नियुक्तियों के लिए संस्तुतियां करता है।
  • कॉलेजियम सरकार को वीटो कर सकता है यदि सरकार द्वारा नाम पुनर्विचार के लिए वापस भेजे जाते हैं।
  • कॉलेजियम प्रणाली के पीछे मूल सिद्धांत यह है कि स्वतंत्र रहने के लिए न्यायपालिका को नियुक्तियों एवं स्थानांतरण के मामलों में सरकार पर प्रधानता होनी चाहिए।

 

सर्वोच्च न्यायालय में न्यायिक नियुक्तियाँ

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश एवं सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) के तहत की जाती है।
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश की होनी चाहिए जो पद धारण करने के लिए उपयुक्त माने जाते हैं तथा भारत के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश उनके उत्तराधिकारी की सिफारिश करते हैं।
  • केंद्रीय विधि मंत्री प्रधानमंत्री को सिफारिश भेजते हैं, जो बदले में राष्ट्रपति को परामर्श देते हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति के मामले में, जब शीर्ष न्यायालय में एक रिक्ति होने की संभावना है, तो कॉलेजियम केंद्रीय विधि मंत्री को एक उम्मीदवार की संस्तुति करेगा।
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीशों के विचारों को भी अभिनिश्चित करेंगे, जो उस उच्च न्यायालय से आते हैं जहां से अनुशंसित व्यक्ति आता है।
  • कॉलेजियम के प्रत्येक सदस्य एवं अन्य न्यायाधीशों की राय लिखित रूप में ली जानी चाहिए।
  • विधि मंत्री कॉलेजियम की संस्तुति प्रधानमंत्री को भेजेंगे, जो नियुक्ति के मामले में राष्ट्रपति को परामर्श प्रदान करेंगे।
  • उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधित राज्यों के बाहर के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की नीति के अनुसार की जाती है। यह निर्णय कॉलेजियम द्वारा लिया जा है।
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की संस्तुति एक कॉलेजियम द्वारा की जाती है जिसमें  भारत के मुख्य न्यायाधीश तथा सर्वोच्च न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश सम्मिलित होते हैं, यद्यपि प्रस्ताव, दो वरिष्ठतम सहयोगियों के परामर्श से संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा लाया जाता है।
  • संस्तुति मुख्यमंत्री को भेजी जाती है, जो राज्यपाल को केंद्रीय विधि मंत्री को प्रस्ताव भेजने का परामर्श देते हैं।
  • कॉलेजियम मुख्य न्यायाधीशों एवं अन्य न्यायाधीशों के स्थानांतरण की संस्तुति भी करता है।
  • संविधान का अनुच्छेद 222 एक न्यायाधीश को एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रावधान करता है।

 

आलोचना

  • पारदर्शिता की कमी
  • इसमें भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया गया है।
  • संविधान में संशोधन करने एवं राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (नेशनल जुडिशल अपॉइंटमेंट कमेटी/ एनजेएसी) की स्थापना करने के सरकार के प्रयासों को एक संविधान पीठ ने खारिज कर दिया था।

आगे की राह

  • भाई-भतीजावाद के पक्षधर होने की आलोचना से बचने के लिए विचार क्षेत्र का विस्तार किया जाना चाहिए।
  • कॉलेजियम के साथ-साथ न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया में भी पारदर्शिता रखी जानी चाहिए।

 

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