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ज़मानत बॉन्ड: आईआरडीएआई ने दिशानिर्देश जारी किए

ज़मानत बॉन्ड: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं नियोजन, संसाधन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

ज़मानत बॉन्ड: प्रसंग

  • हाल ही में, भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने देश में विभिन्न प्रकार के ज़मानत ऋण पत्रों (बॉन्डों) को आरंभ करने की सुविधा हेतु दिशानिर्देशों का अनावरण किया है।

 

ज़मानत बॉन्ड: मुख्य बिंदु

  • यह दिशा निर्देश विगत वर्ष सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सामान्य बीमा कंपनियों द्वारा जमानत बॉन्ड की पेशकश की संभावना की जांच करने हेतु किए गए अनुरोध की पृष्ठभूमि में आया है।
  • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक प्रस्ताव के बाद, आईआरडीएआई ने सड़क अनुबंधों के लिए जमानत बॉन्ड की पेशकश करने हेतु भारतीय बीमा उद्योग अथवा किसी अन्य क्षेत्र की उपयुक्तता का आकलन करने के लिए जी. श्रीनिवासन की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया है।
  • आईआरडीएआई ने कहा है कि बीमा कंपनियां अब जमानत बॉन्ड को विमोचित कर सकती हैं, बकाए (डिफ़ॉल्ट) की स्थिति में भुगतान का आश्वासन देते हुए, इस प्रकार देश में आधारिक अवसंरचना परियोजनाओं को एक व्यापक प्रेरण दे रही है।

 

जमानत बॉन्ड क्या हैं?

  • जमानत बॉन्ड को ऋण, बकाया, अथवा किसी अन्य की विफलता हेतु उत्तरदायी होने के वायदे के रूप में कहा जा सकता है।
  • यह एक त्रि-पक्षीय (तीन-पक्ष) अनुबंध है जिसमें एक पक्ष (जमानत) तृतीय पक्ष (आभार्य) को द्वितीय पक्ष (प्रिंसिपल) के निष्पादन अथवा दायित्वों की प्रत्याभूति प्रदान करता है।

 

जमानत बॉन्ड किस प्रकार कार्य करेगा?

  • बीमा कंपनी द्वारा संविदाकार की ओर से उस संस्था को एक जमानती बॉन्ड प्रदान किया जाता है, जो परियोजना प्रदान कर रही है।
  • जब कोई प्रिंसिपल बॉन्ड की शर्तों को तोड़ता है, तो क्षतिग्रस्त पक्ष नुकसान की वसूली के लिए बॉन्ड पर दावा कर सकता है।
  • यह परियोजनाओं के लिए बैंकों द्वारा जारी बैंक प्रत्याभूति (गारंटी) की प्रणाली को प्रभावी रूप से प्रतिस्थापित कर सकता है एवं लागत में वृद्धि, परियोजना में विलंब तथा खराब अनुबंध प्रदर्शन के कारण जोखिम को कम करने में सहायता कर सकता है।

 

जमानत बॉन्ड के प्रकार

  • जमानत बॉन्ड की दो वितरित श्रेणियां हैं:
  • अनुबंध जमानत बॉन्ड; एवं
  • वाणिज्यिक (विविध/प्रकीर्ण भी कहा जाता है) जमानत बॉन्ड।

 

अनुबंध जमानत बॉन्ड

  • अनुबंध ज़मानत बॉन्ड वे ज़मानत बॉन्ड हैं जो निर्माण परियोजनाओं हेतु प्रलेखित हैं।
  • यह किस प्रकार कार्य करता है?
  • एक परियोजना स्वामित्वधारी (उपकृतकर्ता) एक अनुबंध को पूरा करने के लिए एक संविदाकार (प्रिंसिपल) की तलाश करता है।
  • संविदाकार, एक जमानतदार बॉन्ड निर्माता के माध्यम से, एक जमानतदार कंपनी से एक जमानती बॉन्ड प्राप्त करता है।
  • यदि संविदाकार बकाएदार (डिफॉल्ट) हो जाता है, तो ज़मानत कंपनी अनुबंध को पूरा करने के लिए या परियोजना के स्वामित्वधारी को हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई के लिए किसी अन्य संविदाकार को खोजने के लिए बाध्य है।

 

अनुबंध ज़मानत बॉन्ड के प्रकार

अनुबंध ज़मानत बॉन्ड चार प्रकार के होते हैं

  • बोली बॉन्ड: यह स्वामित्वधारी को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है यदि बोली लगाने वाले को अनुबंध दिया जाता है किंतु अनुबंध पर हस्ताक्षर करने या आवश्यक निष्पादन एवं भुगतान बॉन्ड प्रदान करने में में विफल रहता है।
  • निष्पादन/ परफॉर्मेंस बॉन्ड: यह एक स्वामित्वधारी को प्रत्याभूति प्रदान करता है कि, ठेकेदार के बकाए की स्थिति में, जमानतदार अनुबंध को पूरा करेगा।
  • भुगतान बॉन्ड: यह सुनिश्चित करता है कि निर्माण अनुबंध में सम्मिलित श्रम एवं सामग्री के लिए कुछ उप संविदाकारों एवं आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान किया जाएगा।
  • वारंटी बॉन्ड (जिसे अनुरक्षण/मेंटेनेंस बॉन्ड भी कहा जाता है): यह स्वामित्वधारी को प्रत्याभूति प्रदान करता है कि मूल निर्माण में पाए गए किसी भी कार्यकुशलता (कारीगरी) एवं भौतिक दोषों की मरम्मत वारंटी अवधि के दौरान की जाएगी।

ज़मानत बॉन्ड: प्रमुख दिशा निर्देश

  • दिशानिर्देशों के अनुसार, एक वित्तीय वर्ष में आर्थिक उत्तरदायित्व ग्रहण (अंडरराइट) की गई सभी ज़मानत बीमा पॉलिसियों के लिए लिया जाने वाला प्रीमियम, उस वर्ष के कुल सकल प्रलेखित प्रीमियम के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, जो अधिकतम 500 करोड़ रुपये हो सकता है।
  • आईआरडीएआई के अनुसार, बीमाकर्ता अनुबंध बॉन्ड जारी कर सकते हैं, जो सार्वजनिक इकाई, डेवलपर्स, उप-संविदाकारों एवं आपूर्तिकर्ताओं को आश्वासन प्रदान करता कि संविदाकार परियोजना प्रारंभ करते समय अपने संविदात्मक दायित्व को पूरा करेगा।
  • प्रत्याभूति की सीमा अनुबंध मूल्य के 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। ज़मानत बीमा अनुबंध मात्र विशिष्ट परियोजनाओं हेतु जारी किए जाने चाहिए एवं अनेक परियोजनाओं के लिए संयोजित (क्लब) नहीं किए जाने चाहिए।
  • मौजूदा बीमाविधिक/नियामक ढांचा उन बॉन्डों के प्रलेखन (हामीदारी) की अनुमति नहीं देता है जो निष्पादन एवं बोली प्रतिभूतियों की प्रत्याभूति प्रदान करते हैं क्योंकि वे वित्तीय साधन हैं एवं पारंपरिक बीमा उत्पाद नहीं हैं।

 

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manish

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