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स्वच्छ प्रमाणन प्रोटोकॉल: प्रासंगिकता
- जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0: प्रसंग
- हाल ही में, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत ओडीएफ, ओडीएफ+, ओडीएफ++ तथा जल+ प्रमाणन के लिए संशोधित स्वच्छ प्रमाणन प्रोटोकॉल का विमोचन किया है।
स्वच्छ प्रमाणन प्रोटोकॉल: प्रमुख बिंदु
संशोधित प्रोटोकॉल स्वच्छ भारत मिशन-2.0 उद्देश्यों के अनुरूप है एवं यह निम्नलिखित को सुनिश्चित करने हेतु डिज़ाइन किया गया है:
- कोई भी उपयोग किया गया अनुपचारित जल अथवा मल कीचड़ पर्यावरण में नहीं स्रावित नहीं किया जाता है तथा समस्त उपयोग किए गए जेल (सीवरेज एवं सेप्टेज, धूसर जल/ग्रे वाटर तथा कृष्ण जल सहित) 1 लाख से कम आबादी वाले सभी शहरों में सुरक्षित रूप से निहित, परिवहन तथा उपचारित किया जाता है।
- सभी वैधानिक कस्बों में खुले में शौच मुक्त स्थिति बनाए रखना।
स्वच्छ प्रमाणन प्रोटोकॉल
- स्वच्छ प्रमाणन प्रोटोकॉल प्रमाणन प्रक्रियाओं को अधिक व्यापक बनने हेतु निरंतर विकसित होने की आवश्यकता पर बल देता है।
- संशोधित स्वच्छ प्रमाणन प्रोटोकॉल अधिक कार्यात्मकता उन्मुख है तथा इसे अधिकारियों एवं नागरिकों के लिए इसे बेहतर ढंग से समझने हेतु सरल बनाया गया है।
- प्रोटोकॉल का उद्देश्य न केवल शहरों की रैंकिंग में सुधार करना है बल्कि मिशन की भावना को प्राप्त करने हेतु शहरों को प्रेरित करना है।
प्रत्येक प्रमाणीकरण के विरुद्ध प्रमुख हस्तक्षेप
- ओडीएफ – सर्वेक्षण प्रतिदर्श आकार एवं अवस्थिति प्रकारों की संख्या में वृद्धि करके सुदृढ़ अनुश्रवण तंत्र सुनिश्चित किया गया।
- ओडीएफ+ – दीर्घकाल में उनकी धारणीयता के लिए सीटी / पीटी एवं अभिनव ओ एंड एम व्यापार प्रतिमान (बिजनेस मॉडल) की कार्यक्षमता पर ध्यान केंद्रण।
- ODF++ – सेप्टिक टैंक तथा सीवर की मशीनीकृत सफाई पर बल देना। उपयोग किए गए जल के सुरक्षित संग्रह तथा उपचारण के साथ-साथ मल कीचड़ का सुरक्षित प्रबंधन।
- जल+ – पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए उपयोग किए गए जल तथा मल कीचड़ दोनों के संग्रह, परिवहन, उपचारण तथा पुन: उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
एसबीएम 2.0 का उद्देश्य
- सभी वैधानिक शहर न्यूनतम ओडीएफ+ हो जाएंगे; एवं <1 लाख आबादी वाले सभी शहर ओडीएफ++।
- प्रणालियां तथा प्रक्रियाएं उचित स्थान पर होंगी ताकि समस्त अपशिष्ट जल को सुरक्षित रूप से उपचारित किया जा सके तथा बेहतर ढंग से पुन: उपयोग किया जा सके एवं कोई भी अनुपचारित अपशिष्ट जल जल निकायों को प्रदूषित न करे।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट) के संबंध में, यह अपेक्षा की जाती है कि सभी शहर SBM-U 2.0 के तहत कम से कम 3-स्टार कचरा मुक्त प्रमाणन (गारबेज फ्री सर्टिफिकेशन) हासिल करेंगे।
एसबीएम की उपलब्धियां
- स्वच्छ भारत मिशन ने 3,300 से अधिक शहरों में स्थायी स्वच्छता हासिल की है एवं 950 से अधिक शहरों को क्रमशः ODF+ एवं ODF++ प्रमाणित किया गया है।
- इसके अतिरिक्त, 9 शहरों को जल+ प्रमाणित किया गया है, जिसमें अपशिष्ट जल का उपचारण तथा इसका इष्टतम पुन: उपयोग करना आवश्यक है।
- वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन पर बल भारत में अपशिष्ट प्रसंस्करण 2014 में 18% से चार गुना बढ़कर आज 70% हो जाने से स्पष्ट है।
- इसे 97% वार्डों में 100% डोर-टू-डोर कचरा संग्रह तथा 85% वार्डों में नागरिकों द्वारा शब्दशः कचरे के स्रोत पृथक्करण के माध्यम से सहायता प्रदान की गई है।
- कार्यक्रम में 20 करोड़ नागरिकों (भारत की शहरी आबादी का 50% से अधिक सम्मिलित) की सक्रिय भागीदारी ने मिशन को एक जन आंदोलन, एक वास्तविक जन आंदोलन में सफलतापूर्वक परिवर्तित कर दिया है।